जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

प्रदेश में सामाजिक सुरक्षा पेंशन ले रहे करीब एक करोड़ लोगों की पेंशन में अब हर साल 15 फीसदी बढ़ोतरी करना कानूनी रूप से जरूरी होगा। नरेगा के तहत गांवों और शहरों में 125 दिन का रोजगार देना भी कानून बनाकर अनिवार्य किया जाएगा। गहलोत सरकार चुनावी साल में 'मिनिमम गारंटी इनकम' का कानून बनाने जा रही है। राज्य सरकार विधानसभा में 14 जुलाई को ही महात्मा गांधी मिनिमम गारंटी इनकम बिल 2023 लेकर आ रही है।

इस बिल में महात्मा गांधी मिनिमम गारंटी योजना एक्ट लागू करने का प्रावधान होगा। मिनिमम इनकम गारंटी योजना में बुजुर्ग, विधवा, एकल महिला को कम से कम 1000 रुपए हर महीने पेंशन देने का प्रावधान शामिल होगा। गांव और शहरों में नरेगा के तहत 125 दिन रोजगार देने का प्रावधान होगा। सरकार ने इस योजना के लिए 2500 करोड़ रुपए एक्स्ट्रा बजट का प्रावधान किया है।

कथौड़ी, सहरिया और ​दिव्यांगों को 200 दिन रोजगार

नरेगा में 100 दिन पूरे करने वाले परिवारों को स्थायी रूप से 25 दिन का एक्सट्रा रोजगार मिलेगा। कथौड़ी, सहरिया और विशेष योग्यजन को 100 दिन की जगह 200 दिन का रोजगार मिलेगा।

सीएम ने बजट में की थी घोषणा

सीएम अशोक गहलोत ने इस साल बजट में मिनिमम इनकम गारंटी योजना कानून लाने की घोषणा की थी। इसके तहत इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना, मनरेगा और पेंशन योजनाओं को शामिल करते हुए गारंटी कानून लाने की घोषणा की गई थी। प्रदेश में छह साल से सामाजिक सुरक्षा पेंशन नहीं बढ़ी थी। अब हर साल 15 फीसदी पेंशन बढ़ जाएगी। कानून बन जाने के बाद पेंशन देना कानूनी बाध्यता बन जाएगी।

करीब एक करोड़ लोगों को मिल रही है सामाजिक सुरक्षा पेंशन

प्रदेश में करीब एक करोड़ लोगों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन मिलती है। सीएम अशोक गहलोत का दावा है कि पिछले साल मार्च तक राज्य सरकार 90 लाख पेंशनर्स को 9000 करोड़ रुपए खर्च करके सामाजिक सुरक्षा पेंशन दे रही थी। केंद्र सरकार केवल 10 लाख लोगों को ही 200 से 300 रुपए पेंशन देती है। बाकी सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजनाओं का पैसा राज्य सर​कार अपने बजट से देती है।

पीएम से मांग कर चुके हैं गहलोत

सीएम अशोक गहलोत पीएम मोदी को लेटर लिखकर देश भर के लिए सामाजिक सुरक्षा पेंशन लागू करने की मांग कर चुके हैं। इसके अलावा भी कई बार गहलोत बयान देकर भी मांग उठा चुके हैं।

गहलोत बोले- कोई पेंशन रोक नहीं पाए इसलिए विधानसभा में कानून ला रहे हैं

सीएम अशोक गहलोत ने कहा- 14 जुलाई से विधानसभा शुरू हो रही है। हम विधानसभा में कानून ला रहे हैं। इस कानून में सामाजिक सुरक्षा पेंशन 15% प्रतिवर्ष बढ़ेगी। यह कानून पास कर रहे हैं ताकि बाद में कोई पेंशन रोक न पाए।

कानून बनाकर 125 दिन का मनरेगा में रोजगार भी जरूरी हो जाएगा। अब 125 दिनों रोजगार भी कानून का हिस्सा हो जाएगा। यह मिनिमम है।

हो सकता है आने वाले वक्त में पेंशन बढ़ जाए। कोई नहीं कह सकता। कानून बनाने से आगे कोई पेंशन कम या बंद नहीं कर पाएगा। हर साल 15 फीसदी बढ़ोतरी करना कानूनी प्रावधान हो जाएगा।

मि​निमम इनकम गारंटी कानून लाने वाला पहला राज्य बनेगा राजस्थान

विधानसभाा में 14 जुलाई को मि​निमम इनकम गारंटी बिल 2023 पेश किए जाने की तैयारी है। बिल का ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है। इसे जल्द कैबिनेट में पेश करके फाइनल रूप देने की तैयारी चल रही है।

मिनिमम इनकम गारंटी कानून बनाने वाला राजस्थान पहला राज्य होगा। यह बिल वित्त विभाग विधानसभा में पेश करेगा।

मिनिमम इनकम गारंटी योजना एक्ट को लागू करने की जिम्मेदारी वित्त विभाग के अलावा सामाजिक न्याय व अधिकारिता विभाग,ग्रामीण विकास विभाग, शहरी विकास और स्वायत्त शासन विभाग की होगी।

2019 में देश से किया कांग्रेस का वादा गहलोत ने राजस्थान में लागू किया

2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने न्याय योजना लागू करने का चुनावी वादा किया था। इस योजना के मुताबिक देश के हर नागरिक को हर साल कम से कम एक तय ​रकम ​देने का वादा किया गया था। हर व्यक्ति को एक मिनिमम आय की गारंटी देने का वादा किया था। गहलोत ने उसी की तर्ज पर राजस्थान में मिनिमम इनकम गारंटी योजना एक्ट बनाने का फैसला किया है।

योजना लागू हो चुकी, कानून बनना ही बाकी
मिनिमम इनकम गारंटी योजना बजट में घोषणा के बाद लागू हो चुकी है। सामाजिक सुरक्षा पेंशन कम से कम 1000 रुपए की जा चुकी है, इसका भुगतान भी शुरू हो चुका है। ग्रामीण और शहरी नरेगा में 125 दिन का रोजगार देने का प्रावधान इस बजट से लागू हो चुका है। अब केवल विधानसभा में इसका बिल लाकर इसे कानूनी बाध्यता बनाना ही बाकी रहा है।

चुनावी साल में करोड़ों वोटर्स को मैसेज देने की कोशिश

प्रदेश में इस साल नवंबर-दिसंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। एक बड़े वर्ग को मिनिमम इनकम की गारंटी देने वाला कानून बनाना सियासी रूप से काफी अहम माना जा रहा है। इसे करोड़ों वोटर्स को मैसेज देने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।