चित्तौड़गढ़ - गोपाल चतुर्वेदी 
केंद्र और राज्य सरकारें शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए हर संभव प्रयास करके नई नई योजनाएं संचालित कर रही है। जिसमें  सरकारी विद्यालयों और आंगनवाड़ी केंद्रों  में अधिक से अधिक ज्ञानार्थ प्रवेश पर जोर दे रही है जिससे कि  शिक्षित होकर अपने पैरों पर खड़ा हो अपने परिवार और देश का नाम रोशन कर सकें। लेकिन चित्तौड़गढ़ मुख्यालय के समीपवर्ती गांव धनेत कला में जहां आंगनवाड़ी केंद्रों की हालत जर्जर है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं सहयोगिनी के साथ आंगनवाड़ी में आने वाले छोटे छोटे नन्हे मुन्ने बच्चों को हर पल सांप सहित अन्य विषैले जीव जंतुओं का खतरा बना हुआ है। इसके बारे में कई बार कार्यकर्ताओं और सुपरवाइजर के द्वारा उच्च अधिकारियों के साथ जनप्रतिनिधियों को भी सूचित किया जा चुका है लेकिन अभी तक इस और किसी का ध्यान नहीं गया। इसी गांव के उप स्वास्थ्य केंद्र पर  ताला लटका हुआ मिला। जिसके चलते वहां पर उपचार करवाने के लिए आने वाले मरीजों को भी बैरंग लौटना पड़ा।
जानकारी के अनुसार चित्तौड़गढ़ पंचायत समिति प्रधान देवेंद्र कँवर के ग्राम पंचायत क्षेत्र में आने वाले  धनेत कला गांव में संचालित हो रही तीन आंगनवाड़ी केंद्रों में से प्रथम आंगनवाड़ी केंद्र की हालत बदहाल हालत में होने के साथ इस आंगनवाड़ी केंद्र में बरसात के मौसम में सांप सहित अन्य विषय ले जीव जंतुओं का खतरा भी लगातार बने रहने के कारण आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सहयोगी आंगनवाड़ी केंद्र पर बच्चों को बुलाने से कतरा रही है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता मंजू शर्मा ने बताया कि इस गांव में तीन आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहे हैं जिसमें से दो किराए के भवन में संचालित हो रहे हैं। साथ ही प्रथम नंबर का आंगनवाड़ी केंद्र जर्जर हालत में पड़े सरकारी भवन में संचालित हो रहा है। इस भवन में बरसात के मौसम में रोजाना सांप और जीव जंतु निकल रहे हैं। दूसरी ओर छत से पानी टपक रहा है ऐसे में इस भवन में बच्चों को लाने का खतरा नहीं उठा सकते। उन्होंने बताया कि इस बारे में कई बार तोड़कर पंचायत समिति प्रधान देवेंद्र कंवर,  प्रधान प्रतिनिधि और सरपंच रणजीत सिंह के अलावा विभाग के उच्च अधिकारी को भी सूचित कराया जा चुका है लेकिन अभी तक इसके बारे में किसी प्रकार का संतोष प्रद जवाब नहीं मिला है। इस गांव में संचालित हो रहे उप स्वास्थ्य केंद्र पर कार्यरत नर्सिंग कर्मी लीला सुखवाल बिना किसी सूचना के केंद्र पर नहीं पहुंचने के कारण ताला लटका हुआ मिला।  जिसके कारण केंद्र पर उपचार करवाने के लिए आने वाले मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। जिस तरह से इस गांव के हालात मिले हैं उसको देखकर यह लगता है कि अधिकारियों और कर्मचारियों में अपने कार्य के प्रति सजगता नहीं है। मोटी पगार पाने वाले अधिकारियों और कर्मचारी आमजन के लिए चलाई गई योजनाओं के प्रति बिल्कुल गंभीर नहीं हैं।  इसके साथ इस पूरे प्रकरण में जनप्रतिनिधियों की भी भूमिका लापरवाही के साथ सवालों के घेरे में दिखाई देती है।