अलवर ब्यूरो रिपोर्ट।  

सीएम अशोक गहलोत ने विभिन्न योजनाओं में रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था जनता तक राहत पहुंचाने के लिए की लेकिन अफसरों ने लाभार्थियों को खतरे में झोंक दिया है। अब तक शिविरों में नहीं पहुंचे 62 लाख 94 हजार 482 परिवाराें का डेटा थर्ड पार्टी से शेयर कर दिया है। शिविराें की प्राेग्रेस दिखाने के चक्कर में यह डेटा कलेक्टरों की आईडी पर भेजा गया। इसमें नाम, पता, जनआधार नंबर, माेबाइल नंबर जैसी जानकारियां हैं। अकेले अलवर जिले में 3.46 लाख परिवाराें का डेटा साैंपा गया है। कलेक्टर के जरिए ये डेटा एसडीएम व एसडीएम के जरिए निचले स्तर के कार्मिकों व शिवरों के अस्थाई ऑपरेटराें तक पहुंचाया गया है। ताकि वे फोन काॅल कर लाेगाें काे शिविरों में बुला सकें। ऐसे में डेटा कई स्तराें पर पहुंच चुका है। हकीकत की पड़ताल के लिए अलवर जिले का डेटा तो भास्कर ने भी हासिल किया है। मुंडावर एसडीएम पंकज बड़गूजर का कहना है कि डेटा हमें मिल गया है। यह डेटा हम ऑपरेटर काे बांट रहे हैं ताकि वे लाेगाें काे कैंप में बुलवाएं।

आशंका यह- सायबर फ्रॉड, सेक्सटॉर्शन, चुनाव में दुरुपयोग

  1. एक परिवार में पति-पत्नी काे लें ताे भी कम से कम दाे वाेटर हाेंगे। यानी सीधे ताैर पर 1 कराेड़ 25 लाख 88964 लाेगाें के नंबर पर उन लोगों की पहुंच बन सकती है, जो इसका दुरुपयोग भी कर सकते हैं।
  2. डेटा हैकर्स के हाथ लगा ताे सायबर फ्राॅड, वर्चुअल अकाउंट खुलने, फेक अकाउंट, फर्जी आईडी बनने, सेक्सटाॅर्शन का खतरा होगा।
  3. प्रदेश में इसी साल विधानसभा चुनाव हाेने हैं। यह डेटा हाथ लगा तो सियासी लोग भी इसका दुरुपयोग कर सकते हैं।

तीन दिन पहले केंद्र ने अपील की थी, अनजान काॅल नहीं उठाएं

केंद्रीय दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दिल्ली में तीन दिन मीडिया से कहा था- हर नागरिक से अनुराेध है कि अनजान नंबर से आने वाली काॅल नहीं उठाएं। स्पैम काॅल व सायबर फ्राॅड राेकने के लिए मंत्रालय ने संचार सारथी पाेर्टल भी लाॅन्च किया है।

  • अलवर जिले के 3.46 लाख परिवाराें का डेटा भास्कर ने हासिल किया
  • लाभार्थियों के पते, जन आधार, माेबाइल नंबर सब आम किए, डेटा हैकर्स व अपराधियों तक पहुंचने का खतरा

लाभार्थियों के पते, जन आधार, माेबाइल नंबर सब आम किए, डेटा हैकर्स व अपराधियों तक पहुंचने का खतरा

ऐसे में सतर्कता ही बचाव- एपगुरु
काेई भी पब्लिक डेटा इस तरह फील्ड में आ रहा है ताे दुरुपयाेग की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे में सतर्कता ही आपका बचाव है। लोग किसी फाेन का जवाब तभी दें, जब आश्वस्त हाें। ओटीपी न दें।
-इमरान खान, राष्ट्रपति से सम्मानित एपगुरु

हम तो पालन कर रहे- जयपुर कलेक्टर
डेटा हमें मिला था, जाे प्रिंट कर रूट लेवल कर्मचारियाें काे दे दिया है। डेटा का क्या हाेगा, मैं कैसे बताऊं? हमें जाे निर्देश मिले, काम करवा रहे हैं।

-प्रकाश राजपुराेहित, जिला कलेक्टर

सरकारी या टेलिकाॅम कंपनी स्तर पर काेई जरिया नहीं, जहां से माेबाइल नंबर मिलें। बाजार में कई कंपनियां डाटा शेयर करती हैं लेकिन यह अनधिकृत है। राहत शिविरों के मामले में ऑपरेटर काे यह काम दिया है ताे बड़ा खतरा है।

-राहुल यादव, सायबर इन्वेस्टिगेटर