जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।  

हाई कोर्ट ने इकोलॉजिकल जोन घोषित कर रखा... नए निर्माण पर रोक, 17 साल की सैटेलाइट इमेज, ड्रोन फोटोग्राफी व ग्राउंड रिपोर्ट

10 साल में करीब 9.60 लाख टन अवैध खनन हो चुका
जयपुर शहर के बीचोबीच खनन माफिया ‘अरावली’ पर्वत को ही उठा ले गए। आगरा टनल के ऊपर दिन-रात अवैध माइनिंग की जेसीबी व पोकलेन मशीनें काम कर रही हैं। आलम यह है कि 10 साल में ही माफिया करीब 9.60 लाख टन अवैध खनन यहां से कर चुके हैं। दरअसल, 2009 में जब टनल का निर्माण शुरू हुआ तो यहां से पत्थर निकाले गए।

अच्छी क्वालिटी के कारण इसके बाजार में अच्छे भाव मिले। ऐसे में जब 2013 में टनल का निर्माण पूरा हुआ, इसके बावजूद पुलिस, वन विभाग और जेडीए की मिलीभगत से माफिया खनन करते रहे... जो आज भी जारी है। अरावली को क्षतिग्रस्त करने का असर ये है िक जयपुर जैसे प्राकृतिक रूप से सुरक्षित शहर में भी भूकंप के तेज झटके झेलने पड़ रहे हैं।

टनल का कुल एलिवेशन 870 मीटर है। फ्रंट में 150 मीटर क्षेत्र को खोदा है, जबकि अनुमति सिर्फ 40 मीटर की थी। वहीं, आगरा रोड की तरफ 42 मीटर खुदाई की गई। कुल 424 मीटर लंबे और 65 मीटर ऊंचे पहाड़ में से पत्थर निकाला जा चुका है। सैटेलाइट एक्सपर्ट्स के अनुसार, पहाड़ की औसत ऊंचाई 50 मीटर और चौड़ाई में खनन का आंकड़ा निकालें तो 50x400x20 मीटर के हिसाब से 4 लाख क्यूबिक मीटर पत्थर निकाला गया। 10 साल में 9.60 लाख टन करीब अवैध खनन हो चुका है।

खनन की बात कबूली, जिम्मेदारी नहीं ली
माइनिंग हो तो रही है। पुलिस प्रशासन और वन विभाग की मिलीभगत हो सकती है, लेकिन जेडीए व टनल प्रोजेक्ट मैनेजर की जिम्मेदारी नहीं है। - संजीव जैन, जेडीए के एडिशनल चीफ व प्रोजेक्ट प्रभारी

200 मीटर दूरी पर ट्रांसपोर्ट नगर थाना पर माइनिंग की सूचना नहीं है।
क्षेत्रीय वन अधिकारी जनेश्वर चौधरी बोले- बंद पड़ी माइंस से कुछ पत्थर दीवार आदि बनाने के लिए निकाले जा रहे।