बीकानेर ब्यूरो रिपोर्ट। 

ईआरसीपी ईस्टर्न (राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट) का भारी भरकम खर्च पूरा करने के लिए प्रदेश सरकार जल संसाधन विभाग की जमीन बेचने की तैयारी में है। प्रदेश के अलग-अलग शहरों में 1300 हेक्टेयर जमीन चिन्हित की जा चुकी है। इसमें से 152 हेक्टेयर तो ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट को हस्तांतरित कर भी दी गई। बीकानेर में आईजीएनपी, बीसलपुर के माही प्रोजेक्ट, टोंक-देवली और बांसवाड़ा में जमीन बेचकर 3000 करोड़ से ज्यादा राशि एकत्र होगी।

पेयजल और सिंचाई के पानी की कमी को पूरा करने के लिए वसुंधरा सरकार ने ईआरसीपी योजना का प्रोजेक्ट तैयार किया था। उनकी सरकार इस योजना का कोई राजनीतिक लाभ ले पातीं इससे पहले ही सरकार बदल गई। गहलोत सरकार इसे पूरा करना चाहती है मगर आर्थिक संकट से बचने को राज्य सरकार इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित करना चाहती है और केंद्र सरकार अब इसके लिए तैयार नहीं है। यहां तक कि केंद्र ने तो इसे रोक देने के लिए राज्य सरकार के संबंधित विभागों को पत्र तक भेजे हैं। इसके लिए सरकार अपनी अनुपयोगी भूमि बेचकर धन जुटाना प्रारंभ कर दिया है।

20 अप्रैल 2023 को जल संसाधन विभाग ने इन प्रोजेक्ट की अनुपयोगी खाली पड़ी जमीन संबंधित क्षेत्र के निकायों को निशुल्क सौंपने का आदेश निकाला। इसमें अलग-अलग शहरों में खसरा नंबर का भी उल्लेख है। इससे जो भी आय होगी वो ईआरसीपी प्रोजेक्ट में लगाई जाएगी। इसी आदेश के आधार पर पांच जून को इंदिरा गांधी नहर बोर्ड के उप सचिव मुकेश विजय ने सीएडी, आईजीएनपी, एसडब्ल्यूआरपीडी के स्वामित्व की जमीन ईआरसीपी के लिए देने का आदेश जारी किया।

28 जून को ईआरसीपी के मैनेजिंग डायरेक्टर रवि लोलंकी ने बीकानेर कलेक्टर और यूआईटी सचिव को पत्र लिखा कि नहर कालोनी के खसरा नंबर 56, 15, 16, 108, 109 और 194/54 की जमीन यूआईटी को नि:शुल्क हस्तांतरित की जाए। इस बारे में 30 जून को जयपुर में एक हाईपावर मीटिंग भी हो चुकी है। टोंक-देवली के आठ खसरे, बीसलपुर के 24 खसरे समेत 152हेक्टेयर तो ईआरसीपी को नामांतरित हो गई। शहरी क्षेत्र की जमीन यूआईटी, नगर पालिकाओं को स्थानांतरित करके नीलाम की जाएगी। खेतिहर या बंजर भूमि ईआरसीपी लिमिटेड के नाम हस्तांतरित होगी। बीकानेर की 20.50 हेक्टेयर जमीन की कीमत 200 करोड़ से ज्यादा आंकी जा रही है। भंवर पुरोहित ने कहा कि सरकार ने ये फैसला नहीं बदला तो हम आंदोलन करेंगे। क्योंकि ये जमीन आईजीएनपी की है और कर्मचारियों को रियायती दर पर भूखंड देने की पूर्व में कमेटी बन गई थी।

पश्चिमी राजस्थान के किसी भी जिले को ईआरसीपी का फायदा नहीं

प्रोजेक्ट पर खर्च होंगे 37 हजार करोड़़

प्रोजेक्ट में करीब 37 हजार 247 करोड़ खर्च किए जाएंगे। अब तक 1130 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। राज्य सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए 9600 करोड़ के बजट का प्रावधान किया है। इस प्रोजेक्ट के बजट को लेकर राजस्थान सरकार और केन्द्र के बीच टकराव हो रहा है। ईआरसीपी वाले 13 जिलों में 86 विधानसभा सीटें आती हैं। इन जिलों में से आधे जिलों में कांग्रेस मजबूत है। भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाईमाधोपुर, टोंक और दौसा में से केवल धौलपुर सीट पर बीजेपी विधायक हैं। पूर्वी राजस्थान में कांग्रेस ईआरसीपी का मुद्दा उठाकर अपनी पकड़ बरकरार रखना चाहती है। इसीलिए प्रदेश सरकार इसको राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग उठा रही है। बीकानेर में आईजीएनपी की 20.50 हेक्टेयर जमीन यूआईटी की दी जाएगी। इसमें आईजीएनपी और सीएडी के रिहायशी क्वार्टर भी शामिल हैं। हालांकि आधे क्वार्टर खाली हैं, लेकिन अब यहां के कर्मचारियों को मकान मिलना मुश्किल होगा।

मुझे ऐसी जमीन चिन्हित करने के लिए कहा गया जो अनुपयोगी है। मैंने पता लगाया और ईआरसीपी लिमिटेड को उसकी सूची भेज दी। विभाग ने कुछ जमीन उनके नाम हस्तांतरित कर दी। फिर भी ज्यादा डिटेल ईआरसीपी के मैनेजिंग डायरेक्टर के पास हैं। - विनोद चौधरी, मुख्य अभियंता, जल संसाधन

मेरे पास अभी तक 1300 हेक्टेयर अनुपयोगी जमीन की लिस्ट है। वो ईआरसीपी के नाम होगी। 152 हेक्टेयर जमीन नामांतरित हो चुकी है, जो कई परियोनाओं का टापू है। नगरीय क्षेत्रों की जमीन संबंधित निकायों को नि:शुल्क हस्तांतरित की जाएगी। उससे जो आय होगी वो ईआरसीपी लिमिटेड को मिलेगी। -रवि सोलंकी, मैनेजिंग डायरेक्टर, ईआरसीपी

​​​​​​​ईआरसीपी से 13 जिलों को पेयजल और 26 विभिन्न बड़ी व मध्यम परियोजनाओं से लगभग 8 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जाएगा। इस परियोजना से दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारे को भी जलापूर्ति की जाएगी। हालांकि इसका फायदा पश्चिमी राजस्थान के किसी जिले को नहीं मिलेगा। इसका फायदा अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाईमाधोपुर, दौसा, जयपुर, अजमेर, टोंक, बूंदी, कोटा, बारां और झालावाड़ को मिलेगा। बीकानेर में जमीन बेचने का विरोध शुरू हो गया है। नोखा विधायक बिहारीलाल बिश्नोई ने सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार सिर्फ घोषणाएं कर लोगों को ठग रही है। 100 यूनिट बिजली माफ की तो लोगों से फ्यूल चार्ज के पैसे वसूल लिए। अब ईआरसीपी के लिए सरकारी जमीन बेचने में जुट गई। बीकानेर की जमीन किसी भी सूरत में नहीं जाने देंगे।