जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

पीसीसी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ पर 'रात 8 बजे बाद महफिल' वाले दिए बयान को लेकर खींचतान बढ़ती जा रही है। बीजेपी ने अब डोटासरा पर पलटवार शुरू कर दिया है। राठौड़ ने इसका जवाब देते हुए डोटासरा को मानसिक रोगी बताया तो वहीं उपनेता प्रतिपक्ष डॉ. सतीश पूनिया ने तो यह तक कह दिया कि सरकार आने पर इलाज के लिए अलग से विभाग खोलना पड़ेगा।

पहले पढ़ें क्या कहा था डोटासरा ने- पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने दो दिन पहले राजेन्द्र राठौड़ पर बयान देते हुए कहा था कि राठौड़ 8 बजे बाद मुख्यमंत्री बन जाते हैं। उन्होंने कहा था कि राठौड़ 8 बजे बाद महफिल करते है, उसमें गाना गाते हैं कि मेरे सामने वाले बंगले में एक चांद का टुकड़ा बैठा हैं। हमने एक बार उनसे विधानसभा में भी आग्रह किया था कि गाना गाकर सुनाए। लेकिन वो शरमा गए। कहा- 8 बजे का टाइम न्यारा ही होता हैं। मैं तो सादा आदमी हूं, मैं कोई महफिल नहीं करता हूं। मैं तो किसान का बेटा हूं, मास्टर का बेटा हूं। मैं तो बोल सकता हूं।

ये बयान उन्होंने मंगलवार को चूरू के सरदारशहर में आयोजित हुए एक कार्यक्रम में कहा था।

अब जवाब में ये बोले राजेंद्र राठौड़

नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा- शायद डोटासरा को साइकेट्रिक बिहेवियर डिसऑर्डर नामक बीमारी हो गई हैं। इस बीमारी में जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग अन्य लोगों के निजी जीवन पर टिप्पणी करते हैं। डोटासरा के बयान मुझे प्रसिद्धि दे रहे हैं। लेकिन, मेरी कुछ मनोरोग विशेषज्ञों से बात हुई थी। उनका कहना था कि एक बीमारी होती है एसबीडी (साइकेट्रिक बिहेवियर डिसऑर्डर)। इसमें जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग अन्य लोगों के निजी जीवन को लेकर बयानबाजी करते हैं। कहीं डोटासरा इस बीमारी से ग्रसित नहीं हो जाए। राठौड़ ने कहा कि मुझे उनके बयान पर कोई टिप्पणी नहीं करनी हैं। मौका आएगा, उसी दिन जवाब देंगे।

डोटासरा सहित अन्य नेता रामलीला के पात्र
वहीं उप नेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि मुझे लगता है कि कांग्रेस में पीसीसी चीफ से लेकर अन्य नेता रामलीला के पात्रों की तरह काम कर रहे हैं। इनमें कोई गंभीरता नजर नहीं आती हैं। इस तरह के बयान देने से सरकार की गंभीरता पर सवाल खड़े होते हैं। उन्होंने कहा- मुझे लगता है कि जब व्यक्ति बहुत ज्यादा मानसिक रूप से विचलित होता है, तब वो इस तरह की हरकत करता हैं।जब हमारी सरकार आएगी तो हमें इनके इलाज के लिए अलग से विभाग खोलना पड़ेगा।