माना जाता है कि डायनासोर कोई 5 करोड़ 50 लाख वर्ष पहते विलुप्त हो गए थे। इन विशालकाय जीवों की विलुप्ति के पचास लाख साल बाद एक विचित्र सा मिश्रित जीव उत्पन्न हुआ जिसका शरीर तो सुवर जैसा था और नथुना हाथी जैसा। माना जाता है कि यह जीव उस समय धरती पर चारों तरफ फैल गया था क्योंकि हर तरफ हरे भरे जंगल , नदियां, झरने और झीलें हुआ करती थी। परंतु समय के साथ अन्य मांसाहारी जीव उत्पन्न हुए और आगे चलकर मनुष्य का उदय हुआ तो इस जीव की सैंकड़ों प्रजातियों में से सिर्फ चार प्रजातियां ही बच पाई। इस जीव का नाम है तापिर। इसकी चार प्रजातियां है मलाया तापिर जो दक्षिणी म्यांमार, थाईलैंड, मलय प्रायद्वीप, सुमात्रा और संभवतया वियतनाम और कंबोडिया में भी पाया जाता है। दक्षिण अमेरिकी और बैर्ड प्रजातियां वहां के बरसाती जंगलों में पाई जाती हैं। चौथी प्रजाति एंडीज पहाड़ों में रहती है।

मलाया तापिर सिर्फ कच्ची टहनियां और मुलायम घास खाना पसंद करता है इसलिए यह जीवनपर्यंत अपने चिन्हित क्षैत्र में अकेला ही रहता है। मादा तापिर गर्भ धारण के समय नर तापिर को अपने पास बुलाती है परन्तु अगले ही दिन दुल्लती मार कर उसे वापस अपने क्षैत्र से भागा देती है। तापिर में सिर्फ मां और सात महीने तक उसकी संतान ही साथ रहते हैं वरना दिन में छुप कर रहने और अंधेरी रात में भोजन के लिए निकलने वाला यह जीव जीवन भर अकेला ही रहता है क्योंकि कच्ची टहनियां और ताजा उगा घास समूह में उपलब्ध नहीं हो सकता। तापिर के चारों पैर, आधा धड़ तथा सूंड काले रंग के होते है परंतु पीछे का आधा धड़ सफेद होता है। ऐसा होने से मलाया तापिर को चांदनी रात में जल्दी से देख पाना आसान नहीं होता है । चूंकि इसके पूंछ भी नहीं होती तो मांसाहारी जानवर इसको जल्दी से पकड़ नहीं पाते हैं। इसके अलावा यह एक बहुत कुशल तैराक होता हैं और खतरा भांपते ही पानी में कूद कर अपने आप को बचा लेता है।

मादा दो साल में सिर्फ एक ही बच्चा पैदा करती है। बच्चा सात महीने तक मां के साथ रहता है। इस समय उसके शरीर पर सफेद धारियां होती हैं। सात महीने बाद ये धारियां मिट जाती हैं जो मां को बताता है कि बच्चा युवा हो गया है और उसे अब अपना खुद का ठिकाना बनाना है। इस शर्मीले और एकांतप्रिय जीव के अस्तित्व को अब मनुष्य से जबरदस्त खतरा पैदा हो गया है। कभी लाखों की संख्या में फलने फूलने वाले मलाया तापिर अब हजारों में ही रह गए हैं। मनुष्य ने बेतहाशा शिकार किया और अब जंगलों की कटाई से इन जीवों के रहने का स्थान संकुचित होता जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार मलाया तापिर अपने अस्तित्व के आखिरी दौर में है और आने वाली एक दो सदियों में विलुप्त हो जायेगा। मनुष्य का विस्तार एक और जीव की बलि लेगा।