मणिपुर आजकल सुर्खियों में है। सरकार में बैठे लोग चुप्पी साधे बैठे हैं मानो सांप सूंघ गया और विपक्षी नेता गला फाड़ कर चिल्ला रहे हैं कि हर बात को बढ़ा चढ़ा कर कहनेवाले नेता जी चुप क्यों हैं ? उधर पक्ष विपक्ष के साथ खड़ी जनता मणिपुर के भूगोल के बारे में कुछ नहीं जानकर  भी अपने अपने नेतृत्व का इस तरह बचाव करने में जुटी है मानो उनके नेता जी के पास जादू की छड़ी है जिससे वो समस्या तो चुटकियों में सुलझा लेंगे और मारे गए लोग भी जीवित हो फिर से अपने कार्य में जुट जाएंगे।

उत्तरपूर्व को यदि मुख्य धारा में लाना है तो हमें वहां के भूगोल को जानना होगा। मणिपुर के भूगोल में लोकटक झील का बड़ा महत्व है। यह झील मणिपुर की राजधानी इंफाल से 48 किलोमीटर दूर मोइरांग क्षैत्र में स्थित है। इस झील पर वनस्पतियों के तैरते चटाई जैसे आकार इसकी सबसे बड़ी खासियत है। इन आकारों को स्थानीय भाषा में फुमडिस कहा जाता है। यह वनस्पति की चटाई कई किलोमीटर तक फैली हुई होती है जिस पर पशु, पक्षी और यहां तक कि इंसान के भी अस्थाई डेरे बने हुए हैं। लोकटक उत्तरपूर्व की सबसे बड़ी ताजा पानी की झील है और अंतराष्ट्रीय महत्व के देश में 26  स्थानों में से एक है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कश्मीर के पास यदि डल झील है तो मणिपुर के पास लोकटक है।