बीकानेर ब्यूरो रिपोर्ट। 

आयकर विभाग की अन्वेषण शाखा ने ट्रेडिंग करने के नाम पर क्रिकेट सट्टा बैटिंग करवाने वाली 38 कंपनियों का खुलासा किया है, जिनमें आईपीएल के दौरान करीब 1500 करोड़ रुपए का लेनदेन हुआ है। इनमें से अधिकतर कंपनियां वन पर्सन कंपनी के नाम बनाई जाती थी। कुछ कंपनियां बंद की जा चुकी है और कुछ को बंद करने की तैयारी चल रही थी। आयकर विभाग की अन्वेषण शाखा ने सभी 38 कपंनियों के बैंक ट्रांजेक्शन से जुड़े दस्तावेज कब्जे में लेते हुए उनके करीब 70 बैंक खातों को सीज करने की तैयारी कर ली है।

बीकानेर में नवंबर 2022 को अन्वेषण शाखा बीकानेर के सहायक आयुक्त अरविंद मीणा के निर्देशन में क्रिकेट सट्टेबाजी के एक मामले की जांच में सट्टा बैटिंग के इनपुट मिले थे। इसके बाद टीम के अधिकारियों ने जांच को आगे बढ़ाते हुए दिल्ली और गुजरात की 38 कंपनियों के यहां कार्रवाई शुरू की। जांच में खुलासा हुआ कि करोड़ों रुपए का लेनदेन करने वाली कंपनियां केवल कागजों में चल रही हैं।

विभागीय सूत्रों की मानें तो जिन कागजी कंपनियों के यहां अन्वेषण शाखा ने कार्रवाई की है, वे अधिकतर एग्रो कमॉडिटी के नाम से थीं। कंपनियां एक दूसरे को ही करोड़ों रुपए का लेन-देन करती थी। असल में क्रिकेट सट्टा बैटिंग करवाने के लिए इन कंपनियों से जुड़े लोग मोबाइल एप और ऑनलाइन लेनदेन के माध्यम से कॉइन बेचते थे। इन्हीं कॉइन की मदद से सटोरिये क्रिकेट सट्टा लगाते थे। कॉइन के खरीददार राजस्थान के बीकानेर, जयपुर, जोधपुर, कोटा सहित दिल्ली और सूरत सरीखे बड़े शहरों में होते थे।

भारत में ऑनलाइन क्रिकेट सट्टा बैन, इसलिए मोबाइल एप का करते हैं इस्तेमाल
भारत में सट्टा बेटिंग अवैध है। इसके बावजूद राजस्थान और भारत के विभिन्न राज्यों में इनका अवैध संचालन ऑनलाइन वेबसाइट और मोबाइल एप के माध्यम से हो रहा है। क्रिकेट सट्टा खेलने में रुचि रखने वाले लोगों को एक वेबसाइट का लिंक भेजा जाता है, जिसे क्लिक करने पर मोबाइल एप डाउनलोड हो जाती है। इसके बाद क्रिकेट सट्टा खेलने वाला व्यक्ति कॉइन की खरीद करता है।