चित्तौड़गढ़ - गोपाल चतुर्वेदी 

केंद्र और राज्य सरकार देश में चिकित्सा सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है जिससे की निरोगी राजस्थान का सपना साकार हो सके। वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग के कुछ चिकित्सक और नर्सिंग कर्मी सरकार की इस मंशा को पलीता लगाने में लगे हैं। जिसमें चित्तौड़गढ़ क्षेत्र के मानपुरा और आछोड़ा उप स्वास्थ्य केंद्र पर कार्यरत नर्सिंग कर्मी अपने आप को शहंशाह मानते हुए मनमर्जी से उप स्वास्थ्य केंद्र को संचालित कर रहे हैं।  दूसरी ओर सेमलपुरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर कार्यरत चिकित्सक और नर्सिंग कर्मी भी अपनी मनमर्जी के मालिक बने हुए हैं। जब हमारी टीम ने सोमवार सवेरे इन स्वास्थ्य केंद्रों का सवेरे निरीक्षण किया तो वहां पर पाया कि मानपुरा उप स्वास्थ्य केंद्र पर कार्यरत नर्सिंग कर्मी सवेरे 8:45 बजे तक उप स्वास्थ्य केंद्र को खोलना उचित नहीं समझा।  दूसरी ओर सेमलपुरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर कार्यरत चिकित्सक डॉक्टर ललित भारद्वाज और एल एच धनवंतरी मीणा 9:00 बजे तक भी स्वास्थ्य केंद्र पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने नहीं पहुंचे। जब इसके बारे में स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत अन्य नर्सिंग कर्मियों से जानकारी प्राप्त की तो उन्होंने बताया कि आज एक आवश्यक बैठक होने के कारण दोनों ही बैठक में गए हैं। जब इसके बारे में सीएमएचओ रामकेश गुर्जर से जानकारी प्राप्त की उन्होंने किसी भी तरह की बैठक होने से इनकार कर दिया। तीसरा मामला आछोड़ा गांव का है जहां पर उप स्वास्थ्य केंद्र के ताले महीने में एक या दो बार ही खोलने का मामला सामने आया है। ग्राम वासियों ने बताया कि यहां पर कार्यरत नर्सिंग कर्मी महीने में एक दो बार ही उप स्वास्थ्य केंद्र पर आती हैं। इस उप स्वास्थ्य केंद्र के बाहर का हाल बिल्कुल जंगल जैसा पाया गया जहां पर पूर्व उप स्वास्थ्य केंद्र के बाहर और आसपास बड़ी मात्रा में घने पौधे दिखाई दिए जहां से उपचार करवाने आने वाले मरीजों के लिए उप स्वास्थ्य केंद्र के मुख्य गेट तक जाना भी दुश्वार होता दिखाई दे रहा है। स्वास्थ्य केंद्र को देखकर लगता है कि विगत कई महीनों से इसके आसपास की सफाई नहीं हुई है।