उदयपुर में सोमवार से 2 दिवसीय ऐतिहासिक हरियाली अमावस्या के मेले का आगाज हुआ। मेले में आसपास गांव से बड़ी संख्या में ग्रामीण मेले का आनंद उठाने पहुंचे। सुबह धूप थी लेकिन दोपहर में बारिश हाेने से मौसम सुहाना हो गया। ऐसे में मेले में आए लोगों का उत्साह भी दोगुना हो गया।
मेले में बांसुरी की गूंज सुनाई दे रही थी तो वहीं लोगों के उत्साह का जबरदस्त नजारा था। मेले में आए लोगों ने चकरी-डोलर और झूलों का जमकर लुत्फ उठाया। मेले में विभिन्न सजावटी आइटम और शृंगार के आभूषणों की खरीदारी की। परिवार के साथ लोग मेले का आनंद उठाने पहुंचे। जिन्होंने मालपुओं, पकोड़े और आइसक्रीम का स्वाद चखा। सहेलियों की बाड़ी से लेकर फतह सागर झील की पाल तक लगने वाले इस मेले में करीब 500 से ज्यादा दुकानें लगी थीं।
दूसरे दिन मंगलवार को सिर्फ महिलाओं को मिलेगा प्रवेश
मेले में पहले दिन सभी को प्रवेश मिला। जबकि दूसरे दिन मंगलवार को सिर्फ महिलाओं का ही मेला लगेगा। इसमें पुरुषों का प्रवेश पूरी तरह वर्जित रहेगा। इसके लिए पुलिस की टीम सभी गेट पर निगरानी के लिए तैनात रहेगी।
जानकारी अनुसार मेले को लेकर मान्यता है कि वर्ष 1898 में हरियाली अमावस्या के दिन मेवाड़ महाराणा फतहसिंह महारानी चावड़ी के साथ फतहसागर झील पहुंचे थे। छलकते फतहसागर को देखकर महाराणा बहुत खुश हुए थे।
उन्होंने नगर में मेले के रूप में पहली बार जश्न मनाया था। इसके बाद महारानी चावड़ी ने मेले में एक दिन सिर्फ महिलाओं का मेला लगाने को कहा तो महाराणा ने सहमति जता दी। उसके बाद से मेले में पहले दिन सभी को प्रवेश दिया जाता है और दूसरे दिन सिर्फ महिलाएं मेले में आती हैं।
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