भरतपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

सरकार ने पहले वेतन भत्तों के भुगतान के लिए चूंगी पुनर्भरण का भुगतान करना बंद कर दिया। अब कर्मचारियों के भत्तों का भुगतान भी रोक दिया है। अकेले भरतपुर नगर निगम के ही 750 कर्मचारियों और अधिकारियों के तीन करोड़ रुपए के विभिन्न भत्ते अटके हैं। इस संबंध में बार-बार याद दिलाए जाने पर भी तीन महीनों से डीएलबी स्थिति स्पष्ट करने तक को तैयार नहीं है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि कहीं सरकार नगरीय निकायों में भत्तों का भुगतान ही बंद नहीं कर दे।

स्वायत्त शासन विभाग ने ठीक एक साल पहले प्रदेश के सभी नगरीय निकायों को चूंगी पुनर्भरण का भुगतान बंद कर दिया था। सरकार ने दलील दी थी की निकायों में कर्मचारियों को समय पर वेतन-भत्ते नहीं मिल पाते। इस मद के बजट का उपयोग पहले वेतन-भत्तों के भुगतान के लिए ही किया जाएगा। नगर निगम को सालाना 40 करोड़ रुपए पुनर्भरण के मिलते थे। जिसमें सभी वेतन भत्तों के भुगतान के बाद भी रकम बच जाती थी।

निगम कर्मचारियों का एक साल के समर्पित अवकाश के दो करोड़ रुपए बनते हैं। इसी तरह सेवानिवृत्त कर्मचारियों की आरजीएचएस सुविधा के लिए 16.47 लाख रुपए भी जमा नहीं हुए हैं। एक सेवानिवृत्त कर्मचारी का महीनों से 17.84 लाख रुपए बाकी चल रहा है। निगम को पिछले साल चूंगीपुर्भरण के लिए 42.44 करोड़ रुपए आवंटित हुए थे। जिसके मुकाबले कुल 44.17 करोड़ रुपए का भुगतान कर चुका है। ऐसे में निगम के अपने स्रोतों से 1.73 करोड़ रुपए का भुगतान करना पड़ा। इस निगम के इस अतिरिक्त खर्च के 72 लाख रुपए भी स्वायत्त शासन विभाग को देने हैं। इसी प्रकार हर साल वर्दी के लिए सफाई और सहायक कर्मचारियों को भत्ता मिलता था। जिसमें महिला को 900 और पुरुष कर्मचारी को 665 रुपए दिए जाते थे। जिनका भी भुगतान नहीं किया गया।

भरतपुर नगर निगम ने वेतन-भत्तों के लिए जितनी डिमांड भेजी थी, उतना उन्हें भुगतान कर दिया गया है। एक रुपया भी वेतन-भत्तों के मद में बाकी नहीं है। पुनर्भरण के बजट आरक्षित ही इसी लिए किया गया था कि कर्मचारियों के वेतन-भत्तों का समय पर भुगतान हो सके। महेन्द्र मोहन, वित्तीय सलाहकार, स्वायत्त शासन विभाग, जयपुर

नगर निगम में कर्मचारियों को हमेशा समय पर सभी भत्तों का भुगतान होता आया है। इस साल भत्तों का भुगतान ही नहीं हुआ। विभाग की ओर से स्थिति तक स्पष्ट नहीं की जा रही कि भुगतान कब से होगा।अनिल लाहौरा, कर्मचारी नेता, भरतपुर नगर निगम