अलवर ब्यूरो रिपोर्ट। 

अलवर सरस डेयरी चेयरमैन विश्राम गुर्जर के खिलाफ सरस दुग्ध संघ के 12 में से 6 डायरेक्टर विरोध में उतर आए हैं। यही नहीं चेयरमैन पर कई करोड़ रुपए की गड़बड़ी करने, हर दिन 3 से 4 लाख रुपए कमिशन लेने और लाखों रुपए की मिलावट खुद के स्तर पर कराने के गंभीर आरोप लगाए। इतना भी कहा कि उनके पास सबूत हैं कि पहले मिलावटी दूध पकड़ा। फिर उसी दूध का सही बता 25 लाख रुपए का भुगतान कर दिया । तभी तो बोर्ड की मीटिंग केवल एक बार हुई है। हम मजबूरी में कोर्ट में जाने की तैयारी में हैं। इस गडबड़ी व भ्रष्टाचार के कारण पशुपालक को मोटा नुकसान है। किसानों के नाम पर लिया लोन का करीब 7 करोड़ रुपए का कोई हिसाब ही नहीं मिला है।

मिलावटी दूध पकड़ा, फिर उसी दूध का भुगतान क्यों

डायरेक्टरों ने कहा कि एक समिति जिसका कोड नंबर 1194 है। उसका दूध मिलावटी बताया। फिर बाद में उसकी दूध का पेमेंट कर दिया गया। जिससे साफ है कि कमिशन लेकर मिलावट को सही बता देते हैं। समिति का पहले 25 लाख रुपए भुगतान रोक दिया था। बाद में पूरा पैसा जारीकर दिया था। बाद में वो टैंकर चालू कर दिया। इसके अलावा 25 से 30 हजार लीटर दूध की जगह पानी मिलाते हैं। इसके सबूत भी हैं।

65 करोड़ रुपए का लोन, 8 करोड़ का अता-पता नहीं

डेयरी संचालन के लिए दिसंबर में 65 करोड़ रुपए का लोन लिया। जिसमें 8 करोड़ रुपए का कोई अता-पता नहीं है। किसानों को केवल 57 करोड़ रुपए का भुगतान किया है। किसान संबल योजना का 3 से 4 करोड़ रुपए किसानों के खातों में नहीं गया। कई निजी खातों में पैसा गया है। डेयरी एमडी के खिलाफ 1.44 करोड़ की रिकवरी का मामला चल रहा है।

छोटी डेयरी पर 12 लाख का घी कैसे संभव

छोटी डेयरी के पास कम दूध होता है। लेकिन मिलावट कर उसे बढ़ादिया जाता है। 15 दिन के दूध के बदले आधा घी देते हैं। कमिशन के घी को रख लेते हैं। समितियों के नाम से घी उठा लेते हैं। खुद की गाड़ी लगा रखी है। एक कैन दूध फैला कर उनका अलग समिति से दूध भिजवा देते हैं। यही नहीं सरकारी गाड़ियां निजी काम में लगी है। कुछ दिन पहले अजमेर भी गई हैं। एक-एक गाड़ी का 18 हजार किलोमीटर का पेमेंट हो रहा है। 30 से 50 युवक खुदके लगे हैं। पेट्रोल पंप की तनख्वाह यहां जाने लगी है।

अनुदान का पैसा दूसरों के खातों में

सरकार की ओर से पशुपालक को पांच रुपए अनुदान मिलता है। आधा पैसा किसान को मिलता है। आधा किसानों के खाते बदलकर खुद के लोगों के पास पैसा जाता है। संबल योजना के पैसे में बड़ी गड़बड़ी है। बहुत से खाते ऐसे हैं जहां से दूध नाममात्र भी नहीं आता है। डेयरी में भी कर्मचारी मिल गए हैं। लैब में चेयरमैन के ही सब लोग हैं।

हमें लैब में नहीं जाने देते हैं। वे खुद के लोग लगे हैं। हमारी कोई मिलावट नहीं है। हम किसानों के साथ हैं। एमडी, थेनवा व सौरभ सहित कई लोग मिले हुए हैं। एमडी की रिकवरी पर ध्यान नहीं दिया। आरसीडीएफ का नोटिस भी है। धारा 57 में जिसे दोषी मान लिया। उसे एमडी नहीं रखा जा सकता। लेकिन सब चल रहा है।

सवाल: सरस डेयरी में सब कुछ ठीक चल रहा तो बोर्ड की बैठक क्यों नहीं?

सरस दुग्ध संघ के बोर्ड की बैठक नहीं हो रही है। डायरेक्टर का कहना है कि अब तक केवल एक बार मीटिंग हुई है। जबकि नियम है हर तीन महीने में बैठक कराने का। लेकिन अ 12 में से 6 डायरेक्टर कैलाश मीना, रामफल गुर्जर, शिवराम मीणा, अजीत यादव, सुनीता खंडेलवाल, कमला देवी हैं। लगातार बोर्ड की मीटिंग निरस्त होने पर आगे चेयरमैन की कुर्सी पर भी संकट आ सकता है।

ये सब निराधार

इन आरोपों पर चेयरमैन विश्राम गुर्जर का कहना है कि यह सब निराधार है। मनगढंत आरोप हैं। मेरे आने के बाद मिलावट रुकी है। खुलकर कार्रवाई की है। इनके डराने से मिलावटियों के खिलाफ कार्यवाही बंद नहीं की जा सकती। यह जनता को भी पता है। सरस दूध की गुणवत्ता कितनी बढ़ी है।