बीकानेर ब्यूरो रिपोर्ट। 

बीकानेर टेक्निकल यूनिवर्सिटी में एक बार फिर कुलपति और कुलसचिव के बीच विवाद हो गया है। कुलपति ने कुलसचिव की शक्तियां छीन कर उनके विरुद्ध जांच बैठा दी है, जबकि कुलसचिव का कहना है कि परीक्षा नियंत्रक को उनका चार्ज सौंपकर गलत काम कराए जा रहे हैं।

बीटीयू कुलपति प्रो. अंबरीश शरण विद्यार्थी और कुलसचिव अशोक सांगवा के बीच पिछले तीन-चार महीने से कामकाज को लेकर खींचतान चल रही है। कुछ लेक्चरर ने कुलसचिव की शिकायत वीसी से की है। दोनों ही एक-दूसरे के खिलाफ कई पत्र सरकार को लिख चुके हैं। प्रमुख शासन सचिव, राज्यपाल सुबीर कुमार ने बीटीयू कुलपति के नाम 30 मई को एक आदेश जारी किया कि जब तक वित्त नियंत्रक का पदस्थापन नहीं होता, इस कार्य का संपादन कुलसचिव से ही कराया जाए। कुलपति नहीं माने और 15 जून को कुलसचिव की शक्तियां छीन ली।

कुलसचिव का चार्ज परीक्षा नियंत्रक डॉ. मुकेश जोशी को सौंप दिया। सांगवा ने तकनीकी शिक्षा विभाग को लिखा तो संयुक्त शासन सचिव राजेश कुमार चौहान 22 जून को आदेश जारी कर क्लियर किया कि कुलसचिव का कार्य सांगवा ही देखेंगे। उन्होंने डॉ. मुकेश जोशी की ओर से 15 जून के बाद जारी सभी आदेश प्रभावहीन कर दिए। उसके बाद 24 जून को सांगवा ने राजभवन के पत्र का हवाला देते हुए कार्यालय आदेश जारी किया कि कुलसचिव और वित्त नियंत्रक से संबंधित समस्त पत्रावलियां उन्हें भेजी जाएं। इस पर कुलपति नाराज हो गए और उसी दिन एक आदेश जारी कर अशोक सांगवा को कार्यविरत कर दिया। उनका कार्यालय आदेश निरस्त करते हुए कार्यप्रणाली की जांच के लिए दो सदस्यों की कमेटी बैठा दी। कुलसचिव का काम परीक्षा नियंत्रक मुकेश जोशी को सौंप दिया।

राज्यपाल को पत्र लिखकर उनसे मार्ग दर्शन मांगा और इसकी सूचना कार्मिक विभाग को भेज दी। अब सारी फाइलें डॉ. जोशी ही निबटा रहे हैं। सांगवा को नहीं भेजी जा रहीं। एक साल में कुलपति और कुलसचिव के बीच विवाद का यह दूसरा मामला है। इससे पहले तत्कालीन कुलसचिव नरेंद्र थोरी से भी कुलपति का विवाद लंबा चला था।

एक्सपर्ट : कुलपति को अधिकार नहीं कुलसचिव की शक्तियां छीनने का
आरएएस एसोसिएशन के संभाग अध्यक्ष एवं अतिरिक्त संभागीय आयुक्त एएच गौरी का कहना है कि रूल और बिजनेस के तहत कुलसचिव की शक्तियां निहित हैं। वह सरकार के नोमिनी के तहत काम करता है। कुलपति को उनके काम से आपत्ति है तो तकनीकी शिक्षा विभाग को लिखे। लेकिन शक्तियां छीनने का अधिकार कुलपति को नहीं हैं। कुलसचिव के होते हुए किसी दूसरे अधिकारी को चार्ज देकर कराया गया काम अवैध और गैर कानूनी होगा।

डिजिटल ई-वैल्यूएशन का टेंडर और एरियर बना विवाद का कारण
कुलपति और कुलसचिव के बीच विवाद डाटा प्रोसेसिंग के टेंडर, कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग का एरियर देने सहित कई मुद्दों को लेकर उत्पन्न हुआ है। कुलसचिव के रहते हुए उनकी फाइलें परीक्षा नियंत्रक डॉ. मुकेश जोशी द्वारा निकाली जा रही थीं। पता चलने पर कुलसचिव ने उन्हें नोटिस जारी कर कठोर अनुशासनात्मक कार्यवाही की चेतावनी दे डाली। साथ ही स्पष्टीकरण भी मांगा। दरअसल डिजिटल ई-वैल्यूएशन डाटा प्रोसेसिंग का टेंडर किया गया था। इसके तहत स्टूडेंट्स की कॉपियों की जांच ऑन लाइन होगी। यह टेंडर 80-90 लाख में एक फर्म को दिया गया है। जबकि पहले यह काम ऑफ लाइन हो रहा था, जिस पर करीब 47 लाख रुपए ही खर्च हो रहे थे।

सांगवा ने इस टेंडर पर ऑब्जेक्शन लगा दिए और रिपोर्ट तकनीकी शिक्षा विभाग को भेज दी। विभाग ने फाइल तलब कर ली, लेकिन कुलपति की ओर से भेजी ही नहीं गई। बाद में इसके टेंडर ही जारी हो गए। कुलपति कार्यालय का कहना है कि डिजिटल ई-वैल्युएशन को पायलट प्रोजेक्ट के तहत लिया गया है। सक्सेस होने पर कंटीन्यू किया जाएगा। उनका दावा है कि अधिकांश यूनिवर्सिटीज में कॉपियों की जांच ऑन लाइन होने लगी है। जबकि कुलसचिव का मत है कि बीटीयू के अधीन प्रदेश में 42 कॉलेजों के करीब 4500 स्टूडेंट्स ही हैं। ऑफ लाइन काम में खर्चा कम आता है। ऑन लाइन की आवश्यकता ही नहीं है। पिछली बार भी इसी टेंडर को लेकर विवाद हुआ था।

कुलसचिव काम नहीं कर रहे हैं। नियमों को उल्लंघन कर रहे हैं। उनके काम में काफी अनियमितताएं मिली हैं। इसकी जांच के लिए कमेटी बना दी है। सरकार को भी लिख दिया गया है। डिजिटल ई-वैल्युएशन का काम रिजल्ट जल्दी जारी करने के लिए जरूरी है। इससे काम में तेजी आई है। प्रो. अंबरीश शरण विद्यार्थी, कुलपति, बीटीयू

ये कैसे कुलपति हैं, जो सरकार की ही नहीं मानते। मुझे सरकार ने यहां लगाया है और मेरा काम एक टीचर से कराया जा रहा है। मुझे फाइलें ही नहीं भेजी जा रही हैं। डिजिटल ई-वैल्युएशन के टेंडर भी गलत किए गए हैं। उसमें काफी खामियां हैं। तकनीकी शिक्षा विभाग को फाइल तक नहीं भेज रहे। अशोक सांगवा, कुलसचिव, बीटीयू