जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

कांग्रेस ने विधानसभा और लोकसभा चुनाव में जातिगत वोटबैंक को साधने और टिकटों को लेकर होने वाली मारामारी कम करने के लिए 2 मास्टर स्ट्रोक प्लान किए हैं। जातिगत वोट बैंक साधने के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की नेशनल टीम में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के अलावा राजस्थान के 4 और बड़े नेताओं का शामिल किया जाएगा। यह चारों राजस्थान से राज्यसभा सांसद हैं।

कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी), जिसका पुनर्गठन किया जा रहा है। इस कमेटी में पायलट महासचिव होंगे। उनके अलावा केसी वेणुगोपाल, रणदीप सिंह सुरजेवाला, मुकुल वासनिक, प्रमोद तिवारी भी खड़गे की नेशनल टीम में शामिल होंगे। इसके अलावा नीरज डांगी एआईसीसी में शामिल किए जाएंगे। इनके नामों की घोषणा इसी महीने में कर दी जाएगी। इन मौजूदा राज्यसभा सांसदों के अलावा दो पूर्व सांसदों भंवर जितेंद्र सिंह और रघुवीर मीणा व दो पूर्व विधायकों मोहन प्रकाश और धीरज गुर्जर को भी खड़गे की नेशनल टीम में जगह मिलने की संभावना है।

इसके अलावा कांग्रेस ने चुनावों से पहले टिकटों की मारामारी कम करने के लिए भी प्लान बनाया है। वर्तमान कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्युसी) के सदस्य रघुवीर मीणा ने भास्कर को बताया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे नई टीम बनाने की कवायद कर रहे हैं। जल्द ही सीडब्ल्यूसी और एआईसीसी की नई टीम सामने आ जाएगी। किसे क्या जिम्मेदारी दी जाएगी यह राष्ट्रीय अध्यक्ष का विवेकाधिकार है। साथ ही प्रदेश की स्क्रीनिंग कमेटी, चुनाव अभियान समिति, चुनाव घोषणा पत्र समिति सहित राष्ट्रीय टीमों की घोषणा भी जल्द होगी।

कौन और क्यों शामिल होंगे खड़गे की टीम में

खड़गे ऐसी टीम बनाना चाहते हैं, जिसमें राजस्थान की राजनीति को प्रभावित करने वाले जाट, ब्राह्मण, गुर्जर, दलित, मीणा जैसे बड़े वोट बैंक को साधने में मदद मिले। साथ ही ऐसे नेता आगे आ सकें, जो लंबे समय से कांग्रेस के अच्छे-बुरे दौर में साथ रहे हैं और किसी तरह की गुटबाजी से भी दूर हों।

नीरज डांगी : दलित वर्ग से आते हैं

दलित वर्ग से आने वाले नीरज डांगी राजस्थान में दो बार विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। जब से वे राज्यसभा सांसद बने हैं, तब से निरंतन सफलता की सीढ़ियां चढ़ रहे हैं। कांग्रेस में कोई नेता या गुट उनसे नाराज नहीं माना जाता। हाल ही कर्नाटक चुनावों की स्क्रीनिंग कमेटी में वे सदस्य थे। खड़गे उन्हें बहुत पसंद करते हैं। वे हाल ही उन्हें लैटिन अमेरिका जाने वाले संसदीय दल में अपना प्रतिनिधि बनाकर भेज चुके हैं। अब उन्हें एआईसीसी में सदस्य बनाने की तैयारी है।

मोहन प्रकाश : कई राज्यों के प्रभारी रहे हैं

मोहन प्रकाश कांग्रेस के सीनियर नेताओं में से गिने जाते हैं। अपनी विशेष समाजवादी सोच के चलते वे कांग्रेस में हर कालखंड में मजबूत स्तम्भ की तरह रहे हैं। कांग्रेस की तमाम गरीब हितैषी नीतियों में मोहन प्रकाश भी एक शिल्पी रहे हैं। हाल ही पार्टी ने उन्हें कर्नाटक चुनावों की स्क्रीनिंग कमेटी का चेयरमैन बनाया था। वे पहले भी कई राज्यों के प्रभारी भी रहे हैं। वे धौलपुर से एक बार विधायक भी रहे हैं।

रघुवीर मीणा : आदिवासी चेहरे के रूप में पहचान

दक्षिणी राजस्थान में एक खास आदिवासी चेहरे के रूप में रघुवीर मीणा को जाना जाता है। वे सांसद भी रहे हैं और एआईसीसी सदस्य भी रहे हैं। भाजपा भी गुजरात, मध्यप्रदेश और राजस्थान के सरहदी क्षेत्रों में बसे आदिवासी समाज को लुभाने के लिए कई तरह के राजनीतिक-सामाजिक कार्यक्रम आयोजित कर रही है।

हाल ही में उदयपुर में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दक्षिणी राजस्थान के आदिवासी समाज के बुद्धिजीवियों-रिटायर्ड अफसरों से राजनीतिक फीडबैक भी लिया था। ऐसे में कांग्रेस के लिए रघुवीर मीणा एक बड़ा और खास चेहरा हैं, जो सीधे उसी समाज से आता है। अब उन्हें सीडब्ल्यूसी या एआईसीसी में जगह मिलने की संभावना है। साथ ही मीणा को राजस्थान के कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष बनाए जाने की चर्चाएं राजनीतिक हलकों में चल रही हैं।

भंवर जितेंद्र सिंह : राजपूत चेहरे के रूप में पहचान

भंवर जितेंद्र सिंह अलवर के पूर्व राजघराने के सदस्य हैं। राजस्थान सहित समस्त उत्तर भारत में एक प्रमुख राजपूत चेहरे के रूप में पहचाने जाते हैं। वे केन्द्रीय मंत्री भी रहे हैं। हाल ही अलवर से लगातार दो बार सांसद का चुनाव हार चुके हैं।

उन्हें भी खड़गे की नेशनल टीम में जगह मिलने की संभावना है। क्योंकि राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा के गजेन्द्र सिंह शेखावत, दीया कुमारी और राजेन्द्र राठौड़ जैसे राजपूत चेहरों के सामने कांग्रेस को भी इस प्रभावशाली मतदाता वर्ग में किसी बड़े नेता की आ‌‌वश्यकता है। राजपूत समाज आम तौर पर कांग्रेस का वोटर नहीं माना जाता। ऐसे में भंवर जितेन्द्र सिंह की भूमिका बढ़ना तय है।

धीरज गुर्जर : युवा गुर्जर नेता के रूप में पहचान

गुर्जर वर्तमान राजस्थान बीज निगम के चैयरमेन हैं। वे जहाजपुर से पूर्व विधायक भी रहे हैं। गुर्जर समाज के युवा नेताओं में उन्हें गिना जाता है। उनका कद बढ़ाकर कांग्रेस राजस्थान सहित हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तरप्रदेश व मध्यप्रदेश के गुर्जर समुदाय भी अपना प्रभाव छोड़ना चाहती है। गुर्जर समुदाय राजस्थान की 40-45 सीटों पर पहले-दूसरे नंबर का मतदाता है और 40 अन्य सीटों पर भी प्रभावशाली है। ऐसे में धीरज का कद भी बढ़ सकता है।

कांग्रेस ने हाल ही में प्रदेश के विभिन्न जिलों में अध्यक्ष नियुक्त कर दिए हैं। इनके बाद अब इसी महीने स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन व सदस्यों की नियुक्तियां की जाएंगी। इसके अलावा इसी महीने पार्टी प्रदेश में पिछले साढ़े चार साल से रिक्त चल रही 14 यूआईटीज के चेयरमैन व सदस्य लगाने की प्रक्रिया भी पूरी करने वाली है।

साथ ही हाल ही सीएम गहलोत ने विभिन्न समाजों की मांग पर कल्याण बोर्ड बनाए थे। उनके अध्यक्षों की नियुक्तियां भी इसी महीने कर दी जाएंगी। हर बार सरकार बनने की साथ ही यूआईटीज में राजनीतिक नियुक्तियां कर दी जाती हैं। इनका कार्यकाल तीन साल रहता है। इस बार साढ़े चार साल बीत जाने पर भी इनमें नियुक्तियां नहीं की गईं।

बोर्ड में राजनीतिक नियुक्तियों से समाजों के वोट बैंक को साधा जाएगा

कुछ पुराने सामाजिक कल्याण बोर्ड जैसे देवस्थान बोर्ड, धरोहर प्रन्नोति प्राधिकरण पहले से ही रिक्त चल रहे हैं। अब उनके चेयरमैन नियुक्त किए जाएंगे। साथ ही महाराणा प्रताप बोर्ड, वीर तेजाजी बोर्ड, स्वर्ण रजत कला बोर्ड, राज्य रजक कला बोर्ड, महात्मा ज्योतिबा फुले बोर्ड, राज्य चर्म शिल्प कला जैसे बोर्ड गठित किए हैं।

इन बोर्ड को गठित करने के लिए लंबे समय से जाट, राजपूत, धोबी, माली, दलित, सुनार आदि समाजों के लोग मांग कर रहे थे। बोर्ड गठित होने पर इन समाजों के लोगों ने सीएम हाउस पहुंचकर सीएम गहलोत का आभार भी प्रकट किया था। अब इन बोर्ड में कांग्रेस सरकार अध्यक्ष-उपाध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति करने वाली है, ताकि चुनावों से पहले इनसे संबंधित समाजों तक सरकार व पार्टी का संदेश पहुंच सके।

नियुक्तियों से होंगे दो बड़े फायदे

कांग्रेस इस बार चुनावों से दो-ढाई महीने पहले ही विधायक बनने के उम्मीदवारों की घोषणा करना चाहती है। ऐसे में पार्टी टिकट मांगने वाले प्रभावशाली नेताओं में करीब 60-70 नेताओं-पदाधिकारियों को इन यूआईटीज और बोर्ड में अध्यक्ष-उपाध्यक्ष बनाकर खुश करना चाहती है।

हाल ही में इसी तरह 25-30 नेताओं को जिलाध्यक्ष बना दिया है। इससे न केवल वे लोग चुनाव में ज्यादा मेहनत के साथ जुटेंगे बल्कि पार्टी के समक्ष टिकट मांगने वालों की भीड़ भी स्वत: ही कम होगी तो टिकट देने के चयन में आसानी रहेगी। ऐसे में यह नियु्क्तियां जल्द करने पर काम चल रहा है।