जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

सरकार के विकसित राजस्थान 2030 के प्लान का विजन डॉक्यूमेंट तैयार करने के लिए सभी विभागों ने इस पर चर्चाएं शुरू कर दी है। मेडिकल हेल्थ डिपार्टमेंट की ओर से इसके लिए 12 दिन तक जिला और संभाग वार बैठक की जाएगी। इसमें इस सेक्टर से जुड़े आमजन, स्वयं सेवी संस्थाओं और हेल्थ सेक्टर से जुड़े विशेषज्ञों से उनके सुझाव और प्लान मांगे जाएंगे। इस चर्चा में मिलने वाले सुझावों और प्लान पर विभाग स्तर पर एक बैठक करके मेडिकल हेल्थ सेक्टर से जुड़ा एक विजन डॉक्यूमेंट विकसित राजस्थान 2030 को ध्यान में रखकर तैयार किया जाएगा।

मेडिकल हेल्थ सेक्टर की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह ने शनिवार को विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की, जिसमें हॉस्पिटल, मेडिकल एजुकेशन, फूड एंड सप्लाई समेत अन्य सेवाओं को ज्यादा बेहतर करने के लिए क्या किया जा सकता है, इस पर लोगों से चर्चा के बाद उनके सुधार और उनको नए तरीके से विकसित करने के लिए सुझाव और आइडिया मांगे जाएंगे।

इसके लिए जिलेवार और संभाग वार विभाग के अधिकारियों को जिले के सभी प्रबुद्धजनों, हेल्थ सेक्टर से जुड़े विशेषज्ञों और स्वयं सेवी संस्थाओं संग बैठक करने के निर्देश दिए है। ये बैठक 25 अगस्त से 5 सितम्बर तक यानी 12 दिन अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग करवाई जाएगी।

अतिरिक्त मुख्य सचिव ने बताया कि ये विजन डॉक्यूमेंट न केवल मेडिकल सेक्टर बल्कि हर विभाग का अलग-अलग बनाया जाएगा, जिसके बाद इन सभी के प्लान को कम्पाइल करके एक विजन डॉक्यूमेंट 2030 तैयार किया जाएगा, जिसमें विकसित राजस्थान की एक परिकल्पना दिखाई देगी।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान को साल 2030 तक विकसित राज्य के रूप में बनाने के लिए विजन डॉक्यूमेंट बनाने की घोषणा की है। उन्होंने पिछले दिनों कहा था कि भविष्य में कोई भी मुख्यमंत्री आए, लेकिन अगर राज्य का एक विजन डॉक्यूमेंट होगा और उसके अनुसार काम किया जाएगा तो ये राज्य और राज्य के लोगों के लिए बहुत अच्छा होगा।

इन विषयों पर मांगे जाएंगे सुझाव

  • राजस्थान को मेडिकल सेक्टर में 2030 तक कैसे देश में नंबर एक पर लाया जाए।
  • हॉस्पिटल में क्या ऐसी फैसिलिटी डेवलप करें, जिससे आमजन को कम परेशानी में अच्छा और क्वालिटी इलाज मिल सकें।
  • मेडिकल हेल्थ इंश्योरेंस की सुविधाओं में और अच्छा किया जा सकता है, ताकि हर लोगों को इसका ज्यादा से ज्यादा फायदा मिल सके।
  • शहरों के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों और छोटे कस्बों या शहरों कैसे मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर और फैसिलिटी को बढ़ाया जाए, ताकि शहरों तक मरीजों को आना न पड़े।