जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

आरपीएससी द्वारा आयोजित ईओ-आरओ भर्ती को रद्द करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट से राज्य सरकार से जवाब मांगा हैं। जस्टिस सुदेश बंसल की अदालत ने याचिकाकर्ता राधेश्याम छींपा की याचिका पर सीएस, आरपीएससी चैयरमेन व यूडीएच सचिव से तीन सप्ताह में जवाब पेश करने के लिए कहा हैं।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता प्रेमचंद देवंदा ने बताया कि हमने कोर्ट में मुख्य रूप से चार ग्राउंड पर भर्ती परीक्षा को रद्द करने की मांग की हैं। हमारी ओर से कहा गया है कि भर्ती में कथित भ्रष्टाचार, नकल और अन्य अनियमित्ताएं हुई हैं। ऐसे में भर्ती को रद्द किया जाए।

गौरतलब है कि इसी भर्ती परीक्षा में चयन करवाने की गांरटी देकर लाखों रुपए लेते हुए एसीबी ने कांग्रेस नेता गोपाल केसावत व अन्य तीन दलालों को शनिवार को गिरफ्तार किया था। याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट में एसीबी की एफआईआर पेश करते हुए कहा गया कि एफआईआर में आय़ोग के सदस्यों के नाम भी हैं। ऐसे में भर्ती की विश्वसनीयता पूरी तरह से भंग हो चुकी हैं।

परीक्षा दिन भी हुई थी नकल
इसके अलावा याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट में कहा गया कि परीक्षा वाले दिन भी नकल को लेकर बीकानेर में दो एफआईआर दर्ज की गई थी। जिसमें ब्लूटूथ व अन्य इलेक्ट्रॉनिक आइटम से नकल करते हुए गिरोह को पकड़ा गया था। वही यह परीक्षा दो पारियों में आयोजित हुई थी। पहली पारी के पेपर में आए 17 सवाल हुबहू दूसरी पारी के परीक्षा पत्र में मिले। दोनों पारियों की परीक्षा में 2 घंटे का अंतर था। ऐसे में कोई भी आसानी से पहली पारी का परीक्षा पत्र पढ़कर उन प्रश्नों को हल कर सकता हैं। ऐसे में पहली पारी में परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों को इससे नुकसान हुआ हैं।

वहीं याचिका में परीक्षा के पेपर को भी स्तरहीन बताया गया। याचिका में कहा गया कि परीक्षा स्नातक स्तर की थी। लेकिन इसका पेपर उस स्तर का नहीं बनाया गया। सामान्य स्तर के सवाल कक्षा 6 और 7 की किताबों से पूछे गए हैं जिससे परीक्षा का स्तर नहीं रहा है और चयनित होने वाले अभ्यर्थियों की कार्यकुशलता और कार्यक्षमता पर प्रश्नचिन्ह उत्पन्न होने लगा है।

104 पदों के लिए 3लाख अभ्यर्थियों ने दी थी परीक्षा
ईओ-आरओ की परीक्षा 14 मई 2023 को आयोजित हुई थी। जिसमें 104 पदों के लिए 3लाख से ज्यादा अभ्यर्थी शामिल हुए थे। याचिका में हाई कोर्ट से मांग की गई है कि परीक्षा को रद्द कर दोबारा निष्पक्ष एवं पारदर्शी तरीके से परीक्षा करवाई जाए। साथ ही उक्त परीक्षा में अनियमितताएं बरतने, धांधली करने और नकल करवाने वाले एवं भ्रष्टाचार में लिप्त सभी व्यक्तियों की जांच एक निष्पक्ष एजेंसी से उच्च स्तर पर करवा कर उन्हे सजा दिलवाने एवं आयोग की निष्पक्षता बरकरार रखने की मांग की गई है।