जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

गहलोत सरकार ने चुनाव से पहले भले ही राजस्थान का मैप बदल दिया हो, लेकिन निर्वाचन आयोग ढाई माह बाद होने वाले विधानसभा के चुनाव पुराने जिलों के अनुसार ही करवाएगा। आयोग ने राज्य में 33 जिला निर्वाचन अधिकारी ही नियुक्त करने का निर्णय लिया है। नए जिलाें के कलेक्टर भी पुराने जिलों (विभाजन से पहले जिलाें में नियुक्त कलेक्टर) के कलेक्टर के अधीन रहकर चुनाव प्रक्रिया में सहयोग देंगे।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता ने बताया- पुराने जिलों के कलेक्टरों के हाथ में ही विधानसभा के चुनाव की पूरी बागडोर रहेगी। 33 जिलों के कलेक्टरों के लिए विशेष ट्रेनिंग गुरुवार से ही शुरू हो गई है। ओटीएस (ऑफिसर्स ट्रेनिंग स्कूल ) में दो दिन की इस ट्रेनिंग में पुराने जिलों के कलेक्टरों को ही बुलाया गया है।

इन्हीं के पास नॉमिनेशन भरवाने से लेकर काउंटिंग और रिजल्ट जारी करने तक की जिम्मेदारी रहेगी। हालांकि व्यवस्थाओं के लिए ये कलेक्टर अपने अधीन जिलों के कलेक्टर को कुछ न कुछ जिम्मेदारी सौंप सकते हैं। किसी भी वाद-विवाद पर आखिरी निर्णय करने का अधिकार इन्हीं जिला निर्वाचन अधिकारियों के पास रहेगा।

एक पोलिंग बूथ पर 1425 से ज्यादा मतदाता नहीं
आयोग ने सभी जिलों के निर्वाचन अधिकारियों (कलेक्टरों) को प्रस्ताव भिजवाया था। इसमें किसी भी बूथ पर अगर 1425 से ज्यादा मतदाता है तो उन बूथों को रिवाइज्ड करके नए बूथ बनाए जाएं। इस प्रस्ताव पर एक्सरसाइज करने के बाद सभी जिलों में पोलिंग बूथों की संख्या 569 बढ़ गई है। वर्तमान में 200 विधानसभा क्षेत्रों में कुल 51 हजार 187 पोलिंग बूथ हैं, जो रिवाइज्ड करने के बाद बढ़कर 51 हजार 756 हो गए हैं।

2 किलोमीटर से ज्यादा नहीं होगी दूरी
आयोग ने अपने प्रस्ताव में मतदाताओं की संख्या के साथ-साथ वोटर्स और उनके पोलिंग बूथ की दूरी को भी 2 किलोमीटर से कम करने के निर्देश दिए हैं। ताकि वोटर्स को वोट देने के लिए निवास स्थान से ज्यादा दूर नहीं जाना पड़े।

जयपुर में सबसे ज्यादा, प्रतापगढ़ में सबसे कम

जिलेवार पोलिंग बूथों की संख्या देखें तो 33 जिलों में से सबसे कम पोलिंग बूथ प्रतापगढ़ जिले में है। यहां दो विधानसभा सीट (धरियावद और प्रतापगढ़) के लिए 560 पोलिंग स्टेशन, जबकि जयपुर जिले की 19 विधानसभा सीटों पर वोटिंग के लिए कुल 4589 पोलिंग स्टेशन बनाए हैं