राजस्थान में प्रतियोगी परीक्षाओं को लेकर चल रहे विवाद के बीच अब कर्मचारी चयन बोर्ड के अध्यक्ष हरिप्रसाद शर्मा अपना पद छोड़ रहे हैं। करीब चार दिन पहले शनिवार 23 जुलाई को उन्होंने अपना इस्तीफा सरकार को भेजा है। ऐसा माना जा रहा है कि अब प्रदेश की 8 भर्तियां अटक सकती हैं। इसके पीछे ये भी कयास लगाए जा रहे हैं कि अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद हरिप्रसाद शर्मा फुलेरा विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतर सकते हैं। हालांकि सूत्रों के मुताबिक उनका इस्तीफा अभी स्वीकार नहीं किया गया।
इस्तीफा नहीं दूंगा तो अटक सकती है 5 भर्ती
बोर्ड अध्यक्ष हरिप्रसाद शर्मा ने बताया, 'मेरा कार्यकाल इसी 7 अक्टूबर को पूरा हो जाएगा। फिलहाल बोर्ड द्वारा 8 भर्ती परीक्षाएं प्रस्तावित हैं। ऐसे में अगर मैं अपना कार्यकाल पूरा भी कर लेता तो भी सिर्फ तीन भर्ती परीक्षाओं को पूरा कर पाऊंगा। 5 दूसरी भर्ती परीक्षाएं अपने निर्धारित वक्त से अटक सकती हैं। मेरी जगह किसी और व्यक्ति को जिम्मेदारी दी जाएगी तो नया अध्यक्ष आठों भर्ती परीक्षाएं निर्धारित वक्त पर पूरी करा सकता है। इसलिए मैंने अपने पद से इस्तीफा दिया है ताकि राजस्थान के लाखों युवक, जो प्रतियोगी परीक्षा में शामिल होंगे, उन्हें समस्या का सामना नहीं करना पड़े।
8 गुना तेजी से हुआ काम
उन्होंने कहा कि बोर्ड अध्यक्ष रहते हुए मैंने पहले के मुकाबले 8 गुना तेजी से काम किया। अपने छोटे से कार्यकाल में मैंने लगभग 100 भर्ती परीक्षाएं आयोजित कराईं। इनमें से अधिकतर के रिजल्ट जारी हो चुके हैं। अभ्यर्थियों को नियुक्तियां मिल चुकी हैं।
कुछ भर्तियां प्रक्रियाधीन हैं, वह भी जल्द ही पूरी कर दी जाएंगी। इनमें से किसी भर्ती परीक्षा पर भ्रष्टाचार और पेपरलीक जैसे आरोप नहीं लगे, यह न सिर्फ मेरे लिए बल्कि, राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड के प्रत्येक कर्मचारी के लिए गर्व की बात है।
फुलेरा से चुनाव लड़ने की तैयारी!
उधर, शर्मा के इस्तीफे की पेशकश के साथ ही उनके चुनावी मैदान में उतरने की चर्चाएं भी तेज हो गई हैं। माना जा रहा है कि वह जयपुर जिले की फुलेरा विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतर सकते हैं। हालांकि जब उनसे सवाल किया गया तो उनका जवाब था- इस तरह की कोई प्लानिंग नहीं की है।
अभी मैं संवैधानिक पद पर काम कर रहा हूं। अगर मैं इस पद पर नहीं रहूंगा तब भारत के आम नागरिक की तरह चुनाव लड़ने के लिए स्वतंत्र हूं। ऐसे में भविष्य में ही डिसाइड करूंगा, चुनाव लड़ूंगा या नहीं।
इस वजह से अटकेंगी भर्तियां
दरअसल, बोर्ड द्वारा किसी भी भर्ती प्रक्रिया को पूरा करने के लिए अलग-अलग प्रोसेस होती है। इसमें गोपनीयता काफी अहम होती है। अगर हरिप्रसाद शर्मा का इस्तीफा मंजूर होता है और नया बोर्ड अध्यक्ष नियुक्त किया जाएगा। उसे बोर्ड की प्रक्रिया को समझने में लगभग 1 से डेढ़ महीने का वक्त लग सकता है।
इसके बाद ही नई भर्तियों की प्रक्रिया शुरू होगी। ऐसे में अक्टूबर महीने में प्रस्तावित 5 भर्ती परीक्षाओं के साथ ही भविष्य में होने वाली भर्ती परीक्षाओं की विज्ञप्ति में भी देरी हो सकती है।
बता दें कि कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा किसी भी भर्ती प्रक्रिया को पूरा करने के लिए सबसे पहले विज्ञप्ति जारी की जाती है। इसके बाद आवेदन प्रक्रिया शुरू होती है। इसके बाद बोर्ड एडमिट कार्ड जारी कर भर्ती परीक्षा आयोजित करता है। परीक्षा संपन्न होने के बाद बोर्ड आंसर की जारी करता है। इस पर आपत्तियां मांगी जाती हैं। छात्रों की आपत्ति के बाद फाइनल आंसर की और रिजल्ट जारी होता है।
इस पूरी प्रक्रिया में पेपर सेट करने से लेकर आंसर की जांच करने तक प्रक्रिया पूरी तरह गोपनीय रहती है। इसमें अध्यक्ष की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है।
सितंबर - अक्टूबर में प्रस्तावित हैं ये 8 भर्ती परीक्षाएं
- सूचना सहायक भर्ती - 9 सितंबर
- कनिष्ठ लेखाकार और तहसील राजस्व लेखाकार भर्ती - 17 सितंबर
- संविदा महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता भर्ती - 24 सितंबर (पहली पारी)
- संविदा नर्सेज भर्ती - 24 सितंबर (दूसरी पारी)
- संगणक भर्ती - 14 अक्टूबर (पहली पारी)
- पर्यवेक्षक भर्ती - 14 अक्टूबर (दूसरी पारी)
- कृषि पर्यवेक्षक भर्ती - 21 अक्टूबर (पहली पारी)
- सुपरवाइजर भर्ती - 21 अक्टूबर (दूसरी पारी)
बता दें कि साल 2021 जनवरी में बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ बीएल जाड़ावत के इस्तीफे के बाद सरकार ने हरिप्रसाद शर्मा को कर्मचारी चयन बोर्ड का अध्यक्ष बनाया था। इससे पहले वह राजस्थान पुलिस में महानिरीक्षक (एसपी) के पद से रिटायर्ड हो चुके हैं।
उन्होंने अपने कार्यकाल में 7 जिलों में एसपी की जिम्मेदारी निभाई है। इनमें उदयपुर, बीकानेर, अजमेर, नागौर, झुंझुनू, श्रीगंगानगर और जोधपुर जैसे शहर शामिल हैं।
नए अध्यक्ष का चुनाव बना चुनौती
राजस्थान में चुनावी साल में सरकार के लिए राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड का अध्यक्ष चुनना, किसी चुनौती से कम नहीं है। जिस तरह से राजस्थान में प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपरलीक और धांधली की घटनाएं सामने आई हैं, इसके बाद न सिर्फ विपक्ष बल्कि सत्ता पक्ष के विधायक भी प्रतियोगी परीक्षाएं कराने वाले संस्थानों में यूपीएससी की तर्ज पर नियुक्ति करने की बात कह रहे हैं।
ऐसे में अगर यूपीएससी की तर्ज पर कर्मचारी चयन बोर्ड अध्यक्ष की नियुक्ति की जाएगी तो उसके लिए पहले बोर्ड पैनल का गठन होगा। फिर इंटरव्यू और नियुक्ति की प्रक्रिया होगी।
0 टिप्पणियाँ