करौली ब्यूरो रिपोर्ट। 

करौली में गांव चैनपुर बर्रिया के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले छात्र ने एक ऐसी व्हील चेयर बनाई है, जो आंखों के इशारों से चलती है। यह व्हील चेयर आने वाले समय में बिना हाथ और बिना पैर वाले दिव्यांगजनों के लिए किसी वरदान साबित होगी।

नीरज द्वारा बनाई गई व्हीलचेयर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस के सहारे दिव्यांगजन बिना किसी मेहनत के केवल इस पर बैठकर और आंखों के इशारे से इधर-उधर अपनी इच्छा अनुसार घूम सकते हैं। इतना ही नहीं नीरज अपनी इस हाथ से तैयार की गई व्हीलचेयर से जिला स्तरीय इंस्पायर अवार्ड प्रदर्शनी में प्रथम स्थान प्राप्त कर चुके हैं। इसके अलावा इस व्हीलचेयर की राज्य स्तरीय इंस्पायर अवार्ड प्रदर्शनी में भी सहारना की जा चुकी है।

गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले नीरज बताते हैं कि उन्हें इस व्हीलचेयर को बनाने का विचार पड़ोस में रहने वाले दिव्यांग को देखकर आया। उनके हाथ और पैर दोनों ही नहीं थे। उनकी अक्सर इधर उधर घूमने की इच्छा होती थी, लेकिन हाथ पैर नहीं होने के कारण वह हमेशा दूसरों के सहारे चलते थे। गांव के दिव्यांग की इसी समस्या को देखते हुए नीरज को विचार आया कि क्यों ना मैं एक ऐसी व्हीलचेयर बनाऊं, जिसका सहारा लेकर दिव्यांगजन भी किसी की मदद लिए बिना आसानी से इधर-उधर जा सकते हैं।

नीरज का कहना है कि मैंने अपनी इस व्हीलचेयर को बनाने में कई साधारण वस्तुओं सहित आधुनिक उपकरणों का उपयोग किया है। आंखों के इशारों और मोबाइल से ब्लूटूथ कनेक्ट कर एप्लीकेशन से चलने वाली इस व्हीलचेयर में सबसे पहले ब्लूटूथ और सेंसर लगाया है। फिर इसमें चार्जिंग के लिए एक 12 वोल्ट की बैटरी, ट्रांजिस्टर, डायवर्ट और साधारण पीवीसी पाइप व गद्दे के स्ट्रक्चर से इसे तैयार किया है। उनका कहना है कि इस व्हीलचेयर में अगर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भी लगा दिया जाए तो सामने अचानक से आई दीवार या जानवर आने से यह व्हीलचेयर 10 मीटर पहले ही रुक जाएगी।