जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

इस नाटक की कहानी में बच्चों को शिक्षा से जोड़ने का सन्देश देती है. जिसके माध्यम से बताया गया है. किसी भी कुरूतियों की बेड़ी को काटने का एक मात्र यंत्र शिक्षा है जो बेड़ियों को तोड़ कर खुले गगन में उड़ने के पंख तैयार करती है. गरीब के बच्चे इसलिए पढ़ते हैं की उनके सपने पूरे हो जाए वह किताबों में अपने सपने ढूंढते हैं पर गरीबी और लाचारी उनके सपनों को पूरा नहीं करने देती है बहुत मेहनत करते हैं उनमें से चंद लोग हि सपनों को पूरा कर पाते, हैं,, यह कहानी है उन्हीं बच्चों की जो किताब के पन्नों में अपने सपनों को साकार करने के लिए प्रयास करते हैं और कहते हैं किताब के पन्नों में कैद हैं हमारे सपने इस नाटक की परिकल्पना वरिष्ठ रंगकर्मी मनोज स्वामी ने की इस नाटक में सागर गढ़वाल, जीवितेश शर्मा, मिहिजा शर्मा कवितेश शर्मा ने किया। इस नाटक में संगीत अनिल मारवाड़ी का रहा और प्रकाश परिकल्पना राजेंद्र शर्मा राजू ने की