जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।  

राजस्थान विधानसभा में प्रश्नकाल की शुरुआत ही गुरुवार को देश में सबसे महंगे पेट्रोल व डीजल के भावों से हुई। उपनेता प्रतिपक्ष डॉ. सतीश पूनियां के सवाल पर सरकार घिरी तो संसदीय कार्य मंत्री की ओर से गोल-मोल जवाब दिया गया। इस पर भाजपा विधायकों की ओर से कुछ देर खड़े होकर तार्किक जवाब की अपील की गई। कुछ क्षण हंगामे के साथ अगला प्रश्न पूछ लिया गया।

हालांकि प्रश्नकाल की समाप्ति वन मंत्री के बेहतर जवाब के साथ हुई, जिसके लिए नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने मंत्री का साधुवाद भी किया। फिर स्पीकर ने राजस्व मंत्री को किसानों की ऐसी भूमि जो वन विभाग में चली गई हैं, ऐसे यदि और भी कोई मामले हों तो उस पर ठीक करने के निर्देश दिए। पूनियां ने सवाल किया था कि पेट्रोल-डीजल पर प्रदेश में सबसे ज्यादा वैट है, क्या इसे कम करेगी। इस पर संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने जवाब दिया कि अभी ऐसा कोई निर्णय नहीं किया गया है और फिलहाल मंशा भी नहीं है।

वैट अधिक होने से सीमावर्ती कई पेट्रोल पंप बंद- पूनियां

पूनियां ने सीमावर्ती जिलों में पेट्रोल-डीजल की लगातार कम हो रही बिक्री का भी सवाल उठाया। इस पर धारीवाल ने इसे सिरे से नकार दिया कि वहां बिक्री कम हुई। धारीवाल ने यह भी कहा कि कीमतें केवल वैट के कारण ही कम या ज्यादा नहीं होती, इसके कई और कारण भी हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार वैट के राजस्व पर प्रभाव को देखते हुए ही निर्णय कर सकेगी। पूनियां ने कहा कि सबसे ज्यादा पेट्रोल पर 31% और डीजल पर 19.3% है। इसके कारण सीमावर्ती काफी पेट्रोल पंप बंद हो गए। जबकि एक्साइज ड्यूटी कम करने से ही कीमत घटी थी।

राठौड़ के प्रश्न पर जवाब नहीं आया तो हंगामा- जब धारीवाल जवाब दे रहे थे तो मदन दिलावर बीच-बीच में टोका-टाकी करते रहे। स्पीकर ने कई बार उन्हें फटकार भी लगाई। इस बीच पूनियां ने ऑयल डिपो की स्थापना के संबंध में भी सवाल उठाया। इसके बाद राठौड़ ने सवाल उठाया कि क्या आपने 6 बार वैट बढ़ाया कि नहीं। इस पर धारीवाल ने कहा कि वैट घटता-बढ़ता रहता है। इस पर राठौड़ कुछ बोलते लेकिन स्पीकर ने अगला प्रश्न पुकारा। इस पर राठौड़ मंत्री से जवाब लेने को अड़ गए और हंगामा हुआ। कुछ देर बाद शांत हो गया।

हेमाराम के जवाब की तारीफ, बोले- किसान दो पाटों के बीच पिस रहा

विधानसभा में सरकार को लगातार घेरने वाले विपक्ष ने वन मंत्री हेमाराम चौधरी के जवाब की तारीफ की। बीजेपी विधायक समाराम गरासिया ने सिरोही जिले की पिण्डवाड़ा तहसील के गांव मुदरला में किसानों की जमीन वन विभाग के नाम रेवेन्यू रिकॉर्ड में शामिल करने का सवाल पूछा था। जवाब में हेमाराम चौधरी ने कहा- जमीन वन विभाग की है ही नहीं, किसानों की है। किसानों की जमीन उन्हें मिलनी चाहिए। कहा- किसान हाईकोर्ट जा नहीं सकते, बेकार में उनको लटकाए रखा। यह वन विभाग ऐसा विभाग है जिसमें एक पाट राजस्थान सरकार और दूसरा पाट भारत सरकार है। इन दो पाटों के बीच में किसान पिसता है।

मंत्री नेता प्रतिपक्ष राठौड़ ने कहा- मैं मंत्री को स्टेटमेंट के लिए बधाई देना चाहता हूं और उम्मीद करता हूं कि आपका यह जवाब नई नजीर पेश करेगा। इस जवाब के अंदर एक मंत्री नहीं किसान बोला है। यह हम सब के लिए प्रेरणास्पद रहेगा और हम सबको इसी भावना से आगे बढ़ना चाहिए। स्पीकर ने भी कहा कि राजस्व विभाग सब जगह रिकॉर्ड की गलतियों को ठीक करे।