श्रीगंगानगर से राकेश शर्मा 

‘‘देश में इंसान के कल्याण और सुख के लिए लोगों के त्याग और बलिदान के अनेक किस्से कहानियां सुनने को मिल जाती हैं। ऐसे ही समाज और लोगों के जीवन की रक्षा के लिए अपने अंगदान कर आज के समय में भी बहुत से लोग दूसरे लोगों की जिंदगियां बचा रहे हैं। फिर भी जागरूकता के अभाव में अनेक लोग ऐसे भी हैं जो अंगदान नहीं करना चाहते हैं। इसी के चलते जिले सहित राज्य में तीन अगस्त से 17 अगस्त तक अंगदान जीवनदान जागरूकता महाअभियान चलाया जाएगा।’’ इस अभियान एवं अंगदान के प्रति विस्तृत जानकारी सीएमएचओ डॉ. मनमोहन गुप्ता, मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. बीएल चौपड़ा एवं डिप्टी सीएमएचओ डॉ. करण आर्य ने मंगलवार को प्रेस वार्ता में दी।

सीएमएचओ डॉ. गुप्ता ने बताया कि अभियान के सफल आयोजन के लिए बुधवार सुबह 11 बजे जिला कलेक्ट्रेट सभागार में जिला कलेक्टर अंशदीप की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की जाएगी। वहीं तीन अगस्त को पूरे जिले में आमजन को अंगदान एवं जागरूकता के लिए शपथ दिलाई जाएगी। अभियान के दौरान सभी स्कूलों, कॉलेजों, पुलिस विभाग व स्वयंसेवी संस्थाओं सहित विभिन्न विभागों को इससे जोड़ा जाएगा ताकि प्रदेश में अंगदान के प्रति जनचेतना पैदा हो। राजस्थान में जितनी अंगदान की जरूरत है उतना हो नहीं रहा है और राजस्थान इस मामले में राष्ट्रीय औसत की तुलना में कम है। इसके साथ ही मेडिकल कॉलेजों में अंग प्रत्यारोपण यूनिट भी स्थापित किए जा रहे हैं, जिससे प्रत्यारोपण की प्रक्रिया सहज एवं सुलभ होगी। इससे प्रदेश की जनता को काफी फायदा होगा, क्योंकि जिन लोगों को अंगों की आवश्यकता है उन्हें आसानी से और अपने नजदीकी मेडिकल कॉलेज में अंग उपलब्ध हो सकेंगे। डिप्टी सीएमएचओ डॉ. आर्य ने बताया कि भारतीय अंगदान दिवस पर तीन अगस्त से महाभियान की विधिवत शुरुआत होगी। इस दौरान 18 वर्ष से ज्यादा के लोगों को प्रदेश स्तर से लेकर ब्लॉक स्तर तक अंगदान की शपथ दिलवाई जाएगी व जो लोग अंगदान करना चाहते हैं उनसे सहमति ली जाएगी। इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग के आईईसी श्रीगंगानगर सोशल मीडिया पर भी विशेष कैम्पेन चलाया जाएगा तथा अभियान में बेहतरीन कार्य करने वालों को सम्मानित किया जाएगा। वहीं नियमित रूप से वर्कशाप, रैली, साईकिल रैली, पोस्टर प्रतियोगिता आदि के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाएगा। अभियान में आंगनाबाड़ी, आशा, पुलिस के जवानों व कॉलेज के छात्र-छात्राओं सहित विभिन्न वर्गों की सहभागिता रहेगी।

लोगों को अंगदान से दिया जा सकता है जीवन

डॉ. आर्य ने बताया कि एक व्यक्ति अपने शरीर के अंगों को दान करके करीब 50 लोगों को जीवन दे सकता है। भागदौड़ भरी इस दुनिया में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो किसी बीमारी या अन्य वजह से अपने खास अंगों को खो देते हैं या उनके अंग खराब हो जाते हैं। ऐसे में समाज कल्याण और लोगों को नया जीवन देने की सोच के साथ बहुत से स्वस्थ लोग अपने जीते जी या मृत्यु के बाद अंगदान करके लोगों को एक नई जिंदगी देते हैं। अंगदान में शरीर के कुछ अंगों और ऊतकों को दान किया जा सकता है, जैसे कि अंगों में यकृत, गुर्दे, अग्नाशय, हृदय, फेफड़े और आंत को दान किया जाता है, जबकि ऊतकों में कॉर्निया (आंख का भाग), हड्डी, त्वचा, हृदय वाल्व, रक्त वाहिकाएं, नस और कुछ अन्य ऊतकों को भी दान किया जाता है।

दो तरह का होता है अंगदान

पहला होता है जीवित अंगदान और दूसरा मृत्यु के बाद अंगदान। जीवित अंगदान में इंसान जीते जी शरीर के कुछ अंगों को दान कर सकते हैं, जिसमें एक गुर्दा दान में दिया जा सकता है। इसके अलावा अग्न्याशय का हिस्सा और लीवर का हिस्सा दान किया जा सकता है, क्योंकि लीवर समय के साथ फिर से विकसित हो सकता है। मृत्यु के बाद अंगदान में आंख, किडनी, लीवर, फेफड़ा, ह्रदय, पैंक्रियाज और आंत का दान किया जाता है। अंगदान में सिर्फ उम्र ही नहीं, बल्कि शरीर का स्वस्थ होना भी जरूरी है। हालांकि, यह इस बात पर निर्भर होता है की अंगदान जीते जी किया जा रहा है या मृत्यु के बाद। 18 साल का कोई भी स्वस्थ व्यक्ति अंगदान कर सकता है, लेकिन शरीर के अलग-अलग अंगों के लिए उम्र सीमा भी अलग-अलग होती है, जो डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही दान किए जा सकते हैं।