विधानसभा में अपनी ही सरकार को घेरने के बाद मंत्री पद से बर्खास्त हुए राजेन्द्र गुढ़ा एक डायरी को लेकर चर्चा में हैं। उन्होंने दावा किया था कि सोमवार को वह सदन में बड़ा खुलासा करेंगे।
आखिर गुढ़ा कौन से राज खोलने वाले हैं, सभी की नजरें सोमवार पर टिकी हैं। कुछ लोगों का कयास है कि गुढ़ा के पास एक लाल रंग की डायरी है, जिसमें कई राज छिपे हुए हैं। खुद गुढ़ा भी ऐसी किसी डायरी की चर्चा इससे पहले दो बार कर चुके हैं।
सबसे पहले बर्खास्त मंत्री राजेन्द्र गुढ़ा का वो बयान पढ़िए, जहां से डायरी वाली बात सामने आई। गुढ़ा ने 15 मई, 2023 को जयपुर में सचिन पायलट की जन संघर्ष यात्रा के समापन समारोह के अवसर पर आयोजित जनसभा में इसका जिक्र करते हुए कहा था…
‘भाजपा के हेलिकॉप्टर खाली लौटाए, वो कौनसी जादूगरी थी। मेरे पास उनका हिसाब और सबूत हैं। हमारे पास सबूत हैं भाजपा विधायकों को खरीदने का, करोड़ों रुपए-पैसे का एक-एक सबूत इस राजेंद्र गुढ़ा के पास। किस-किस भाजपा विधायक को कितने पैसे दिए… मुझे पता है…मेरे पास सारे पुख्ता सबूत हैं।'
इस बारे में राजेंद्र गुढ़ा ने राज्य के एक दैनिक अखबार से बात की। प्रस्तुत है उस बातचीत के प्रमुखअंश
अब मैं संपूर्ण आजाद हो गया हूं (हंसते हुए)। मंडे को बताऊंगा। सोमवार को विधानसभा के अंदर सारे लोग होंगे। वहीं पर सभी से मिलूंगा।
नहीं सीएम से नहीं की कोई बात। सोमवार को विधानसभा में बड़ा खुलासा करूंगा। सरकार पर जब संकट आया था तो सरकार बचाने में हमने खूब साथ दिया था। बसपा से कांग्रेस में आए सभी 6 विधायक संकट के समय चट्टान की तरह सरकार बचाने में अडिग रहे थे।
डायरी के कारण राज्य सरकार संकट में पड़ सकती थी। उस डायरी को राजेंद्र गुढ़ा ही धर्मेंद्र राठौड़ के घर से निकालकर लाया था, उस समय सरकार की मदद की थी। मुझे ये टास्क दिया गया था और कहा गया था कि किसी भी कीमत पर डायरी निकाल कर लाओ। जब मैंने टास्क पूरा किया, तो मेरी काफी तारीफ की और बार-बार पूछा गया कि उस डायरी को जलाया या नहीं। यदि उस डायरी में कुछ गड़बड़ नहीं होती, तो जलाने को क्यों कहा जाता।
आखिर गुढ़ा कहां से डायरी निकालकर लाए, क्या था वो पूरा घटनाक्रम?
वर्ष 2020 में सचिन पायलट गुट ने बगावत का बिगुल फूंक दिया गया था। वाट्सएप पर पायलट के ऑफिशियल ग्रुप में 12 जुलाई को राजस्थान सरकार के अल्पमत में होने का मैसेज भेजा गया। इसके बाद मुख्यमंत्री गहलोत के करीबी राजस्थान स्टेट इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष राजीव अरोड़ा और आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ के यहां आयकर विभाग और ईडी की रेड हुई। ये रेड करीब 24 जगह हुई थी।
इस रेड के समय से ही अंदरखाने डायरी की चर्चा राजनीतिक हलकों में थी, लेकिन दो साल तक किसी ने भी खुलकर कभी कुछ नहीं बोला। नवंबर, 2022 में राजेंद्र गुढ़ा ने डायरी को लेकर खुलासे किए। उन्होंने कहा कि रेड के समय हमें टास्क दिया गया था। उसके बाद धर्मेंद्र राठौड़ के जयपुर में सोमदत्त स्थित अपार्टमेंट पहुंचे। यहीं पर आयकर विभाग और ईडी की रेड हुई थी।
रेड के समय 150 से ज्यादा सीआरपीएफ के जवान तैनात थे। रेड के दौरान स्थानीय पुलिस की भी कोई मदद नहीं ली गई थी। जैसे-तैसे भीतर घुसकर राजेन्द्र गुढ़ा डायरी लाने में कामयाब हो गए। उन्होंने यह भी कहा कि इस दौरान हुई खींचतान में उनके कुछ साथियों को चोटें आईं। हालांकि उन्होंने खुले मंच पर कभी यह नहीं कहा कि उस डायरी में है क्या?
कितनी थी डायरियां, उनमें क्या है और अब वो कहां हैं?
करीबी सूत्रों के अनुसार धर्मेंद्र राठौड़ को डायरी लिखने की आदत थी। वह कई साल से रोजाना की मुलाकातें, बातचीत या उनके सामने घटने वाली घटना को तारीख दर तारीख डायरी में लिख देते थे। कांग्रेस से जुड़े नेता और धर्मेंद्र राठौड़ के करीबी भी ये बात जानते हैं। सूत्रों के अनुसार रेड के समय राठौड़ के पास दो डायरियां थीं और इनमें से एक राजेंद्र गुढ़ा ले आए थे। दूसरी डायरी ईडी के अधिकारी अपने साथ ले गए थे।
सूत्रों के अनुसार डायरी में वर्ष 2020 के सियासी घमासान से करीब 8 महीने पहले की राज्य सरकार से जुड़ी कई बड़ी घटनाओं, नेताओं के बीच का वार्तालाप आदि का जिक्र है। इस सभी का जिक्र धर्मेंद्र राठौड़ ने अपनी डायरी में कर रखा था। राजेंद्र गुढ़ा दावा करते हैं कि इनमें से एक डायरी उनके पास है, जिसमें सभी सबूत हैं कि राज्य सरकार को बचाने के लिए कांग्रेस की ओर से क्या-क्या प्रयास किए गए।
क्या गुढ़ा उस डायरी को लेकर ब्लैकमेल कर रहे थे?
गुढ़ा के नजदीकी नेताओं से जब डायरी के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा कि हमने कभी वो डायरी नहीं देखी, लेकिन गुढ़ा दावा करते हैं कि उनके पास जो डायरी है, उसमें कई ऐसी गोपनीय बातें लिखी हैं, जिससे कांग्रेस और कुछ नेता संकट में आ जाएंगे। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि गुढ़ा ने अभी तक अपने पास डायरी होने को लेकर कभी किसी नेता को ब्लैकमेल नहीं किया।
सोमवार को क्या खुलासा कर सकते हैं गुढ़ा?
जब से गुढ़ा ने खुलासा करने की बात कही है तब से कई नेताओं में खलबली मची हुई है। सभी की नजरें सोमवार को होने वाले विधानसभा सत्र पर टिकी हैं। माना जा रहा है कि वे इसी डायरी को लेकर कोई खुलासा कर सकते हैं। बर्खास्त करने होने के बाद भी गुढ़ा के तेवर कम नहीं हुए हैं। उन्होंने साफ कहा है कि मुझे इस्तेमाल किया गया। मुझे मंत्री पद का कोई मोह नहीं है। मैंने हर बार कांग्रेस का साथ दिया, लेकिन अब साथ देने से पहले सौ बार सोचूंगा।
गहलोत के कट्टर समर्थक गुढ़ा ने कैसे बदला पाला?
पिछली गहलोत सरकार के वक्त राजेंद्र गुढ़ा ने ही खुद सहित छह बसपा विधायकों का कांग्रेस में विलय कराने में बड़ा रोल निभाया था। साल 2018 में एक बार फिर ऐसा ही मौका आया। गुढ़ा ने अपने सहित बसपा के टिकट पर जीते सभी विधायकों को लेकर कांग्रेस सरकार को समर्थन दे दिया। बाद में सितंबर 2019 में सभी 6 विधायकों ने कांग्रेस में विलय कर दिया था।
लेकिन इस बार लंबे समय तक बसपा से कांग्रेस में आने वाले छह विधायकों को पद नहीं दिए गए। नाराजगी बढ़ने का यह भी एक बड़ा कारण था। नवंबर 2021 में राजेंद्र गुढ़ा को राज्य मंत्री बनाया गया। कैबिनेट मंत्री नहीं बनाए जाने से भी वह नाराज थे, इस वजह से उन्होंने लंबे समय तक सचिवालय में मंत्री पद का चार्ज तक नहीं लिया था। राजेंद्र गुढ़ा गहलोत सरकार के पिछले कार्यकाल में भी राज्य मंत्री थे, इसलिए वे चाहते थे कि इस बार कैबिनेट का दर्जा मिले।
राजेंद्र गुढ़ा सीएम अशोक गहलोत के कट्टर समर्थक थे, लेकिन डेढ़ साल पहले से दूरियां बननी शुरू हो गई थीं। इस बीच गुढ़ा पायलट के नजदीक आए। पिछले सवा साल से वह लगातार पायलट के समर्थन और सरकार के खिलाफ जमकर बयानबाजी कर रहे थे।
गुढ़ा गुट के विधायकों की कौन सी मांगें पूरी नहीं हुई?
गुढ़ा के करीबी नेताओं का कहना है कि मंत्री बनाने के बाद अच्छा पोर्टफोलियो नहीं मिलने को लेकर वे कई बार नाराजगी जताते रहे हैं। वहीं, बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए अन्य विधायकों को अच्छे पद नहीं मिलने से भी वे नाराज रहे। वे चाहते थे कि सरकार के संकट में साथ देने के बावजूद उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया। हम में से 2 या 3 मंत्री बनाए जाने चाहिए थे।
क्या गुढ़ा और बसपा से कांग्रेस में आए बाकी विधायक समर्थन वापस लेंगे?
अभी तक गुढ़ा के अलावा किसी भी विधायक की तरफ से प्रतिक्रिया नहीं आई है। गुढ़ा ने भी पार्टी से समर्थन वापस लेने जैसा कोई बयान नहीं दिया है। सूत्रों के अनुसार अगर ये विधायक कांग्रेस से अपना समर्थन वापस भी ले लेते हैं, तो भी सरकार पर कोई संकट नहीं आने वाला है। क्योंकि सरकार के पास निर्दलियों सहित कुल 122 विधायकों का आंकड़ा हैं। वहीं, अब ये विधायक कांग्रेस के ही हैं। इसलिए पार्टी छोड़ेंगे तो सदस्यता पर संकट होगा।
0 टिप्पणियाँ