चित्तौड़गढ़ - गोपाल चतुर्वेदी
चित्तौड़गढ़ जिला राजकीय सांवलियाजी चिकित्सालय में सरकार बदलने के साथ ठेकेदार तो बदल जाते हैं लेकिन नहीं बदलती है तो ठेका कर्मियों की किस्मत। इसका प्रमुख कारण यह है कि राज्य के साथ सत्ताधारी पार्टी के ठेकेदार ठेका लेने में कामयाब रहते हैं और वहीं ठेकेदार कार्मिकों का शोषण भी कर रहे हैं। ऐसा ही प्रत्यक्ष उदाहरण बुधवार को जिला राजकीय चिकित्सालय में देखने को मिला जिसमें ठेकेदार की मनमर्जी के चलते चिकित्सालय में कार्यरत ठेका कर्मियों का विगत 3 महीनों से भुगतान नहीं किया गया। जिसके विरोध में समस्त ठेका कर्मी आज हड़ताल पर उतर आए। जिसके कारण चिकित्सालय में व्यवस्थाएं भी बिगड़ती देखी गई। चिकित्सालय प्रशासन और ठेकेदार की ओर से पूरा भुगतान एक साथ करने का आश्वासन मिलने के बाद ठेका कर्मी हड़ताल समाप्त करने पर सहमत हुए।
जानकारी के अनुसार जिला राजकीय चिकित्सालय में सरकार के ठेका प्रथा समाप्त करने के आदेश निकाले जाने के बाद भी आज तक चिकित्सालय प्रशासन ठेकेदारों पर मेहरबान दिखाई दे रहा है। जिसका प्रमुख कारण यह है कि राजनेताओं के दबाव में चिकित्सालय प्रशासन को सभी ठेकेदारों के ठेकों को आगे बढ़ाया गया है। चिकित्सालय में रिलायंस सिक्योरिटी के नाम से खुले हुए अधिकांश ठेके एक ही व्यक्ति द्वारा संचालित किए जा रहे हैं लेकिन उपरोक्त ठेकेदार द्वारा लगातार ठेका कर्मियों का शोषण करने का मामला सामने आया है। ठेका कर्मियों ने बताया कि लगातार उनका 3 से 4 महीने का वेतन ठेकेदार द्वारा रोका जा रहा है और ठेकेदार स्वयं इस बड़ी राशि को अपने निजी कार्य में ले रहा है। इसी के विरोध में आज चिकित्सालय में कार्यरत गार्ड, कंप्यूटर कर्मी, ट्रॉली मेंन सहित अन्य ठेका कर्मी सवेरे से हड़ताल पर उतर गए। जिसके कारण चिकित्सालय में मरीजों की लंबी-लंबी कतारें देखी गई और अवस्थाओं का आलम देखा गया।
चिकित्सालय के पीएमओ डॉ दिनेश वैष्णव द्वारा ठेका कर्मियों से बात भी की गई लेकिन ठेका कर्मी अपने वेतन दिलवाने की मांग पर अड़े रहे। कुछ ही देर बाद संबंधित ठेकेदार के पहुंचने पर बातचीत और डराने धमकाने का दौर हुआ, वही ठेकेदार की ओर से 1 महीने का वेतन डालने की बात कही गई जिस पर ठेका कर्मी सहमत नहीं हुए और हड़ताल जारी रखने पर आमदा रहे।
जानकारी में सामने आया है कि विगत कई वर्षों से प्रदेश में राज बदलता है इसके साथ सत्ताधारी पार्टी के ठेकेदार भी ठेके लेने के लिए सक्रियता से आगे आते हैं और ठेका कर्मियों का शोषण भी उनके द्वारा किया जाता है।विरोध करने के बाद ठेका कर्मी को काम से निकालने की धमकी भी दी जाती है। पारिवारिक मजबूरी के चलते ठेका कर्मी भी यहां पर दबाव में काम करते दिखाई देते हैं जिसका प्रमुख कारण यह है कि ठेकेदारों पर स्थानीय शीर्ष नेताओं का सिर पर हाथ होने के कारण ठेकेदार मनमर्जी से ठेका कर्मियों से काम लेकर समय पर भुगतान नहीं करते हैं। पहले भी कई बार मीडिया की दखलन्दाजी के बाद ठेकेदार द्वारा ठेका कर्मियों का भुगतान किया गया। लेकिन चिकित्सालय प्रशासन को भी ठेका कर्मियों की जायज मांग को पूरा करने के लिए आगे आना चाहिए।
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