जोड़ों की एक बीमारी, जिसे रूमेटाइड आर्थराइटिस या सामान्य भाषा में गठिया कहा जाता है, का नियंत्रण कई दृष्टि से महत्वपूर्ण होता है। इस बीमारी में शरीर का रक्षा तंत्र अपने ही जोड़ों के उत्तकों ( टिश्यू ) को पराया एवम् हानिकारक मानने लगता है और उसने विरोध में एंटीबॉडी बनाने लगता है। ऐसा होने पर जोड़ टेढ़े मेढे होने लगते हैं, उनमें लगातार दर्द, सूजन, अकड़न और बेचैनी बनी रहने लगती है। वैसे तो शरीर का हर जोड़ प्रभावित होता है पर रोग का मुख्य असर हाथों की अंगुलियों के छोटे जोड़ों पर सबसे ज्यादा होता है जिसमें अंगुली पूरी तरह से विकृत भी हो जाती है।

जिस प्रक्रिया द्वारा ऐसा होता है उसमें जोड़ों में तीव्र और दीर्घकालीन प्रज्वलन होने लगता है। चूंकि यह प्रज्वलन एक ऑटो इम्यून क्रिया ( स्वयं विरोधी क्रिया ) होता है तो इसका असर शरीर के अन्य अंगों पर भी पड़ने लगता है जिनमें विशेष प्रभाव रक्त वाहिनियों पर पड़ता है। यहां पर भी लगातार निम्न स्तर की प्रज्वलन ( इंफ्लेमेशन ) प्रक्रिया जारी रहती है जिसके फलस्वरूप रक्त वाहिनियों की दीवारें खुरदरी होने लगती हैं। ऐसा होने पर वहां कोलेस्ट्रॉल जमा होने लगता है और व्यक्ति किसी न किसी तरह के हृदय रोग या फिर लकवे जैसी बीमारी का शिकार हो सकता है।

कितने ही अध्ययन और अनुसंधान बताते हैं कि गठिया के रोगी में हृदय रोग होने की संभावनाएं अधिक होती हैं। अभी पिछले चंद वर्षों के अध्ययन बताते हैं कि जो पीड़ित व्यक्ति अपने गठिया रोग को बेहतर तरीके से नियंत्रित रखते हुए इसकी दवाओं का नियमित सेवन करता है उसमें हृदय रोग की संभावनाएं अनियंत्रित गठिया रोगियों की तुलना में 50 प्रतिशत से भी कम हो जाती हैं। गठिया की जो दवाएं ऑटो इम्यूनिटी का जोड़ों पर दुष्प्रभाव कम करती हैं वे रक्त वाहन तंत्र के प्रज्वलन ( इंफ्लेमेशन) को भी कम करती हैं जिसके कारण उनमें खुरदरापन नहीं आता और कोलेस्ट्रॉल की जमावट नहीं होने से थक्का जमने की संभावनाएं कम हो जाती है।

 ये अध्ययन इस बात को स्पष्ट करते है कि गठिया को सिर्फ जोड़ो का रोग मान कर ही उपचार नहीं होना चाहिए बल्कि प्रज्वलन प्रक्रिया को नियंत्रण में रखना महत्वपूर्ण होना चाहिए वरना एक सामान्य व्यक्ति की बजाय इनमें हार्ट अटैक की संभावनाएं अधिक रहेंगी। गठिया का नियंत्रण हार्ट अटैक से बचाव भी है इस बात का इन लोगों को सदा ध्यान रखना चाहिए। ऑटो इम्यूनिटी को नियंत्रण में रखने वाली दवाओं का एक अनुभवी चिकित्सक की देखभाल में सेवन जीवनदायी हो सकता है।