जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
मंगलवार को बीजेपी के सचिवालय घेराव कार्यक्रम के दौरान शहर में जाम की स्थिति बन गई थी। जाम में वाहन चालकों के साथ-साथ स्कूली बच्चें भी फंस गए थे। जिसके बाद आज हाई कोर्ट ने पूरे मामलें में स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेते हुए नाराज़गी जताई।
जस्टिस समीर जैन की अदालत ने पूरे मामलें में स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेते हुए कहा कि क्यों ना अदालती आदेश की अवमानना करने पर रैली की अनुमति देने वाले अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज करवाई जाए। सुनवाई के दौरान जयपुर पुलिस कमिश्नरेट के आलाधिकारी मौजूद रहे।
सरकार की ओर से पैरवी करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता मेज़र आरपी सिंह ने कहा कि हमने साल 2018 के जस्टिस एमएन भंडारी के जज़मेंट के आधार पर ही रैली की अनुमति दी थी। लेकिन कोर्ट इससे संतुष्ट नहीं हुआ। कोर्ट ने सरकार को कल सुबह इस मामलें में जवाब पेश करने का समय दिया हैं। गुरुवार को एक बार फिर अदालत इस मामलें में सुनवाई करेगी।
परमिश्न दी तो ट्रैफिक की वैकल्पिक व्यवस्था क्यों नहीं की?
हाई कोर्ट ने पूरे मामलें में नाराज़गी जताते हुए कहा कि अगर पुलिस ने रैली की परमिश्न दे दी थी तो फिर ट्रैफिक की वैकल्पिक व्यवस्था क्यों नहीं की? सड़कों पर जाम क्यों लगा। पब्लिक को क्यों परेशानी हुई। इसका ख्याल भी रखा जाना चाहिए था। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट अपने 2020 के आदेश में साफ कर चुका है कि राजनीतिक रैलियों के चलते किसी भी हाल में सड़कों को जाम नहीं किया जा सकता हैं।
अगर धरने-प्रदर्शन की अनुमति देनी भी है तो शहर के बाहर दी जाए। जिससे आमजन को कम से कम परेशानी हो। कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह गुरुवार तक बताए कि किस आधार पर सरकार ने स्टेच्यू सर्किल तक रैली की अनुमति दी।
सुनवाई के दौरान यह अधिकारी रहे मौजूद
सुनवाई के दौरान एडिश्नल पुलिस कमिश्नर राहुल प्रकाश, डीसीपी ट्रैफिक प्रहलाद कृष्णियां, डीसीपी साउथ योगेश गोयल और आईपीएस कुंवर राष्ट्रदीप सहित कमिश्नरेट के अन्य अधिकारी आज सुनवाई के दौरान मौजूद रहे।
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