बीकानेर ब्यूरो रिपोर्ट। 

बीकानेर टेक्निकल यूनिवर्सिटी(बीटीयू) में कुलपति और कुलसचिव के बीच विवाद गहरा गया है। कामकाज में रुकावट बनने पर कुलसचिव को रिलीव करते हुए वीसी ने राज्य सरकार को रिपोर्ट भेज दी है। जबकि कुलसचिव ने इसे वीसी के क्षेत्राधिकार से बाहर बताया है।

बीटीयू में पिछले छह महीने से कुलपति और कुलसचिव के बीच विवाद चल रहा है। पिछले दिनों कुछ लेक्चरर के फिक्सेशन के बाद विवाद और बढ़ गया है।

कुलसचिव ने लेक्चरर को सातवां वेतनमान देने पर आपत्ति जताते हुए रिकवरी के आदेश दे डाले। इससे नाराज कुलपति प्रो. अंबरीश शरण विद्यार्थी ने कुलसचिव अशोक सांगवा को तत्काल प्रभाव से रिलीव कर दिया है और वेतन भी 10 जुलाई तक ही बनाने के आदेश वित्त नियंत्रक को दिए हैं। इसकी रिपोर्ट राजभवन और तकनीकी शिक्षा विभाग को भेजी गई है।

दरअसल कुलपति ने कुलसचिव सांगवा को कार्यविरत कर रखा है। इसके बावजूद सांगवा आदेश पर आदेश जारी कर रहे हैं। कुलपति ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए सांगवा पर अवैधानिक तरीके से कुलसचिव की सील का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है। सांगवा को कार्यमुक्त करते हुए उनकी सेवाएं तकनीकी शिक्षा विभाग को समर्पित कर दी गई हैं। कुलपति ने यह आदेश 10 जुलाई को जारी किए।

उसे देखते हुए कुलसचिव ने मंगलवार को एक अन्य कार्यालय आदेश जारी कर कुलपति के आदेश को क्षेत्राधिकार से बाहर बताया है। लिखा है कि ऐसा करके कुलपति ने सरकार के आदेश की अवहेलना की है। सांगवा ने कर्मचारियों के लिए लिखा है कि कुलसचिव के साथ वित्त नियंत्रक का चार्ज भी उन्हीं के पास है।

इसलिए संबंधित सभी पत्रावलियां पहले की तरह उन्हीं को भेजी जाएं। हालात ये है कि दोनों के बीच चल रहे इस लेटर वॉर से बीटीयू में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। हमने इस संबंध में कुलपति से बात करनी चाही, लेकिन सपंर्क नहीं हो सका।

बीटीयू में गलत फैसले लिए जा रहे हैं। फिक्सेशन पर आपत्ति की तो मुझे रिलीव कर दिया, जबकि कर नहीं सकते। मुझे राज्य सरकार ने लगाया है। प्रमुख सचिव के स्पष्ट आदेश हैं। राजभवन ने वित्त नियंत्रक का चार्ज दिया है। सरकार के आदेश तक नहीं मान रहे वीसी। - अशोक सांगवा, कुलसचिव, बीटीयू

8 लेक्चरर के फिक्सेशन पर आपत्ति
बीटीयू कुलसचिव अशोक सांगवा ने यूसीईटी के प्रिंसिपल को पत्र लिखकर आठ लेक्चरर के वेतन फिक्सेशन पर आपत्ति जताई है। इन कार्मिकों के मई के वेतन के डीए की गणना सातवें वेतनमान के तहत 42 प्रतिशत के समतुल्य की गई है। अप्रैल और मई के बेसिक और डीए की गणना में अंतर पाया गया है।

सांगवा ने इन सभी कर्मिकों से बढ़े हुए वेतनमान को लेकर स्पष्टीकरण मांगते हुए लिखा है कि ऐसा करके राजकोष को वित्तीय हानि पहुंचाई गई है। स्पष्टीकरण समय पर नहीं देने पर कार्मिकों के वेतन से रिकवरी करने के आदेश दिए हैं। दरअसल यूसीईटी प्रिंसिपल का चार्ज भी वीसी के पास ही है। यह पत्र सात जुलाई को जारी किया था। इसके बाद ही दोनों के बीच विवाद इतना गहराया कि वीसी ने कुलसचिव को रिलीव करने के आदेश जारी कर दिए।