जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 
सन्तराम बीए की पैंतीसवी पुण्यतिथि के अवसर पर सन्तराम बी.ए.  फाउण्डेशन, शाहजहाँपुर (उत्तर प्रदेश) की ओर से डॉ.अंबेडकर मेमोरियल सोसायटी झालाना डूंगरी जयपुर के रमाबाई अंबेडकर भवन में सन्तराम बी ए स्मृति समारोह- 2023 का आयोजन किया गया। 
समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. हेतु भारद्वाज ने की । मुख्य अतिथि राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर के अध्यक्ष  डॉ. दुलाराम सहारण  तथा विशिष्ट अतिथि  सामाजिक कार्यकर्ता पीयूसीएल  की राष्ट्रीय अध्यक्ष कविता श्रीवास्तव थीं।इस दौरान वर्ष 2020,2021 एवं वर्ष 2022 के संतराम बी.ए. स्मृति सम्मान भी प्रदान किये गये। वर्ष 2020 का सन्तराम बी ए स्मृति सम्मान संयुक्त रुप से वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता व सुप्रीम कोर्ट की विशाखा गाइडलाइन की सूत्रधार श्रीमती भंवरी देवी और वरिष्ठ कथाकार भगवानदास मोरवाल को दिया गया। वर्ष 2021 का संतराम बी ए स्मृति सम्मान जोधपुर निवासी वरिष्ठ दलित चिंतक लेखक नेमिचंद बोयत और  राजस्थान प्रगतिशील लेखक संघ के पूर्व महासचिव  प्रेमचंद गांधी को दिया गया । इसी तरह वर्ष 2022 का सन्तराम बी ए स्मृति सम्मान सामाजिक कार्यकर्ता और पी यू सी एल के राष्ट्रीय सचिव भंवर मेघवंशी को प्रदान किया गया।  नेमिचंद बोयत, भंवर मेघवंशी भगवानदास मोरवाल कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हो सके। 
कार्यक्रम की शुरुआत  डा. अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुई। तत्पश्चात सन्तराम बी ए फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष  डा. महेश प्रजापति ने  स्वागत भाषण देते हुए सभी आगंतुकों का स्वागत किया।
सम्मान सत्र के बाद विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ। इसके तहत सन्तराम बी ए पर अपनी बात रखते हुए विचार- गोष्ठी के मुख्य वक्ता श्री राजाराम भादू ने संविधान की प्रस्तावना में "बंधुत्व" शब्द की व्याख्या की। उन्होंने बताया कि संविधान की मूल प्रस्तावना पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लिखकर संविधान सभा के अध्यक्ष  डॉ. राजेंद्र प्रसाद को सौंपी थी। डॉ.राजेंद्र प्रसाद जी ने यह प्रस्तावना पढने हेतु संविधान की प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर को दी और इसकी समीक्षा करने के लिए कहा। डॉ आंबेडकर ने   सन्तराम बी ए द्वारा स्थापित "जात- पात तोड़क मंडल"  की अध्यक्षता हेतु अपना  ऐतिहासिक भाषण 1936 में  "एन्हिलेशन ऑफ कास्ट"   नाम से पुस्तक रूप में प्रकाशित करवा लिया था जिसकी चर्चा देश में हो चुकी थी ।डॉ अंबेडकर ने नेहरू जी को बताया कि संविधान की प्रस्तावना में केवल "स्वतंत्रता" और "समानता"  शब्द अपर्याप्त हैं। देश में सच्चे लोकतंत्र की स्थापना तभी हो सकती है जब प्रस्तावना में "बंधुत्व" शब्द जोडा जाये।  डॉ. अंबेडकर की  सलाह के अनुसार संविधान की प्रस्तावना में "बंधुत्व " शब्द शामिल किया गया.यह बंधुत्व शब्द मूल रूप से "एन्हिलेशन  ऑफ कास्ट" पुस्तक से आया था जिसके सूत्रधार संतराम बी ए ही थे। इस तरह से देखा जाए तो संविधान की मूल प्रस्तावना में बंधुता शब्द के प्रयोग का श्रेय संतराम को जाता है ।वरिष्ठ कवि और  साहित्यकार कृष्ण कल्पित ने सन्तराम बी ए के जाति-विनाश संबंधित साहित्य के महत्व पर प्रकाश डाला और वर्तमान स्थितियों के प्रति चिंता जाहिर की।  विशिष्ट अतिथि कविता श्रीवास्तव ने स्त्री-पुरुष संबंधों को लेकर अपनी बात  रखते हुए कहा कि किसी भी लेखक का मूल्यांकन उसके लेखन में मौजूद स्त्री- पक्ष  की पडताल के बिना पूरा नहीं माना जा सकता। यह सराहनीय है कि आज से सौ साल पहले  जब कि स्त्री- विमर्श का नामोनिशान तक नहीं था हमें सन्तराम बी ए की पुस्तकों में स्त्री पक्ष की मौजूदगी  लगातार  मिलती है। वह प्रेमचंद की परम्परा के बौद्धिक लेखक थे। स्त्री-पुरुष संबंधों को लेकर स्त्रियों के अधिकारों को लेकर उन्होंने तब बहुत कुछ लिखा था। आज देश की आधी आबादी को उनका एहसानमंद होना चाहिए। मुख्य अतिथि  राजस्थान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष  दुलाराम सहारण ने संतराम बी ए के जाति- संबंधी  साहित्य लेखन को सराहा और वर्तमान में जाति और धर्म को लेकर  पैदा की जा रही स्थितियों के प्रति चिंता व्यक्त की। उन्होंने संतराम बी ए फाउंडेशन के कार्यों की सराहना की और आश्वासन दिया कि राजस्थान साहित्य अकादमी जितना संभव हो सकेगा संतराम बी ए फाउंडेशन की इस मुहिम को आगे बढ़ाने में सहयोग करेगी। 
अध्यक्षीय  भाषण देते हुए डॉ हेतु भारद्वाज ने संतराम बी ए फाउंडेशन के योगदान को सराहा और जयपुर में आकर कार्यक्रम करने के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि- संतराम बी ए फाउंडेशन  के प्रति जयपुर के श्रोताओं और साहित्यिक संस्थाओं को शुक्रगुजार होना चाहिए जो अपने निजी संसाधनों से जाति- विनाश संबधी मुहिम चला रहे हैं ।  कार्यक्रम में राजस्थान प्रगतिशील लेखक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष फारूक  आफरीदी, महासचिव रजनी मोरवाल,पूर्व महासचिव ओमेंद्र , कथाकार रात्नरकुमार  सांभरिया सामाजिक कार्यकर्ता सुमन चौधरी ,हेमंत नारायण ,कमल , ताराचंद वर्मा, राकेश शर्मा , पी यू सी एल  और अंबेडकर मैमोरियल सोसाइटी  के अनेक सदस्यगण, छात्र- छात्राएं आदि की सहभागिता रही।कार्यक्रम के अंत में डॉ अंबेडकर मेमोरियल सोसायटी के महासचिव जी एल वर्मा ने सभी का आभार व्यक्त किया। विचार गोष्ठी का संचालन प्रेमचंद गांधी ने किया।