दैनिक भास्कर से साभार 

गहलोत-पायलट विवाद पर हाईकमान की वन-टू-वन मीटिंग और चुनावों में संगठन की क्या रणनीति है, इस पर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा से भास्कर के न्यूज एडिटर आलोक खण्डेलवाल की बात -

सरकार रिपीट होने का आपका फॉर्मूला क्या है?
-सत्ता और संगठन में बेहतर समन्वय है। हमारी फ्लैगशिप योजनाएं बेहतर हैं। कोई एंटी इनकंबेंसी नहीं है। जबकि भाजपा में आपसी झगड़े हैं। ये अपने मोहरे चेंज कर रहे हैं। कभी वसुंधरा जी को पीछे धकेलते हैं, कभी पोस्टर फाड़ते हैं, कभी पोस्टर आगे लाते हैं, कभी मोदी जी आते हैं तो राजेंद्र राठौड़ जी को धक्का मारकर वसुंधरा जी आगे आती हैं।
संगठन के गठन में इतना विलंब क्यों?
-सही है, संगठन चुनाव के साथ ही हमने तेजी से बूथ से ब्लॉक तक के लगभग सभी अध्यक्ष व कार्यकारिणी बना दी हैं। पीसीसी और डीसीसी के शेष नाम आलाकमान को भेज दिए। इसी सप्ताह में आने की पूरी संभावना है।
जिलाध्यक्षों में देरी की वजह खींचतान है क्या?
-संगठन के चुनाव सर्वसम्मति से होते हैं। हमने फीडबैक लेकर ही सर्वसम्मति बनाई है।
विधायकों से वन-टू-वन के दौरान कई धड़ों की बातें सामने आईं, इस स्थिति से कैसे निपटेंगे?
-ऐसा नहीं है, केवल तीन-चार एमएलए ही नहीं आए थे। कोई धड़ा विशेष नहीं था। हर नेता ने कहा कि एंटी इनकंबेंसी नहीं है। यह जरूर कहा कि सक्रियता बढ़नी चाहिए। तो अब सक्रियता बढ़ी है। कार्यकर्ताओं में जोश आया।
सीएम गहलोत और पायलट के बीच चल रही तल्खी क्या दूर हो गई? क्या फॉर्मूला बनाया?
-गहलोत जी हों, पायलट जी हों या मैं, सबका उद्देश्य एक ही है, कांग्रेस की सरकार पुन: रिपीट हो, छोटी-मोटी मतभेद की बात थीं, वो आलाकमान ने सुन ली है। मैं उस विषय में नहीं जाना चाहता कि पायलट जी ने क्या कहा, सीएम साहब ने क्या कहा, जो कुछ भी बातें थीं, दिल्ली में बैठकर बात हो गई, दोनों ने कह दिया कि हम सब एक हैं। आलाकमान के किसी भी निर्णय के ऊपर, चाहे वह किसी की भी भूमिका के बारे में हो, वो हम सबको मान्य होगा। इस मीटिंग के बाद ये बात वहीं खत्म हो गई।
स्पष्टवादी होना आपके लिए नुकसानदायक है?
-नफा या नुकसान का आकलन जनता करती है। राजनीति में जनता ही माई बाप है। झूठे चक्कर लगवाना, गुमराह करना मेरी आदत में नहीं। सीकर की मीटिंग में मैं किसी अधिकारी के खिलाफ नहीं था। वहां योजनाओं का पैसा आ गया, काम नहीं हुए, ये सवाल हम नहीं करेंगे, तो हम मीटिंग में चाय-बिस्किट तो खाने नहीं गए थे।

पायलट ने वसुंधरा सरकार तो पीएम ने आपकी सरकार पर भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया।
-प्रधानमंत्री पद पर बैठा व्यक्ति गैर जिम्मेदाराना बात बोलेगा, इसकी उम्मीद नहीं थी। तब राजीव गांधी ने कहा था कि अब ऐसी योजना ला रहा हूं कि गांव से योजना बनेगी, ताकि पूरा पैसा ग्राम पंचायत को मिले। तब ही योजना लागू कर दी थी।