जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की बजट घोषणा के तहत हाेटलाें काे उद्योग का दर्जा देने के बावजूद प्रदेश के करीब 10,000 बजट हाेटल अभी तक इसका लाभ नहीं ले पाएं हैं।

इसकी बड़ी वजह इन हाेटलाें के भूखंड का व्यवसायिक से औद्याेगिक रूपांतरण नहीं हाेना है। इतना ही नहीं, उद्योग के समान लाभ के लिए हाेटल में कम से कम 20 कमराें की शर्त भी परेशानी का सबब बनी हुई है। यदि इन हाेटलाें के भूखंड का औद्याेगिक रूपांतरण किया जाता है, ताे राज्य सरकार काे भी 200 से 500 कराेड़ रुपए का राजस्व मिल सकता है।

होटल एसोसिएशन ऑफ जयपुर ने कई बार मुख्यमंत्री, यूडीएच मंत्री और उद्योग मंत्री से इस समस्या का समाधान करने का आग्रह किया है। लेकिन अभी तक मामला जस का तस है। बता दें, प्रदेश में आने वाले 80 फीसदी पर्यटक बजट हाेटलाें में ही ठहरते हैं।

पिछले साल 10 करोड़ से ज्यादा पर्यटक आए, 2021 के मुकाबले 5 गुना ज्यादा

काेराेनाकाल के बाद प्रदेश के पर्यटक उद्योग में जाेरदार उछाल आया है। प्रदेश में पिछले साल आने वाले पर्यटकों की संख्या में पूर्व वर्ष के मुकाबले पांच गुना बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वर्ष 2022 में राजस्थान में लगभग 10.87 करोड़ पर्यटक आए, जबकि 2021 में यह संख्या 2.20 करोड़ थी। एसईपीसी के उपाध्यक्ष करण राठौड़ का कहना है कि राजस्थान के पर्यटन क्षेत्र में अपार संभावना है।

ऐसे में राजस्थान डोमेस्टिक ट्रैवल मार्ट से इसकाे और बूस्ट मिलेगा। इसका आयोजन पर्यटन विभाग व फेडरेशन ऑफ हॉस्पिटैलिटी एंड टूरिज्म इन राजस्थान ने किया था। मार्ट में 200 एग्जीबिटर्स ने शिरकत की, जबकि 7,000 से अधिक बी2बी बैठक हुई। वरेन सोलर प्राइवेट लिमिटेड ने भी इसमें भागीदारी की। कंपनी के सह-संस्थापक ईशान चतुर्वेदी ने कहा कि हमने होटलों को सौर ऊर्जा संस्थानों में बदलने में मदद की है। इससे आतिथ्य उद्योग में रूफटॉप सौर संयंत्रों को अपनाने के लिए अनुकूल वातावरण तैयार हुआ। इस क्षेत्र में सौर ऊर्जा क्षेत्र के विकास की काफी संभावना हैं।

सरकार ने हाेटलाें के लिए भू-रूपांतारण का ड्राफ्ट बनाया लेकिन अमल नहीं किया

हाेटल एसोसिएशन जयपुर के अध्यक्ष गजेंद्र लूनीवाल ने भास्कर काे बताया कि जयपुर में ही करीब एक हजार बजट होटलों का भू-रूपांतरण नहीं हाे पाया है। इससे यह उद्योग के दर्जे के तहत मिलने वाले लाभ नहीं ले सके। जबकि सरकार ने बजट होटलों के भू-रूपांतरण की नीति का ड्राफ्ट बनाया है, लेकिन इस पर अभी तक अमल नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि उद्योग के दर्जे की सबसे ज्यादा जरूरत बजट होटलों को है। बड़े बिजनेस ग्रुप के होटलों के पास फंड व संसाधनों की कमी नहीं होती। लेकिन छोटे होटलों काे सरकारी मदद की दरकार है। इसलिए बजट होटलों काे उद्योग के दर्जे के लिए भू-रूपांतरण की जरूरत है।

एसाेसिएशन के सचिव राहुल अग्रवाल का कहना है कि हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में 80% रोजगार और राजस्व बजट होटलों से आता है। सरकार भू-रूपांतरण कर बजट होटलों को औद्योगिक इकाई का लाभ देगी, तो इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, सरकार को ज्यादा राजस्व मिलेगा और देश-विदेश के सैलानियों काे बेहतर सुविधाएं।

फोर्टी यूथ विंग के अध्यक्ष धीरेंद्र राघव का कहना है कि बजट होटलों के लिए सरकार काे प्रदेश स्तर पर भू-रूपांतरण की नीति बना कर इसे लागू करनी चाहिए, अन्यथा होटलों को उद्योग का दर्जा देना महज घोषणा बन कर रह जाएगी। सरकार को इस मसले में तुरंत फैसला करना चाहिए, चुनाव से पहले समस्या का समाधान हाे।