जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

की पुस्तक बावड़ती बेळां   का विमोचन किया गया। राजस्व विभाग के अध्यक्ष वरिष्ठ आईएएस राजेश्वर सिंह, साहित्यकार कृष्ण कल्पित, कामना राजावत और प्रमोद शर्मा ने पुस्तक बावड़ती बेळां  का विमोचन किया। 

इसके पश्चात कामना राजावत ने वरिष्ठ साहित्यकार कृष्ण कल्पित के साथ संवाद किया। स्टेशन रोड स्थित होटल आईटीसी राजपूताना में रविवार को हुए इस कार्यक्रम में साहित्यकार कल्पित ने कहा कि साहित्य लेखन में और विशेषकर कविता लेखन में छंद और बिना छंद की कविताओं के विवाद में ना पढ़कर कविता लेखन करना चाहिए। कविता गद्य और पद्य दोनों में हो सकती है इस बात को संस्कृत कवियों ने भी लिखा है। जब हजार साल पहले हमारे पूर्वजों ने इस बात को लिख दिया इस विवाद में न पड़कर साहित्य लेखन और कविता लेखन पर ही पूर्णता से ध्यान देना चाहिए। क्योंकि कविता मन से निकलती है हृदय से हृदय में उतरने वाली ही सच्ची कविता कहलाती है। हमारे कई संस्कृत, हिंदी के और राजस्थानी भाषा के साहित्यकारों ने और कवियों ने ऐसी ही कई कविताओं का सृजन किया है जो अमर है। 

इसी तरह काव्यशास्त्र लिखने की भी हमारी पुरानी परंपरा है पहले कविता होनी चाहिए फिर शास्त्र लिखना चाहिए। हिंदी भाषा में एक भी पूर्ण काव्यशास्त्र नही है इसलिए मैंने यह दुस्साहस किया मैंने लिखा है कि इसे शास्त्र नहीं मानकर मेरे विचार ही मान ले। संस्कृत के कवि राजशेखर ने भी काव्यमीमांसा लिखी है।

राजस्थानी भाषा और साहित्य के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा को आगे बढ़ाने के लिए हमें इसमें और अधिक साहित्य लेखन सहित विभिन्न विषयों में भी लेखन बढ़ाना होगा। साथ ही दूसरी क्षेत्रीय भाषाओं सहित विदेशी भाषाओं का अनुवाद भी करना होगा। अपनी भाषा के पाठकों की संख्या बढ़ाकर ही हम राजस्थानी भाषा को आगे बढ़ा सकते हैं। अपनी साहित्य यात्रा, पुस्तकों और पुस्तक बावड़ती बेळां  के बारे में बताते हुए उन्हें इस पुस्तक की कुछ कविताएं भी पढ़ी।

कार्यक्रम के अंत में ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन के प्रमोद शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन प्रदक्षिणा पारीक ने किया। इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार लोकेश कुमार साहिल, वरिष्ठ पत्रकार गोपाल शर्मा, जनसंपर्क विभाग में सहायक निदेशक राजेश व्यास, मुख्यमंत्री कार्यालय में विशेष अधिकारी फारुख आफरीदी, प्रोफेसर सत्यनारायण, पूर्व लोक सेवा आयोग सदस्य आरडी सैनी, ठाकुर दुर्गा सिंह मंडावा आदि साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे। 

ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन और प्रभा खेतान फाउंडेशन की ओर से राजस्थान भाषा का यह कार्यक्रम नियमित रूप से हर एक माह के बाद आयोजित किया जाता है। वर्ष 2016 में क्षेत्रीय भाषाओं को प्रोत्साहित करने के लिए प्रभा खेतान फाउंडेशन और ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन की ओर से आखर की शुरूआत की गई थी। इसके अंतर्गत राजस्थानी भाषा साहित देश की 9 क्षेत्रीय भाषाओं में संवाद किया जाता है। इस क्रम में राजस्थानी भाषा के 100 से अधिक साहित्यकारों के साथ संवाद कार्यक्रम आयोजित किया जा चुका है।