भरतपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

अन्नपूर्णा फूड पैकेट में चावल,चीनी, मसालों के अलावा एकलीटर खाद्य तेल भी है। इसकी कमआपूर्ति हुई है। प्रथम लोट फूडपैकेट 1.57 लाख के मुकाबले1.44 लाख लीटर आयल की हीआपूर्ति हुई है। जल्द ही बाकी कातेल मिल जाएगा।

ये हैं 2 बड़े कारण : राशन डीलरों की कमी औरपैकेजिंग की धीमी गति से भी वितरण प्रभावित

1 . फूड पैकेट की सप्लाई 21 अगस्त तक होनी थी लेकिन सेामवारकी दोपहर तक 1 लाख 46 हजार 77 फूड पैकेट ही आए है, जोप्रथम चरण की सप्लाई में से भी 11 हजार 439 कम है। वजहडीलरों की कमी होना भी है। जिले में स्वीकृत डीलर 1014 हैं,लेकिन वर्किंग में 657 ही हैं। ऐसे में 357 रिक्त दुकानों का भार भीकार्यरत डीलरों पर है। इसलिए अभी तक 88 हजार 192 परिवारोंको ही पैकेट वितरण हुए हैं। राजस्थान राशन डीलर समन्वयसमिति के जिला संयोजक गौरव सोनी का कहना है कि असामान्यआवंटन है। प्रारंभ में साफ्टवेयर में दिक्कतें थी, लेकिन अब फूडपैकेट आवंटित संख्या में नहीं आ रहे। समिति ने सेामवार कोसीएम को ज्ञापन देकर निर्धारित संख्या में फूड पैकेट सप्लाई सहितप्रति पैकेट कमीशन 10 रुपए बढ़ाने की मांग की है।

सोमवार को 88 हजार परिवारों को ही हुआ वितरण, आज होगी जिला कमेटी की मीटिंग

दौलतपुर की राजकुमारी, पीपला की पूनमदेवी व सुफेदी, लोधे का नगला की जय देईआैर दयोपुरा की राधा का नाम राष्ट्रीय खाद्यसुरक्षा अभियान में है, लेकिन अभी अन्नपूर्णाफूड पैकेट नहीं मिला है। समस्या सिर्फइनकी नहीं, बल्कि 1.83 लाख परिवारों कीहैं। इसलिए बड़ी संख्या में परिवार रसदविभाग आैर मुख्यमंत्री राहत शिविरों मेंचक्कर लगा रहे हैं।एनएफएसए की संख्या 3.29 लाख है,लेकिन 1.46 लाख फूड पैकेट ही आए हैं।

इनमें भी सेामवार तक 88 हजार परिवारों कोही वितरण हुआ है। ऐसे में शेष परिवार फूडपैकेट के लिए परेशान हैं। इस दौरान अफवाहोंका भी जोर है। मसलन, पिछले दिनों अफवाहफैली कि फूड पैकेट के लिए मुख्यमंत्री राहतशिविर से टोकन लेना होगा। इसलिए कलेक्ट्रेटपर इतनी भीड़ जमा हो गई कि कर्मचारियों कोअपने लैपटाप और कागजात लेकर भागनापड़ा। हालांकि समझाइश के बाद भीड़ मानगई लेकिन अभी भी लोग भ्रमित है, क्‍योंकिफूड पैकेट नहीं मिलने के कारण लोगडीएसआे आफिसों में चक्कर काट रहे हैं।

2 . दूसरी बड़ी वजह डीलरों के अनुसार यह भी है कि फूडपैकेट में हालांकि राशन का खुला सामान ही होता है, जिसकीकहीं कोई कमी नहीं है। लेकिन इन्हें खुले सामान की पैकिंग मेंसमय लगता है जिसे एजेंसी अभी सुचारू ढंग से व्यवस्थितकर पाने में असफल है। यही कारण है कि सप्लाई की गतिकम है और उसके कारण इसके लाभार्थी इसका समय परलाभी नहीं उठा पा रहे हैं।