जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
आखर में इस बार प्रसिद्ध साहित्यकार कृष्ण कल्पित के साथ कामना राजावत संवाद करेंगी। कृष्ण कल्पित का जन्म फतेहपुर शेखावाटी में हुआ और इन्होेंने राजस्थान विश्वविद्यालय में हिंदी साहित्य से प्रथम श्रेणी में एमए किया। इसके बाद फिल्म और टेलीविजन संस्थान पुणे से फिल्म निर्माण पर अध्ययन किया। अध्ययन और पत्रकारिता के बाद इन्होने भारतीय प्रसारण सेवा में ज्वाइन किया। आकाशवाणी और दूरदर्शन के कई केन्द्रों पर दायित्व निर्वहन के बाद 2017 में दूरदर्शन महानिदेशालय से अपर महानिदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुए। इनकी हिन्दी कविता की सात किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। इनमे भीड़ से गुजरते हुए (1980), बढ़ई का बेटा (1990), कोई अछूता स्वर (2003), वापस जाने वाली रेलगाड़ी (2021), रेख्ते के बीज और अन्य कविताएं (2022) इसके अलावा प्रमुख कृतियां हिन्दनामा (2019), हिन्दी का प्रथम काव्य शास्त्र- कविता रहस्य (2015), छोटा परदा बड़ा परदा (2003) और पहला उपन्यास : जाली किताब (2023) शामिल है। कल्पित ने कविता-कहानियों के अंग्रेजी और कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद भी किए हैं। हाल ही में इनकी राजस्थानी भाषा में कविता पर पहली पुस्तक बावड़ती बेळां आई है।
साहित्यकार कल्पित को निरंजन नाथ आचार्य सम्मान, मेजर राम प्रसाद पोद्दार सम्मान, डॉ. गायत्री मदन डागा साहित्य सम्मान सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन और प्रभा खेतान फाउंडेशन की ओर से राजस्थान भाषा का यह कार्यक्रम नियमित रूप से हर एक माह के बाद आयोजित किया जाता है। वर्ष 2016 में क्षेत्रीय भाषाओं को प्रोत्साहित करने के लिए प्रभा खेतान फाउंडेशन और ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन की ओर से आखर की शुरूआत की गई थी। इसके अंतर्गत राजस्थानी भाषा साहित देश की 9 क्षेत्रीय भाषाओं में संवाद किया जाता है।
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