जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

कल से शुरू होने वाला है जयपुर हेरिटेज लेडीज़ सर्किल का वार्षिक अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस जिसके लिए 30 देशों से जयपुर पहुंची 330 महिला प्रतिनिधियों ने किया आगरा दिल्ली का दौरा और अब वो जयपुर आकर यहां की संस्कृति और सभ्यता देख रही है।  लेडीज सर्किल इंडिया चेरिटेबल एक ऐसा संघटन है जिसका मोटो है "शिक्षा द्वारा आज़ादी"।

डेलीगेट्स करेंगी पारंपरिक परिधान में परेड

इस कॉन्फ्रेंस में देश की संस्कृति और सभ्यता का नज़ारा डेलीगेट्स को दिया जायेगा। सभी डेलीगेट्स 24 अगस्त को अपने अपने पारंपरिक परिधान में परेड भी करेंगे।

8000 क्लासरूम और 9 मिलियन बच्चो को दिया सहारा

अब तक लेडीज़ सर्किल इंडिया कर चुका है 8000 क्लासरूम्स का निर्माण और 9 मिलियन बच्चो को सहारा दे चुके है। कांफ्रेंस में वाइस प्रेसिडेंट स्वाति जोहर, ट्रेजरर अनिका मित्तल, सर्किल चेयरपर्सन सारिका सर्राफ मौजूद रहेंगे, बतौर मुख्य अतिथि तृप्ति पांडे मौजूद रहेंगी जो राजस्थानी संस्कृति पर गहरी समझ रखती है।

ऑर्गनाइजिंग कमिटी में स्वेता गोलछा,वंदिता विजयवर्गीय,अनिका मित्तल,स्वाति जोहर, ऋतु माहेश्वरी,पूजा बंसल, अदिति जिंदल, नेहा जैन, सारिका गुप्ता, ट्विंकल पोरवाल, सारिका सर्राफ और आकांक्षा गर्ग हैं। लेडीज़ सर्किल इंडिया, जयपुर चैप्टर: जयपुर हेरिटेज लेडीज़ सर्किल द्वारा वार्षिक अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस 24 से 26 अगस्त तक जयपुर में आयोजित की जायेगी।

कार्यक्रम की सचिव वंदिता विजयवर्गीय और आयोजन समिति सदस्य पूजा बंसल ने आज बताया कि इसमें यूरोप,स्वीडन, मोरोक्को, यूएसए जैसे 30 देशों की 330 महिला प्रतिनिधि हिस्सा लेंगी । कॉन्फ्रेंस में देश की संस्कृति और सभ्यता का नज़ारा डेलीगेट्स को प्रस्तुत किया जाएगा। कॉन्फ्रेंस में उद्घाटन के बाद अलग अलग देश से आई महिलाएँ अपने-अपने पारंपरिक परिधान में परेड करेगी। कार्यक्रम का आग़ाज़ 24 अगस्त को बिड़ला सभागार में होगा।

उन्होंने बताया कि  यहां आने वाले मेहमानों को आगरा - दिल्ली में भारत की सभ्यता संस्कृति से रूबरू कराया जाएगा तथा जयपुर में भी उन्हें राजस्थानी संस्कृति से रूबरू कराया जाएगा। लेडीज़ सर्किल इंडिया चेरिटेबल  एक ऐसा संगठन है जिसका मोटो  "शिक्षा द्वारा आज़ादी", इसमें सभी महिलाएं है और सब मिल कर बच्चों की शिक्षा और उसमे जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर का समर्थन देने का काम करती है। अब तक ये संस्था आठ हजार क्लासरूम बना चुकी है और नौ मिलियन वंचित बच्चों को सहारा दे चुकी है।