मेवाड़ के कृष्णधाम श्री सांवलियाजी मंदिर में चतुर्दशी के अवसर पर खोले गए भंडार से निकली चढ़ावा राशि की गणना जारी है। अब तक तीन राउंड में 9 करोड़ से ज्यादा रुपए निकल चुके हैं। आज शनिवार को भी काउंटिंग होगी। भंडारे से निकली राशि को मंदिर के मेंटेनेंस और गांवों के विकास पर खर्च किया जाता है।
चार दिन पहले मंगलवार को चतुर्दशी के अवसर पर श्री सांवलियाजी सेठ का भंडार खोला गया था। यह भंडारा राजभोग आरती के बाद मंदिर मंडल के पदाधिकारियों, प्रशासन और बैंक कर्मियों के सामने खोला गया था। इसके बाद से अब तक तीन राउंड में काउंटिंग हो चुकी है। तीसरे चरण की गिनती में दो करोड़ दो लाख 16 हजार 500 रुपए की राशि मिली। पहले दो राउंड में सात करोड़ 10 लाख रुपयों की गिनती हो चुकी थी।
अब तक 9 करोड़ रुपए से ज्यादा निकल चुके
अब तक सांवरा सेठ को 9 करोड़ 12 लाख 16 हजार 500 रुपए मिल चुके है। श्री सांवलियाजी मंदिर में हुई गणना श्री सांवलियाजी मंदिर मंडल अध्यक्ष भैरूलाल गुर्जर, सदस्य संजय कुमार मण्डोवरा श्रीलाल पाटीदार, भैरूलाल सोनी, अशोक शर्मा, संपदा एवं गौशाला प्रभारी कालु लाल तेली आदि मौजूद रहे।
सोने-चांदी का तोल अभी भी बाकी
अभी तक भंडारे से निकली शेष राशि, भेंट कक्ष में मिली राशि, ऑनलाइन राशि की गिनती बाकी है। इसके अलावा भंडारे और भेंट कक्ष के सोने चांदी का तोल भी बाकी है। यह सब शनिवार को किया जाएगा। अगर गिनती पूरी नहीं हुई तो तोल अगले दिन किया जाएगा। रविवार को भी श्रद्धालुओं की भीड़ ज्यादा होती है, ऐसे में गिनती का यह काम आज ही पूरी करने की कोशिश की जाएगी।
मेले की तैयारियां शुरू
जलझूलनी एकादशी के एक महीने पहले से ही भक्तों की अपार भीड़ का आना शुरू हो जाता है। सितंबर महीने के 24, 25 और 26 तारीख को यहां जलझूलनी एकादशी का मेला लगने वाला है। इसको लेकर मंदिर मंडल प्रशासन ने तेजी से मंदिर में चल रहे कामों को करवाना शुरू कर दिया है। ताकि भक्तों को सभी सुविधाएं मिल सकें।
भंडारे से निकली राशि गांवों के विकास में होती खर्च
बता दें कि भगवान सांवलिया सेठ की ख्याति मेवाड़ और मालवा अंचल से बाहर निकलकर देश के अन्य कई राज्यों तक पहुंच गई है। पिछले कुछ सालों से गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल तक से बड़ी संख्या में लोग अपनी मन्नत को लेकर भगवान सांवरा सेठ के दर्शन के लिए पहुंचने लगे हैं। उसी का नतीजा है कि भंडार राशि प्रतिमाह लगभग 10 करोड़ तक पहुंच चुकी है। यह राशि मंदिर के मेंटेनेंस, विकास, विस्तार और आसपास के 16 गांव के विकास कार्यों पर खर्च की जाती है।
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