जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

जयपुर मेट्रो की स्थाई लोक अदालत ने प्रसूता की मौत के मामले में जनाना अस्पताल के अधीक्षक व डॉ नीलम भारद्वाज पर दस लाख रुपए का हर्जाना लगाया हैं। स्थाई लोक अदालत ने माना कि चिकित्सकीय लापरवाही के चलते प्रसूता की मौत हुई थी।

अदालत ने इस राशि पर 14 मई 2019 से 7 फीसदी ब्याज और मानसिक व शारीरिक क्षतिपूर्ति के लिए 52 हजार रुपए अलग से देने का निर्देश दिए है। यह आदेश लोक अदालत के अध्यक्ष हरविन्दर सिंह की अध्यक्षता में शुक्रवार को जयपुर जिला निवासी डॉ. हंसराज शर्मा के परिवाद पर दिया गया।

अदालत ने अपने आदेश में माना कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से स्पष्ट है कि ऑपरेशन के दौरान लापरवाही से मृतका शिखा को सेप्टीसिमिया व हेमाटोमा संक्रमण हुआ और इसके चलते ही उसकी मौत हुई। इतना ही नहीं ऑपरेशन के बाद परेशानी होने पर जब मृतका के टांके खोलकर उसका इलाज किया तो हालत सही नहीं होते हुए भी उसे डिस्चार्ज कर दिया गया।

रेजीडेंट डॉक्टर्स की टीम ने कर दिया ऑपरेशन
मामले के अनुसार, परिवादी ने 26 मई 2017 को पत्नी शिखा को अस्पताल में विपक्षी डॉक्टर नीलम को दिखाया था। डॉक्टर ने उसकी पत्नी का इलाज शुरू कर दिया और हर बार चेकअप करने पर नॉर्मल डिलीवरी की बात कही। इस दौरान 22 अगस्त 2017 को उसकी पत्नी को डॉक्टर ने अपनी यूनिट में भर्ती कर लिया और रेजिडेंट डॉक्टर्स की टीम ने ऑपरेशन कर डिलीवरी की। इससे उसे बेटा हुआ और उसकी पत्नी को जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया।
लेकिन पत्नी की तबीयत खराब होने पर रात ढाई बजे उसका दुबारा ऑपरेशन करना पड़ा। इसमें पता चला कि ऑपरेशन के दौरान पेट की नस कटने से वहां खून जम गया है जिससे पेट फूलने पर उसे सांस लेने में परेशानी हुई। दुबारा ऑपरेशन में जमा खून बाहर निकाला और उसे आईसीयू में रखा गया। बाद में वार्ड में शिफ्ट कर 30 अगस्त तक अस्पताल में रखने के बाद उसे डिस्चार्ज किया। लेकिन 2 सितंबर को दुबारा तबीयत बिगड़ने पर उसे इंटरनल अस्पताल में भर्ती कराया जहां इलाज के दौरान उसकी 14 सितंबर को मृत्यु हो गई। इसे परिवादी ने उपभोक्ता अदालत में चुनौती देते हुए कहा कि विपक्षी डॉक्टर के निर्देश पर किए ऑपरेशन में रेजिडेंट डॉक्टर्स ने भारी लापरवाही बरती और जिससे उसकी पत्नी की मौत हुई है। इसलिए उसे अस्पताल व डॉक्टर से हर्जा-खर्चा सहित क्षतिपूर्ति राशि दिलवाई जाए।