जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

कला संस्कृति व साहित्य विभाग राजस्थान सरकार के सहयोग से जयपुर आर्ट ड्रामेटिक सोसाइटी की ओर से रवींद्र मंच के मुख्य सभागार में संगीतमय व हास्य, व्यंग्य पर आधारित नाटक अंधेर नगरी चौपट राजा का मंचन किया गया। लोक संगीत से सजे प्रसिद्ध नाटक का निर्देशन हिमांशु झांकल ने किया व संगीत मुकेश वर्मा ने तैयार किया। कार्यक्रम संयोजक मरगूब अहमद पटेल ने बताया कि अंधेर नगरी प्रसिद्ध साहित्यकार भारतेंदु हरिश्चंद्र का लोकप्रिय नाटक है। इस नाटक में विवेकहीन और निरंकुश शासन व्यवस्था पर करारा व्यंग्य करते हुए उसे अपने ही कर्मों की ओर से नष्ट होते दिखाया गया है।

भारतेंदु ने इसकी रचना बनारस के हिंदू नेशनल थिएटर के लिए एक ही दिन में की थी। अंधेर नगरी हिंदी नाट्य इतिहास मे सबसे अधिक मंचित होने वाला नाटक है, जिसे ब.व. कारांत, देवेंद्र राज अंकुर जैसे देश के नामी रंग निर्देशकों ने निर्देशित किया है। नाटक एक नगरी की कहानी है जहां सभी टके सेर मिलता है, जहां मुर्ख, बुद्धिमान, योग्य, अयोग्य, मिट्टी, सोना सब समान है। उस नगरी का राजा बकरी के मारे जाने की सजा बारी-बारी से सबको सुनाता है और अंत मे महंत के शिष्य गोवर्धन को सजा देने पर खुद अपने ही जाल मे फंस कर मृत्यु को प्राप्त होता है। नाटक में हास्य और व्यंग्य के दृश्यों को लोक संगीत की धुनों के ताने-बाने से बुन कर एक विवेकहीन राजा को अपने ही कर्मो की सजा को मिलते हुए दिखाया गया है।

नाटक मे राजा की अहम भूमिका नवांगतुक कलाकार दीपक मुसाफिर ने निभाई, गोवर्धनदास की भूमिका विनोद कुमार परिडवाल, महंत की भूमिका मनीष पारिक, मंत्री की भूमिका सोनू शर्मा, कोतवाल की भूमिका पवन सोनी, फरियादी और चने वाले की भूमिका अजय सेन, नारंगी वाली की भूमिका रीना यदुवंशी ने निभाई। अन्य भूमिकाओं मे मनोज इडीवाल, हिमांशु श्रीवास्तव, सुनील सेन, निखिल मिश्रा, राहुल राय, योगेंद्र सिंह शेखावत एवं यदुनंदन कोशिक ने अभिनय किया, प्रकाश परिकल्पना शहजोर अली व रूप सज्जा असलम पठान की ओर से की गई। ढोलक पर दौलत सिंह ने संगत की।