जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
जैविक व औषधीय खेती का क्रेज न केवल भारत के किसानों में लगातार बढ रहा है बल्कि विदेशों में भी इस खेती को लेकर उत्साह बढता जा रहा है। खासकर भारतीय जैविक किसान उत्पादक संघ के सौजन्य में आईआईएएएसडी के तत्वावधान में हर माह आयोजित किए जा रहे ट्रेनिंग प्रोग्राम में इस बार विदेशों से युवा किसानों ने हिस्सा लिया। श्री पिंजरापोल गोशाला के सनराइज पार्क में आयोजित दो दिवसीय ट्रेनिंग प्रोग्राम में कैलिफॉर्निया (अमेरिका) से मलई फ्रे मेनेलिक ने जैविक व औषधीय खेती की बारीकियों को समझा।
अंतराष्ट्रीय कृषि कौशल विकास संस्थान (आईआईएएएसडी) के संस्थापक डॉ. अतुल गुप्ता ने औषधीय फसलों की जैविक कृषि की व्यवसयिक कृषि का प्रशिक्षण दिया । डॉ. अतुल गुप्ता ने विशेष कर मोरिंगा की पत्तियों की फसलें बाढ़ के कारण कम हो जाने पर बाजार भाव अत्यंत बढ़ जाने पर किसानों को कैसे राहत मिले इस पर चर्चा की। इस दौरान देश के पांच राज्यों- पंजाब, राजस्थान, पश्चिमी बंगाल, तेलगांना व दिल्ली के युवा किसानों ने मोरिंगा, एलोवीरा, स्टीविया, सफेद मूसली, काली हल्दी, तुलसी, शतावरी, कालमेघ, किनोआ, चिया की खेती का प्रशिक्षण लिया। इस मौके पर विभिन्न गौशालाओं के प्रतिनिधियों ने गोबर से बनने वाले उत्पादों के बारे में जानकारी हासिल की। राजस्थान स्टेट मेडिसिनल प्लांट बोर्ड, राजस्थान सरकार की सदस्य संगीता गौड़ ने औषधि फसलों में विशेष रूप से स्टीविया की कृषि की विशेषता व उपलब्धता पर प्रशिक्षण दिया। कार्यक्रम में हैनिमन चैरिटेबल मिशन सोसाइटी की सचिव मोनिका गुप्ता ने गाय के गोबर की विशेषता व उत्पादों की उधमता पर चर्चा की। अंत में सभी प्रशिक्षार्थियों को प्रश्स्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।
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