जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

जयपुर नगर निगम ग्रेटर में जून 2021 में हुई घटना अब नगर निगम हेरिटेज में रिपीट हो गई। हेरिटेज की मेयर मुनेश गुर्जर और अतिरिक्त आयुक्त के बीच हुए विवाद के 10 दिन बाद मेयर के खिलाफ आयुक्त ने मुकदमा दर्ज करवा दिया।

बकायदा इस मामले की शिकायत सरकार को भेजी। लेकिन सरकार ने ग्रेटर निगम की तरह यहां मेयर के खिलाफ एक्शन लेने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। जबकि पुराने घटनाक्रम में मेयर सौम्या गुर्जर और उनके साथ आरोपित 3 अन्य पार्षदों को पद से निलंबित करते हुए उनके खिलाफ जांच शुरू करवा दी थी।

दरअसल 18 जून को नगर निगम हेरिटेज में अतिरिक्त आयुक्त राजेन्द्र वर्मा को मेयर मुनेश गुर्जर के ही चैम्बर में पार्षदों ने बुलाकर घेर लिया और उनके फाइल पर साइन नहीं करने पर खूब खरी-खोटी सुनाई।

अतिरिक्त आयुक्त ने इस मामले पर मेयर मुनेश गुर्जर, उनके पति और पार्षदों पर एफआईआर दर्ज कराई है। इसमें कमिश्नर ने इन सभी के खिलाफ राज कार्य में बाधा डालने और जातिसूचक शब्दों का उपयोग कर अपमानित करने का आरोप लगाया है।

9 माह से ज्यादा समय तक रही कुर्सी से दूर
4 जून 2021 को मेयर सौम्या का तत्कालीन कमिश्नर यज्ञमित्र सिंह देव से एक बैठक में विवाद हुआ। इस विवाद के बाद कमिश्नर ने मेयर की शिकायत सरकार से करते हुए उनके खिलाफ ज्योति नगर थाने में मुकदमा दर्ज करवाया था।

इस घटना के अगले दिन 5 जून को सरकार ने सौम्या गुर्जर और उनके साथ तीन अन्य पार्षदों को पद से निलंबित कर दिया और मामले की न्यायिक जांच शुरू करवा दी। इस दौरान मेयर करीब 8 माह तक कुर्सी से दूर रहीं और 2 फरवरी 2022 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वापस कुर्सी पर बैठीं।

लेकिन सितम्बर के आखिरी में सुप्रीम कोर्ट के ही आदेश के बाद सरकार ने उन्हें पद से हमेशा के लिए बर्खास्त करते हुए उनको 6 साल तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया था।

सरकार ने नहीं लिया कोई एक्शन

जिस तरह का एक्शन सरकार ने साल 2021 में नगर निगम ग्रेटर की मेयर पर लिया था, उस तरह का एक्शन लेने पर सरकार ने इस बार दिलचस्पी नहीं दिखाई। सरकार ने न तो मेयर मुनेश गुर्जर को सुनवाई का समय दिया और उनके खिलाफ कोई जांच शुरू करवाई।

मेयर बोली, महिला थाने में दर्ज करवाऊंगी मुकदमा

मुकदमा दर्ज होने के बाद मेयर ने कहा कि मैंने नहीं, एडिशनल कमिश्नर राजेन्द्र वर्मा ने राज कार्य में बाधा डाली है। उन्होंने एक फाइल को 15 दिन तक रोके रखा, जबकि एक्ट में प्रावधान है कि कोई भी फाइल को 3 दिन से ज्यादा एक अधिकारी नहीं रोक सकता।

अगर उनको पास नहीं करनी थी तो वे तीन दिन में कोई भी कमेंट करके आगे फॉरवर्ड कर सकते है। मेयर ने राजेन्द्र वर्मा के खिलाफ महिला थाने में मुकदमा दर्ज करवाने की भी बात कही।