जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

करीब 10 साल पुराने एकल पट्टा प्रकरण में मंत्री शांति धारीवाल सहित रिटायर्ड आईएएस अधिकारी जीएस संधू, निष्काम दिवाकर और आरएएस अधिकारी ओंकारमल सैनी को हाई कोर्ट से राहत मिली है। हाई कोर्ट ने मामले में याचिकाकर्ता दिवंगत रामशरण सिंह के बेटे सुरेंद्र सिंह को सीबीआई जांच वाली याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी है।

इस पूरे मामले में जेडीए ने गणपति कंस्ट्रक्शन के प्रोपराइटर शैलेन्द्र गर्ग के नाम एकल पट्टा जारी किया था। जिसकी शिकायत परिवादी रामशरण सिंह ने 2013 में एसीबी में की थी। मामले की जांच करते हुए एसीबी ने तत्कालीन एसीएस जीएस संधू, डिप्टी सचिव निष्काम दिवाकर व जोन उपायुक्त ओंकारमल सैनी, शैलेन्द्र गर्ग और दो अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर इनके खिलाफ एसीबी कोर्ट में चालान पेश किया था। वहीं अन्य के खिलाफ मामले में जांच पेंडिंग रखी थी। मामला बढ़ने पर विभाग ने एकल पट्टा निरस्त कर दिया था।

इस बीच मंत्री शांति धारीवाल को एसीबी ने पूछताछ के लिए भी बुलाया था। जिसके खिलाफ धारीवाल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें भी उन्हें कोर्ट से राहत मिल गई थी।

सरकार बदलते ही एसीबी ने दी क्लोजर रिपोर्ट

दरअसल, पूरे मामले में सरकार बदलते ही एसीबी ने कोर्ट में साल 2022 में क्लोजर रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि जीएस संधू, निष्काम दिवाकर व ओंकारमल सैनी के खिलाफ मामला नहीं बनता है। ऐसे में एसीबी मामले को बंद करना चाहती है। जिसे एसीबी कोर्ट ने मंजूर कर लिया था।

इसके बाद एसीबी ने कोर्ट में चालान वापस लेने का प्रार्थना पत्र लगाया। जिसे एसीबी कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसकी अपील एसीबी व तीनों आरोपियों ने हाई कोर्ट में की। जिसे 12 जनवरी 2023 को हाई कोर्ट ने मंजूर कर लिया।

लेकिन इसी बीच परिवादी रामशरण सिंह की मृत्यु हो गई थी। लेकिन उनकी लगाई गई याचिका लंबित चल रही थी। जिसे वापस लेने के लिए रामशरण सिंह के बेटे सुरेंद्र सिंह ने कोर्ट से अनुमति मांगी थी। जिसका विरोध आरटीआई एक्टिविस्ट अशोक पाठक ने किया था। लेकिन कोर्ट ने याचिका विड्रो करने की अनुमति दे दी।