जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

बारिश शुरू होने के साथ ही राज्य में मच्छर जनित बीमारियां (डेंगू-मलेिरया) तेजी से बढ़ने लगी है। राजस्थान में डेंगू से सबसे ज्यादा जयपुर जिला प्रभावित हो रहा है। इस सीजन में 25 फीसदी केस अकेले जयपुर में मिले है। इसकी चपेट में आने से राज्य में अब तक 2 मरीजों की मौत हो गई, जो जयपुर में हुई है। डेंगू के मामले में राज्य के हाईरिस्क जिलों की सूची में जयपुर पहले नंबर पर आ गया है।

मेडिकल हेल्थ डिपार्टमेंट से मिली रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान में इस सीजन में अब तक डेंगू के 1 हजार केस सामने आ चुके है, जिसमें से 25 फीसदी यानी 250 केस केवल जयपुर में ही डिटेक्ट हुए हैं। इसमें से 2 मरीजों की मौत भी हो चुकी है। जयपुर सीएमएचओ डॉ. विजय फौजदार ने बताया- मलेरिया-डेंगू के बढ़ते केसों को देखते हुए हमने जिले के सभी हॉस्पिटलों में अलग से मच्छर प्रूफ वार्ड में भर्ती करने और जरूरी दवाईयों और जांच किट का स्टॉक रखने के निर्देश दिए है। साथ ही एएनएम, आशा सहयोगिनियों की टीमें बनाकर घर-घर सर्वे करवाया जा रहा है।

मेडिकल हेल्थ डिपार्टमेंट के मुताबिक डेंगू और मलेरिया के हाई रिस्क जिलों में अलवर, दौसा, हनुमानगढ़, बाड़मेर, जैसलमेर और उदयपुर जिले आते है, लेकिन अभी जयपुर इस सूची में पहले नंबर पर आ गया है।

एसएमएस में 9 हजार से ज्यादा की ओपीडी
मानसून के साथ ही मौसमी बीमारियों भी बढ़ने लगे है। खांसी-जुकाम के अलावा दूसरे वायरल इंफेक्शन से प्रभावित मरीजों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। सवाई मानसिंह हॉस्पिटल में हर रोज ओपीडी में 9 हजार से ज्यादा मरीज दिखाने आ रहे है। जबकि सामान्य दिनों में ओपीडी की संख्या 6-7 हजार के बीच रहती है। इसके अलावा जयपुरिया हॉस्पिटल, आरयूएचएस और कावंटिया हॉस्पिटल की ओपीडी में भी मरीज की संख्या बढ़ गई है।

ये हैं लक्षण
डॉक्टर्स के मुताबिक डेंगू से पीड़ित मरीज के तेज बुखार, सर दर्द, चेहरे या शरीर पर लाल लाली आना, हड्‌डी तोड़ बुखार होने जैसे लक्षण दिखाई देते है। इस सीजन में अगर किसी व्यक्ति के ऐसी स्थिति हो तो उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। ताकि डेंगू प्रोफाइल IGM और IGG की जांच करके पता चल सके कि उसके डेंगू है या नहीं।

एक बार सीबीसी जरूर करवाए
विशेषज्ञों के मुताबिक अगर किसी मरीज के डेंगू हो गया है और वह घर पर इलाज ले रहा है तो उसे दिन में कम से कम एक बार कंप्लीट ब्लड काउंट (सीबीसी) की जांच करवानी चाहिए। इससे मरीज के ब्लड में मौजूद प्लेटलेट्स की काउंटिंग पर नजर रखी जा सके। कई बार व्यक्ति की ब्लड प्लेटलेट्स 50 हजार से नीचे चली जाती है, लेकिन उस पर कोई रिएक्शन नहीं दिखता। ऐसे में अगर किसी मरीज के 50 हजार काउंटिंग आती है तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए।