करौली ब्यूरो रिपोर्ट।  

चंबल नदी क्षेत्र में इस बार बड़ी संख्या में घड़ियालों का प्रजनन हुआ है। वन विभाग ने अंडो की सुरक्षा के इंतजाम किए हैं। चंबल नदी क्षेत्र में महाराजपुरा क्षेत्र में चंबल नदी के घाटों पर कई प्रजनन केन्द्र हैं। यहां मादा मई के माह में और जून में 30 से 40 सेंटीमीटर गड्ढा खोदकर 50 से 70 अंडे देती है।

डीएफओ अनिल कुमार यादव ने बताया कि सवाईमाधोपुर, धौलपुर, करौली और पाली घाट की तीनों रेंज में इस बार घड़ियालों का बड़ी संख्या में प्रजनन हुआ है। धौलपुर में सबसे अधिक शिशु जन्मे हैं। इनकी सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए हैं। करीब 125 मादाओं ने घड़ियालों के अंड़े दिए हैं। यह प्रजनन हर साल होता है। खास बात ये है कि नदी के मध्यप्रदेश वाले हिस्से में नेस्ट पॉइंट कम हैं। पिछले साल नदी में पानी की भारी आवक के कारण ये स्थिति बनी है। डीएफओ अनिल कुमार यादव ने बताया कि मादा घड़ियाल चंबल नदी के आसपास रेत में काफी संख्या में अंडे देती है। ऐसा पहली बार हुआ है कि मध्य प्रदेश के चम्बल नदी क्षेत्र वाले चम्बल के घाटों से ठीक सामने राजस्थान की सीमा में रेत पर भारी तादाद में घड़ियालों ने अंडे दिए हैं। चंबल नदी के दोनों किनारों पर दोनों राज्यों के 50 प्रजनन केंद्रों पर 140 मादाओं का प्रजनन स्थल है। मध्यप्रदेश के देवरी में घड़ियाल केंद्र से हर साल करीब 200 अंडों को ले जाकर प्रजनन कराया जाता है, जबकि राजस्थान की सीमा पर मादा घड़ियाल खुद ही बजरी में दबे अंडे फोड़कर बच्चों को पानी तक ले जाती है। केशोरायपाटन से धौलपुर तक करीब 400 किलोमीटर तक चंबल नदी में 3 रेंज हैं।

इन घाटों पर होता है प्रजनन
पाली घाट, इटावा, केशोरायपाटन के दिव्यघाट, धौलपुर के समोंना घाट, मध्यप्रदेश के बरौली चंबल घाट में काफी संख्या में घड़ियालों का प्रजनन होता है। सरकार ने अक्टूबर 2015 में घड़ियाल सेंचुरी को स्वीकृत देने से करौली को विशेष पहचान मिली थी। चंबल नदी क्षेत्र में महाराजपुरा क्षेत्र में चंबल नदी के घाटों पर कई प्रजनन केन्द्र हैं। यहां मादा मई के माह में और जून में 30 से 40 सेंटीमीटर गड्ढा खोदकर 50 से 70 अंडे देती है। मादा घड़ियाल अंडों पर बैठकर इनका सेक करती हैं। कुछ दिनों बाद गड्ढे के अंदर मदर काल सुनाई देती है। जिस पर मादा घड़ियाल पंजों से अंडे निकालती है। जिनको सहारा देकर चंबल नदी में ले जाती है।