चित्तौड़गढ़ - गोपाल चतुर्वेदी
चित्तौड़गढ़ मे नगर परिषद और जिला प्रशासन की लापरवाही के चलते बड़े बरसाती नालों पर अतिक्रमण होने से इस मौसम की पहली मूसलाधार बरसात नें पूरे शहर के ड्रेनेज सिस्टम की पोल खोल कर रख दी। इस मानसूनी बरसात के मौसम मैं पहली बार 1 घंटे मूसलाधार बरसात देखने को मिले जिसमें मुख्यालय के अधिकांश गली - मोहल्लों और बाजारों में पानी कहने मात्र को बड़े नालों जो कि अब अतिक्रमण के चलते छोटी नालियों में तब्दील हो चुके हैं उनसे पानी विद्यालयों, दुकानों और घरों में घुस गया। रेलवे फाटक के पास स्थित अंडर ब्रिज मे और बाईपास पर ओवर ब्रिज के नीचे पानी भर जाने से यातायात भी अवरुद्ध हो गया। वहीं सड़कों पर भरे पानी के चलते कई दोपहिया और चार पहिया वाहन धारी काफी परेशानी में दिखाई दिये और नगर परिषद और जिला प्रशासन को कोसते दिखाई दिए।
जानकारी में सामने आया है कि नगर परिषद की ओर से बरसाती नालों की सफाई के लिए लाखों रुपए के टेंडर जारी किए जाते हैं लेकिन इन बरसाती नालों की सफाई नाम मात्र की ही होती है। शहर के कई बड़े नालों कुछ वर्षों पूर्व तक जिनकी चौड़ाई लगभग 10 फीट हुआ करती थी अब वह घट कर 2 से 3 फीट चौड़ाई तक सिमट कर रह गए हैं और इन नालों को राजनीतिक संरक्षण के चलते उनको ढकवा कर अतिक्रमण कर लिया गया जिनके ऊपर कई शिकायतें दर्ज होने के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई। कई जगहों पर सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे होने के कारण भी शहर में ड्रेनेज सिस्टम फेल हुआ है लेकिन राजनेताओ के संरक्षण में ऊंचे रसूखदार लोग बेशकीमती जमीनों पर कब्जे किए बैठे हैं। जब इस तरह की प्राकृतिक आपदा आती है तो इसका खामियाजा सभी लोगों को भुगतना पड़ता है जैसा कि गुरुवार को हुई एक घंटे के मूसलाधार बरसात में देखा गया कि नालियों से पानी और फ्लो होकर सड़कों और उसके बाद घरों दुकानों पर स्कूलों में घुसता दिखाई दिया और कुछ स्कूलों के संचालक इस ड्रेनेज सिस्टम के विरोध में आक्रोशित दिखाई दिए।
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