श्रीगंगानगर - राकेश मितवा
हिंदी और पंजाबी के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. श्यामसुंदर दीप्ति ने कहा है कि वे लिखने के लिए नहीं लिखते। वे जब सोचते हैं कि कुछ कहना जरूरी है। क्या, क्यों और कैसे कहना है, तब लिखते हैं।
वे रविवार को सृजन सेवा संस्थान की ओर से जवाहरनगर स्थित महाराजा अग्रसेन विद्या मंदिर स्कूल में आयोजित कार्यक्रम "लेखक से मिलिए" में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वे किसी विधा विशेष से बंधे हुए नहीं हैं। सभी विधाओं में काम करते हैं। डॉ. दीप्ति ने माना कि रचना अपनी विधा खुद तय करती है। हर बात साहित्य नहीं हुआ करती। कल्पना के साथ सत्य हो और वह कल्याणकारी हो, तभी साहित्य हो सकती है। साहित्य जोड़ने का काम करता है।
कार्यक्रम के दौरान डॉ. दीप्ति ने अपनी हिंदी और पंजाबी की कुछ कविताएं और लघुकथाएं भी सुनाई। इस दौरान विजय कुमार गोयल, कृष्णकुमार आशु, मीनाक्षी आहुजा, ऋतु सिंह, हर्ष नागपाल, दौलतराम अनपढ़ व जयश्री जांगिड़ ने कुछ सवाल किए। डॉ. दीप्ति ने सहजता से उनके जवाब दिए। इस मौके पर उन्हें शॉल ओढ़ाकर, सम्मान प्रतीक एवं साहित्य भेंटकर "सृजन साहित्य सम्मान" प्रदान किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सेवानिवृत्त प्रोफेसर एवं लेखक डॉ. हरिराम स्वामी ने माना कि रचना वही सार्थक होती है, जो आम पाठक की समझ में सहजता से आ जाए। डॉ. दीप्ति की रचनाएं सहज, सरल तो हैं ही, मारक भी हैं।
इससे पहले सचिव कृष्णकुमार आशु ने डॉ. दीप्ति का परिचय दिया। आभार अध्यक्ष डॉ. अरुण शहैरिया "ताइर" ने व्यक्त किया। मंच संचालन डॉ. संदेश त्यागी ने किया।
कार्यक्रम में उषा दीप्ति, राधारानी, विजयदीप सिंह, अमनदीप सिंह, सुरेंद्र कुमार, बनवारीलाल शर्मा, बन्नी गंगानगरी, सतीश शर्मा, कृष्ण वृहस्पति, अरुण खामख्वाह, सुषमा गुप्ता, डॉ. संदीपसिंह मुंडे, शरणजीत सिंह, ममता आहुजा डॉ. आशाराम भार्गव, ललित चराया, रितिक, कैलाश व शिवा सहित अनेक लोग उपस्थित थे।
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