जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

प्री प्राइमरी स्कूलों में आरटीई के तहत होने वाले एडमिश्न पर राज्य सरकार को स्कूलों को पुर्नभरण करना होगा। राजस्थान हाई कोर्ट ने आज यह आदेश स्कूल क्रांति संघ व अन्य निजी स्कूलों की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। स्कूलों ने राज्य सरकार के सर्कुलर में उस नियम को चुनौती दी थी, जिसमें सरकार ने कहा था कि निजी स्कूलों को प्री प्राइमरी (नर्सरी, एलकेजी, यूकेजी) में आरटीई के तहत एडमिश्न देना होगा। सरकार इसका पुर्नभरण नहीं करेगी।

जस्टिस इंद्रजीत सिंह की अदालत ने इस मामले में करीब 7 दिन लगातार सुनवाई करने के बाद आज राज्य सरकार के इस नियम को रद्द कर दिया है। वहीं, सरकार को निर्देश दिए है कि वह प्राइमरी एजुकेशन के तहत ही प्री प्राइमरी में एडमिश्न पर भी निजी स्कूलों को पुर्नभरण करें।

दरअसल, आरटीई के तहत राज्य में कक्षा 1 से कक्षा 8 तक उन परिवार के बच्चों को मुफ्त में एडमिश्न मिलता हैं। इनकी वार्षिक आय ढ़ाई लाख रुपए से कम है। जिसका पुर्नभरण निज़ी स्कूलों को सरकार द्वारा किया जाता हैं। लेकिन इस साल से सरकार ने प्री प्राइमरी की कक्षाओं में भी आरटीई के तहत प्रवेश देना निजी स्कूलों के लिए अनिवार्य कर दिया। लेकिन साथ ही इसका पुर्नभरण करने के लिए भी मना कर दिया। जिसे निजी स्कूलों में हाई कोर्ट ने चुनौती दी थी।

सरकार ने कहा- केन्द्र नहीं देता पैसा
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कोर्ट में कहा गया कि प्री प्राइमरी कक्षाओं में एडमिश्न के लिए केन्द्र सरकार राज्य को भुगतान नहीं कर रही हैं। ऐसे में हम स्कूलों को पैसा नहीं दे सकते हैं। इसका जवाब देते हुए निजी स्कूलों के अधिवक्ता प्रतीक कासलीवाल व अन्य ने कहा कि एक्ट में साफ लिखा है कि प्री प्राइमरी में पढ़ाने का दायित्व राज्य सरकार है। सरकार प्री प्राइमरी के लिए स्कूलें खोले। वहीं अगर निज़ी स्कूलों के लिए एडमिश्न अनिवार्य किया जाता है तो इसका पुर्नभरण राज्य सरकार को करना होगा।

दो स्तर पर ही होगा एडमिश्न
पुर्नभरण के साथ ही निज़ी स्कूलों ने आरटीई के तहत चार स्तर पर दिए जाने वाले एडमिश्न के नियम को भी चुनौती दी थी। इस नियम के तहत स्कूलों को नर्सरी, एलकेजी, एचकेजी औऱ फर्स्ट में आरटीई के तहत एडमिश्न देना था। निज़ी स्कूलों की ओर से कहा गया। यह नियम प्रैक्टिकल नहीं है। इस तरह से तो निज़ी स्कूलों में 25 प्रतिशत की सीमा से भी ज्यादा बच्चों को एडमिश्न मिलेगा। जिसका असर अन्य बच्चों पर भी पड़ेगा। ऐसे में एडमिश्न दो ही स्तर पर रखा जाए। जिसे कोर्ट ने मानते हुए नर्सरी व फर्स्ट क्लास में ही आरटीई के तहत एडमिश्न करने के निर्देश दिए है।