जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

राजस्थान में चाय की थड़ी, कॉफी शॉप, ऑफिस, शादी समारोह के साथ-साथ अलग-अलग कार्यक्रमों में धडल्ले से इस्तेमाल किए जा रहे प्लास्टिक कोटेड पेपर कप बंद होंगे। राजस्थान हाई कोर्ट ने माना है कि प्लास्टिक कोटेड पेपर कप सिंग्ल यूज प्लास्टिक की श्रेणी में आते है। जस्टिस समीर जैन की अदालत ने यह फैसला सुनाया है। वहीं कोर्ट ने राज्य सरकार पर नाराज़गी जताते हुए कहा कि केन्द्र सरकार के नोटिफिकेशन के बाद भी राज्य सरकार ने इस मामलें में प्रभावी कार्रवाई क्यों नहीं की।

दरअसल अदालत प्लास्टिक मैन्यूफेक्चरिंग यूनिट की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। मैन्यूफेक्चर्स का कहना था कि हमारे प्रोडेक्ट में 95 प्रतिशत कागज औऱ केवल 5 प्रतिशत प्लास्टिक यूज होता है। ऐसे में हम सिंगल यूज प्लास्टिक की कैटेगिरी में कवर नहीं होते है। वहीं इस तरह से नियम थोपना हमारे मूल अधिकारों का उल्लंखन है। लेकिन मामलें की विस्तृत सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने सभी याचिकाओं को खारिज़ करते हुए कहा कि प्लास्टिक कोटेड पेपर कप को सिंगल यूज प्लास्टिक की कैटेगिरी में ही कवर किया जाएगा। वहीं राज्य सरकार को निर्देश दिए है कि वह तुरंत केन्द्र के नोटिफिकेशन को प्रभावी रूप से लागू करें। पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के अधिवक्ता संदीप पाठक ने बताया कि अदालत ने अपने आदेश में माना है कि यह मामला पर्यावरण से जुड़ा हुआ है। इसे विस्तृत रूप से देखा जाना चाहिए। जो भी इकाई सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल करती है, वो इसमें कवर होगी। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट ने इस बात पर भी नाराज़गी जताई कि साल 2021 के नोटिफिकेशन को राज्य सरकार ने 2023 में भी प्रभावी रूप से लागू नहीं किया। जबकि इकाइयों को किसी भी तरह का स्टे हाई कोर्ट से नहीं मिला था।

क्या था केन्द्र सरकार का नोटिफिकेशन
भारत सरकार के पर्यावरण और वन मंत्रालय ने 12 अगस्त 2021 को नोटिफिकेशन जारी किया था। जिसके अनुसार पूरे देश में सिंगल यूज प्लास्टिक के प्रोडेक्ट के उत्पादन व इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी। राज्य सरकारों को इसे अपने यहां प्रभावी रूप से लागू करना था। प्रदेश में साल 2022 में राज्य सरकार ने इसे लागू कर दिया। लेकिन इसके तहत कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की। राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के अधिवक्ता शाश्वत पुरोहित ने बताया कि मण्डल नोटिफिकेशन के आधार पर इन इकाइयों को नोटिस जारी किए थे। इन्हें प्रतिबंधित प्रोडेक्ट का प्रोडेक्शन बंद करने का निर्देश दिए गए थे। जिसे इकाइयों ने हाई कोर्ट मे चुनौती दी थी।

मद्रास हाई कोर्ट भी दे चुका ऐसा निर्णय
सिंगल यूज प्लास्टिक को लेकर इसी तरह का मामला मद्रास हाई कोर्ट में भी लिस्ट हुआ था। उस मामलें में भी मद्रास हाई कोर्ट ने प्लास्टिक कोटेड पेपर कप को सिंगल यूज प्लास्टिक की श्रेणी में मानते हुए मैन्यूफेक्चर्स की याचिकाओं को खारिज़ कर दिया था। उसके बाद मैन्यूफेक्चर्स की अपील भी हाई कोर्ट की डिवीज़न बैंच से खारिज़ हो गई थी। मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में पेंडिग है। कोर्ट ने कहा कि अधिसूचना पर्यावरण को स्वच्छ और यथासंभव प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए है। इसमें याचिकाकर्ताओं के मूल अधिकारों का हनन नहीं माना जा सकता है।