मारवाड़ से तस्करी का नेटवर्क बढ़ता जा रहा है। ऐसे में डोडा-पोस्त समेत नशीले पदार्थों की तस्करी करने वाले भी अपने आप को हाईटेक कर रहे हैं। ऐसे में अब इनके निशाने पर जोधपुर समेत इसके आस-पास के बड़े बिजनेसमैन है। ये वे बिजनेसमैन हैं, जिनके पास महंगी लग्जरी कारें हैं। सामने आया कि ये तस्कर पैसों का लालच देकर इन बिजनेसमैन से कार लूट समेत अन्य वारदातों को अंजाम दे रहे हैं।
दरअसल, जाेधपुर पुलिस ने कुछ दिनों पहले ही गुजरात के दो सिक्योरिटी गार्ड को कार लूट के मामले में गिरफ्तार किया था। पूछताछ में बताया कि जिस बिजनेसमैन से लूट की थी उसकी कार को वे तस्करों को बेचना चाहते थे। इसके लिए उन्हें मोटी रकम दी जा रही थी। उन्होंने बताया कि वे महंगे होटल और बार में पार्टी कर पहले ऐसे बिजनेसमैन को ढूंढते। इसके बाद दोस्त बना पूरी वारदात को अंजाम देते।
ऐसे उन्होंने मुंंबई से आए बिजनेसमैन गौरव चौपड़ा को अपने जाल में फंसाया। हालांकि आरोपी धर्माराम और मुकेश जेल में है। उन्होंने जमानत अर्जी भी लगाई थी, जिसे सेशन कोर्ट ने खारिज कर दिया। एक आारोपी प्रदीप अभी भी फरार है। इस घटना के बाद बिजनेसमैन गौरव चौपड़ा से बात की तो कई खुलासे हुए। उन्होंने बताया कि कैसे उन्हें एक बार में पार्टी देकर फंसाया गया।
अनजान से दोस्ती छोड़ों बात करने से पहले ही अब सोचना पड़ेगा
बिजनेसमैन गौरव चौपड़ा ने बताया कि अंजान से दोस्ती करना भारी पड़ा गया। मेरा जन्म जोधपुर शहर में ही हुआ है। अपणायत का शहर है। इसलिए सोचा नहीं था कि कभी मेरे साथ इस शेयर में ऐसा होगा। मैंने पुलिस को शिकायत दी उसके 4 घंटे के अंदर ही पुलिस कार और आरोपियों को ढूंढ लाई।
गौरव ने बताया मेरे पेरेंट्स जोधपुर में ही रहते हैं इसलिए मैं उनसे मिलने आया हुआ था। 1 जून की शाम शास्त्री नगर से पावटा स्थित होटल अभय के बार में आकर बैठा था। कई देर तक अकेला था। कुछ देर बाद धर्माराम, प्रदीप और मुकेश मेरे पास आकर बैठ गए।
तीनों ने मुझे जॉइन किया और बातचीत शुरू की। उन्होंने बताया कि वे गुजरात में रहते हैं। यहां से बात करते-करते मुंबई से जुड़ी चीजों को डिस्कस करने लगे। बातों से उनका व्यवहार काफी अच्छा लग रहा था। उन्होंने मेरा विश्वास जीत लिया। मुझे भी लगा कि ये बाहर के रहने वाले हैं लेकिन अपनापन जोधपुर जैसा ही है।
कुछ देर बाद तीनों बोले कि चलो बाहर घूमते हैं। करीब शाम 5 बजे हम सभी मेरी कार में बैठकर बनाड़ की तरफ निकल गए। इस दौरान धर्माराम ने कहा कि यहां मेरा दोस्त रहता है वहां चलते हैं। उसके दोस्त के यहां गए खाना खाया और रात आठ बजे निकल गए।
यहां से निकलने के बाद बोले कि लॉन्ग ड्राइव पर चलते हैं। मैं कार ड्राइव कर रहा था। डांगियावास से आगे निकलने के के बाद मैं गाड़ी से नीचे उतरा और टॉयलेट करने चला गया। धर्माराम पीछे बैठा था। इतने में धर्माराम आगे आया और मेरी कार स्टार्ट कर वहां से फरार हो गया।
मैंने अपना मोबाइल भी कार में छोड़ रखा था। पहले तो मुझे विश्वास नहीं हुआ लेकिन कुछ ही देर में पता चल गया कि मेरे साथ लूट हुई है। मैंने रास्ते में एक व्यक्ति को रोका और पुलिस कंट्रोल रूम को फोन किया। मेरे एक कॉल पर पुलिस मौके पर पहुंची और आरोपियों को 4 घंटे में ही पकड़ लिया। लेकिन, इस घटना ने मुझे गजब का सबक दिया है।
पुलिस ऐसे पहुंची आरोपियों तक
डांगियावास थाने में मामला दर्ज होते ही पुलिस ने सबसे पहले होटल के सीसीटीवी खंगाले। सबसे पहले बार के सीसीटीवी खंगाले जहां गौरव तीनों आरोपियों के साथ बैठा था। गौरव जब बार में था तब एक युवक कार लेकर आया और आरोपियों से मिला। पुलिस ने इसी कार नंबर के आधार पर मालिक का पता लगाया और फोन नंबर जुटाए। यहां एक महिला ने कॉल रिसीव किया। महिला से पूछताछ की तो पता चला कि कार ले जाने वाला उनका रिश्तेदार है। तीनों की पहचान होने पर जब लोकेशन ट्रेस की तो एक सुनसान जगह पर झाड़ियों के पीछे एक कार छुपी हुई मिली।
मामले की जांच कर रहे सब इंस्पेक्टर महेन्द्र कुमार ने बताया कि तीनों आरोपी पीपाड़ के खांगटा के है। धर्माराम पुत्र शुराराम जोधपुर में रहता था और मुकेश पुत्र बाबूलालव प्रदीप पुत्र रामलाल गुजरात में सिक्योरिटी गार्ड की जॉब कर रहे थे। प्रदीप अभी पकड़ में नहीं आया है।
कार बंद हो गई फिर स्टार्ट नहीं हुई तो छुपा दी
धर्माराम, मुकेश व प्रदीप कार लूट कर अपने गांव पीपाड़ की तरफ भाग गए थे। रास्ते में पेट्रोल खत्म होने पर कार बंद हो गई। पेट्रोल पंप से पेट्रोल लाकर डाला लेकिन स्टार्ट नहीं हुई तो वह छुपा कर निकल गए। दूसरे दिन जब वह मैकेनिक के साथ कार तक पहुंचे उससे पहले पुलिस वहां पहुंच चुकी थी।
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