जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।  

जयपुर ट्रैफिक पुलिस ने राजस्थान सरकार को ही भ्रष्ट बताते हुए इसका प्रेस नोट जारी कर दिया। साथ ही सोशल मीडिया पर भी पोस्ट कर दिया। जब अधिकारियों को अपनी गलती का अहसास हुआ तो पोस्ट डिलीट कर दिया गया। दरअसल, भाजपा ने मंगलवार को अपने प्रदर्शन की जानकारी देने के लिए पुलिस को एक लेटर लिखा था। जयपुर पुलिस ने भी यातायात व्यवस्था की जानकारी के लिए इस लेटर को हूबहू कॉपी कर प्रेस नोट बना दिया। साथ ही आम जनता की जानकारी के लिए सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया। अधिकारियों के अनुसार प्रेस नोट को तैयार होने के बाद डीसीपी ट्रैफिक की स्वीकृति के बाद मीडिया हाउस में भेजा जाता है। ऐसे में क्या जिम्मेदारों ने इस पर ध्यान नहीं दिया या फिर यह गलती जान कर की गई है। यहां जांच का विषय है।

सरकार के खिलाफ भाजपा का प्रदर्शन

जयपुर पुलिस ने अपने प्रेस नोट में लिखा- भारतीय जनता पार्टी राजस्थान में 13 जून को सुबह 10.30 बजे से कांग्रेस सरकार की अकर्मण्यता, भ्रष्टाचार, किसान, युवा, महिला, दलित विरोधी नीतियों के विरोध में भाजपा प्रदेश कार्यालय सरदार पटेल मार्ग के सामने सभा का आयोजन कर रही है। सभा के बाद जुलूस के रूप में रवाना होकर चौमूं हाउस सर्किल, पृथ्वीराज रोड होते हुए स्टैच्यू सर्किल पहुंच कर प्रदर्शन करने का कार्यक्रम है।

सरकार की छवि धूमिल करने का प्रयास

राजस्थान सरकार चुनावी साल होने के कारण इस समय एक्टिव मोड पर है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आमजन से जुड़ी हुई हर चीज पर मॉनिटरिंग कर रहे हैं। सरकार का एक ही फोकस है कि किसी भी तरह से सरकार के काम पारदर्शी हो। सरकार की नीतियों का प्रचार प्रसार हो। सरकार के खिलाफ जारी हुए इस प्रेस नोट की चर्चा सीएमओ तक भी पहुंची है जिसके बाद जिम्मेदारों को इसे हटाने के निर्देश दिए गए।

प्रेस नोट जारी करने की दो प्रक्रिया, कहां हुई गलती

  • पहला तरीका- ट्रैफिक डीसीपी जयपुर कमिश्नरेट के पीआरओ को सूचना देकर प्रेस नोट बनवाते हैं। इसके बाद पीआरओ प्रेस नोट बनाकर उसे डीसीपी को भेज कर उसकी गलती निकलवाते हैं। डीसीपी की ओर से अप्रूवल मिलने के बाद कमिश्नरेट में तैनात पीआरओ प्रेस नोट जारी कर देते हैं।
  • दूसरा तरीका- ट्रैफिक डीसीपी अपने कार्यालय में मौजूदा आईटी सेल में तैनात पुलिसकर्मियों को प्रेस नोट बनाने के निर्देश देते हैं। इसके बाद यह सेल डीसीपी को प्रेस नोट दिखाकर अप्रूवल लेते हैं। डीसीपी की यह सेल प्रेस को रिलीज कर देते हैं। हर डीसीपी के पास उनके जिले का ट्वीटर हैंडल होता हैं। जिस में भी ये लोग नोट डालते हैं।

ये प्रेस नोट दूसरे तरीके से जारी किया गया। दरअसल, यादगार में ही आईटी सेल है। इसमें दो कॉन्स्टेबल लगे हुए हैं। जहां पर डीसीपी के आदेश के बाद प्रेस नोट बनता हैं। इस सेल में हेड कॉन्स्टेबल मुकेश शर्मा और कॉन्स्टेबल भरत काम करते हैं। यह सेल डीसीपी के आदेश के बाद प्रेस नोट बनाने के साथ-साथ डीसीपी के आदेश पर उसे जारी करती है।

डीसीपी ट्रैफिक प्रहलाद कृष्णिया ने बताया कि गलत कॉपी पेस्ट हो गया, जिसके बाद प्रेस नोट को हटा दिया गया।

पहले भी सामने आए मामले...

कोटा में 'द कश्मीर फाइल्स' फ़िल्म और धारा 144 को लेकर हुआ था हंगामा

कोटा में करीब एक साल पहले धारा 144 लागू करने वाले आदेश पर बवाल हुआ था। दरअसल, कलेक्टर ने आदेश जारी कर जिले में 22 मार्च 2022 सुबह 6 बजे से 21 अप्रैल 2022 रात 12 बजे (1 माह) के लिए धारा 144 लागू की थी। आदेश में धारा 144 लागू करने के तीन प्रमुख कारण बताए गए थे। इसमें आगामी दिनों में आ रहे त्यौहार जैसे चेटीचंड, महावीर जयंती, गुड फ्राइडे, वैशाखी जमातुलविदा आदि, सिनेमाघरों में प्रदर्शित हो रही फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' और नहरों में जल जनित हादसों के बाद उत्पन्न कानून व्यवस्था की स्थिति को मद्देनजर यह निर्णय लेना बताया था।

बाद में इस आदेश में संशोधन करते हुए बताया गया था कि किसी कार्यक्रम या फिल्म देखने पर रोक नहीं लगाई गई है। कलेक्टर ने भी मामले में कहा था कि आदेश को लेकर कन्फ्यूजन हो रहा था। जबकि पहले भी साफ था कि 'द कश्मीर फाइल्स' फ़िल्म पर बैन नहीं था।