जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।  

देशभर में बढ़ती टमाटरों की कीमतों ने केन्द्र और राज्य सरकार दोनों की परेशानी बढ़ा दी है। राजस्थान में अगले चार माह में विधानसभा चुनाव हैं, ऐसे में महंगाई मुद्दा न बने इसलिए केंद्र सरकार ने टमाटर सस्ती दरों पर बेचने शुरू कर दिए है। शुरुआत आज जयपुर और कोटा से हो भी गई। जयपुर में केन्द्रीय एजेंसी राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी (NCCF) संघ 10 वैन लगाकर 80 रुपए किलोग्राम के रेट पर टमाटर बेच रहा है। एक बार में एक व्यक्ति सिर्फ दो किलो टमाटर ही ले सकेगा।

एक समय था जब प्याज की बढ़ती कीमतों के चलते दिल्ली में भाजपा की सरकार वापसी नहीं कर सकी थी। 1998 में सुषमा स्वराज के नेतृत्व वाली सरकार विधानसभा चुनावों में हार गई थी और कांग्रेस सत्ता पर काबिज हुई थी।

अब केंद्र सरकार ने जयपुर, कोटा में टमाटर को सस्ती दरों पर बेचने के लिए काउंटर लगाए हैं। जयपुर में 6 जगह और कोटा में 5 जगहों पर काउंटर लगाए जा रहे हैं। बाजार में वर्तमान में टमाटर के दाम 150 रुपए किलोग्राम से ज्यादा चल रहे हैं।

इन जगहों पर जयपुर में लगाए काउंटर

NCCF की ओर से आज सहकार मार्ग पर नेहरू सहकार भवन, लालकोठी सब्जी मंडी के पास, शासन सचिवालय के पास, महेश नगर में रेजिडेंशियल मार्केट के पास, वीकेआई इंडस्ट्रियल एरिया और विद्याधर नगर के मुख्य बाजार में ये काउंटर लगाए गए हैं। इसी तरह कोटा में विज्ञान नगर, तलवंडी केशुपुरा, डीसीएम रोड, गोवारिया वावारी, चंबल गार्डन के पास सस्ते टमाटर बेचे जा रहे हैं।

एनसीसीएफ राजस्थान के रीजनल मैनेजर हर्षवर्धन ने बताया- NCCF की ओर से आज जयपुर और कोटा में दोनों जगह रोजाना 25 टन टमाटर बेचने का टारगेट है। जो सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक बेचे जाएंगे। अभी एक हफ्ते तक काउंटर चलाया जाएगा। जयपुर और कोटा में रोज 25 टन तक माल बेचने के लिए आएगा।

हर्षवर्धन ने बताया कि राजस्थान में टमाटर की कीमत बढ़ने का मुख्य कारण मानसून की बारिश है। बारिश के कारण टमाटर की आवक नहीं हो रही। केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र और कर्नाटक से 125 से 140 रुपए किलो के भाव से टमाटर खरीदे हैं और सब्सिडाइज्ड रेट पर देश के अलग-अलग हिस्सों में इसे बेच रही है।

दक्षिणी और पश्चिमी क्षेत्रों का कुल उत्पादन में लगभग 60% योगदान
टमाटर का उत्पादन लगभग हर भारतीय राज्य में होता है। वहीं दक्षिणी और पश्चिमी क्षेत्रों का देश के कुल उत्पादन में लगभग 60% योगदान होता है। इन क्षेत्रों में हुए ज्यादा उत्पादन का उपयोग भारत के अन्य हिस्सों में टमाटर की निरंतर सप्लाई को सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है।

मानसून में टमाटर के उत्पादन में कमी से बढ़ती हैं कीमतें
अलग-अलग क्षेत्रों में मौसम के हिसाब से उत्पादन की मात्रा कम-ज्यादा रहती है। देश के ज्यादातर क्षेत्रों में टमाटर का ज्यादा उत्पादन दिसंबर से फरवरी के बीच होता है। जुलाई-अगस्त और अक्टूबर-नवंबर में टमाटर का उत्पादन कम होता है। जुलाई में मानसून शुरू होने से टमाटर के उत्पादन में कमी आती है और कीमतें बढ़ जाती हैं।